भारत अपनी वायु सुरक्षा को नई धार देने जा रहा है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही 30,000 करोड़ रुपये के QRSAM (क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल) प्रोजेक्ट पर मुहर लगाने की तैयारी में है। इस अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली के तीन रेजिमेंट पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात किए जाएंगे, जिससे भारत की हवाई रक्षा पहले से कई गुना मजबूत हो जाएगी।
क्या है QRSAM प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट के तहत सेना को तीन QRSAM रेजिमेंट मिलेंगी जो 30 किमी तक की दूरी पर दुश्मन के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों को सेकंडों में ढेर कर सकती हैं। यह प्रोजेक्ट जून 2025 के चौथे सप्ताह में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) की बैठक में विचाराधीन रहेगा।
टेक्नोलॉजी में भारत का आत्मनिर्भर दांव
QRSAM पूरी तरह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत विकसित की गई प्रणाली है। इसका निर्माण भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है। दिन-रात, किसी भी मौसम में लक्ष्य भेदने वाली यह मिसाइल मौजूदा MRSAM और आकाश जैसी मिसाइल प्रणालियों को पूरक समर्थन देती है।
अद्भुत ताकत और घातक सटीकता
यह मिसाइल 6000 किमी/घंटे की रफ्तार से टारगेट पर हमला करती है। इसमें HMX/TNT या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जाता है जिसका वजन 32 किलो होता है। यह मिसाइल जमीन से 98 फीट से लेकर 33,000 फीट की ऊंचाई तक काम कर सकती है। ‘लॉन्च एंड फॉरगेट’ तकनीक वाली इस मिसाइल को छह ट्यूब वाले लॉन्चर से फायर किया जाता है।
ऑपरेशन सिंदूर में साबित कर चुकी है ताकत
हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायु रक्षा यूनिट्स ने पाकिस्तान के चीनी और तुर्की मूल के ड्रोन व मिसाइलों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया। QRSAM, आकाश, MRSAM, S-400 और स्पाइडर सिस्टम्स ने सामूहिक रूप से इस अभियान को सफल बनाया।
सेना को जल्द ही अत्याधुनिक रडार, जैमर्स, वेरी शॉर्ट रेंज डिफेंस सिस्टम और लेजर बेस्ड हथियार भी मिलेंगे। ये सभी आधुनिक टेक्नोलॉजी दुश्मनों के स्मार्ट ड्रोन और मिसाइल हमलों को जवाब देने में सक्षम होंगी।