अब DNA के माध्यम से देसी गायों की पहचान की जाएगी। वाराणसी में सनातन संस्कृति और गो संरक्षण को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के निर्देश पर केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में प्रदेश की पहली गोमाता डीएनए परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। इस अभिनव पहल का उद्देश्य वैज्ञानिक पद्धति से देसी गायों की पहचान करना और उनके संरक्षण को सशक्त बनाना है।
DNA से देसी और गवयों में होगा स्पष्ट अंतर
यह DNA प्रयोगशाला गोमाता राष्ट्र माता अभियान का एक प्रमुख स्तंभ बनकर कार्य करेगी। यहां गायों का डीएनए परीक्षण किया जाएगा, जिससे यह तय किया जा सकेगा कि कौन सी गाय शुद्ध देसी नस्ल की है और कौन अन्य प्रजाति (गवय) से संबंधित है। यह वैज्ञानिक पद्धति गोसंरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही है।
गांव-गांव गोसेवक, अभियान को मिलेगा विस्तार
मीडिया प्रभारी संजय पांडेय ने बताया कि प्रत्येक परीक्षण के आधार पर देसी गायों को चिह्नित किया जाएगा और गांव-गांव गोसेवकों की नियुक्ति की जाएगी। ये गोसेवक स्थानीय स्तर पर गायों की रक्षा, देखभाल और संरक्षण सुनिश्चित करेंगे। आने वाले समय में यह मॉडल देशभर में लागू किया जा सकता है।
श्री विद्यामठ के प्रभारी परमात्मानंद ने कहा, “गो माता केवल एक पशु नहीं, बल्कि सनातन धर्म में मातृशक्ति और सात्विक ऊर्जा की प्रतीक हैं। आज जब समाज सात्विक जीवन और शुद्धता की ओर लौटना चाहता है, तब गो माता की रक्षा एक अनिवार्य कर्तव्य है।” उन्होंने सभी धर्मावलंबियों से इस कार्य में तन-मन-धन से सहयोग देने का आह्वान किया।