- डाकघर में अधिकारी बन कर रहे तमाम जनोन्मुखी कार्य
- वित्तीय समावेशन व डिजिटल इंडिया में भी डाक विभाग निभा रहा अहम भूमिका
- 2001 में सिविल सेवा में चयन के बाद भारतीय डाक सेवा के बने अधिकारी
राधेश्याम कमल
डाक विभाग देश के सबसे पुराने विभागों में से एक है। जो कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा संगठन है जो न केवल देश के भीतर बल्कि देश की सीमाओं से बाहर अन्य देशों तक पहुंचने में भी हमारी मदद करता है। 1 अक्टूबर, 1854 को एक विभाग के रूप में स्थापित भारतीय डाक विभाग सिर्फ पत्र ही नहीं पहुंचा रहा, बल्कि सरकार की तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं और इनके लाभों को भी लोगों तक पहुंचा रहा है। वित्तीय समावेशन और अंत्योदय में डाक विभाग की अहम भूमिका है। एक ही छत के नीचे तमाम सेवाएं उपलब्ध कराकर डाकघरों को बहुउद्देशीय बनाया गया है। बचत, बीमा, मनी ट्रांसफर, आधार, पासपोर्ट, कॉमन सर्विस सेंटर, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, श्री काशी विश्वनाथ प्रसाद और गंगाजल बिक्री, क्यूआर कोड आधारित डिजिटल भुगतान जैसी तमाम सुविधाएं डाकघरों में उपलब्ध हैं। ‘डाकिया डाक लाया’ से ‘डाकिया बैंक लाया’ तक के सफर में इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से लोगों को घर बैठे बैंकिंग, डीबीटी सहित तमाम सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं। आमजन में अटूट विश्वास, जन सेवा, विश्वसनीयता का प्रतीक डाक विभाग नवीन सेवाओं और नई टेक्नोलॉजी के साथ अपनी सेवाओं का निरंतर विस्तार करते हुए नित्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रहा है। कोरोना महामारी के दौर में चुनौतियों को स्वीकार करते हुए डाककर्मियों ने कोरोना वॉरियर्स के रूप में नई भूमिका निभाई, वहीं आजादी का अमृत महोत्सव से लेकर हर घर तिरंगा अभियान में डाकघरों की महती भूमिका रही है। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव से जनसंदेश टाइम्स की खास मुलाकात हुई। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश।
मोबाइल, ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी पत्रों की है अहमियत
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि मोबाइल, ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी पत्रों की अपनी अहमियत है। आज भी व्यक्तिगत और बिजनेस डाक के अलावा तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज – सरकारी व कोर्ट संबंधी पत्रों के साथ आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आई कार्ड, पैन कार्ड, विभिन्न बैंकों की चेक बुक व एटीएम कार्ड डाकघरों से ही भेजे जाते हैं। चिट्ठियों के माध्यम से डाक विभाग त्यौहारों में भी खुशियां बिखेरते रहता है तो डाकिया के माध्यम से टीबी स्पुटम के नमूने तेजी से स्वास्थ्य विभाग के लैब तक पहुंच रहे हैं। लेटर बाक्स से नियमित डाक निकालने के लिए नन्यथा मोबाइल एप एवं डाकियों के एण्ड्रोयड बेस्ड स्मार्ट फोन आधारित डिलीवरी जैसे तमाम कदम डाक विभाग की अभिनव पहल हैं। स्पीड पोस्ट, पंजीकृत पत्र और पार्सल के लिए ट्रेक एंड ट्रेस सुविधा उपलब्ध है। इन सबकी मॉनिटरिंग के लिए ‘मेल नेटवर्क आॅप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट’ और ‘पार्सल नेटवर्क आॅप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट’ आरम्भ किये गए हैं। डाक भेजने के लिए ट्रेन, हवाई जहाज के साथ-साथ डाक विभाग ने अपना स्वयं का रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क आरंभ किया है।

प्रधान डाकघरों में पार्सल पैकिंग यूनिट की स्थापना
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि ई-कामर्स और पार्सल को बढ़ावा देने हेतु कैश आॅन डिलीवरी, वाराणसी सिटी डाकघर कैम्पस में नोडल मेकेनाइज्ड डिलीवरी, विशेश्वरगंज स्थित वाराणसी प्रधान डाकघर और वाराणसी कैण्ट प्रधान डाकघर में पार्सल पैकिंग यूनिट की स्थापना की गयी है। आने वाले दिनों में पार्सल के रिटर्न पिकअप, ओटीपी आधारित वितरण, स्मार्ट मशीन के माध्यम से पार्सलों की बुकिंग व वितरण की सुविधा भी मुहैया करायी जायेगी। अंतर्राष्ट्रीय डाक के त्वरित निस्तारण के लिए वाराणसी कैण्ट प्रधान डाकघर में इंटरनेशनल बिजनेस सेंटर और गाजीपुर प्रधान डाकघर में डाक निर्यात केंद्र आरम्भ किया गया है। पत्रों पर लिखे जाने वाले पिनकोड की अहमियत भी खूब है, इसी के माध्यम से विभिन्न स्थानों की लोकेशन चिन्हित की जाती है। 15 अगस्त, 1972 को भारत में आरंभ पिन कोड प्रणाली ने आजादी के अमृत काल में अपनी स्वर्ण जयंती मनाई। डाक विभाग विभिन्न व्यवसाय समूहों के हिसाब से विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित कर रहा है। इसमें स्पीड पोस्ट, बिजनेस पार्सल, बिजनेस पोस्ट, मीडिया पोस्ट, बिल मेल सर्विस, रिटेल पोस्ट, लॉजिस्टिक्स पोस्ट, डायरेक्ट पोस्ट, ई-पोस्ट, ई-पेमेंट इत्यादि प्रमुख हैं।

रेल पोस्ट गति शक्ति एक्सप्रेस सेवा
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि भारतीय डाक विभाग और रेलवे के संयुक्त तत्त्वावधान में आरम्भ इस सेवा को सर्वप्रथम वाराणसी से सूरत के बीच 31 मार्च, 2022 को आरम्भ किया गया। इसमें सामान को भेजने और प्राप्त करने के लिए कहीं भी जाने की जरुरत नहीं है। इसमें पार्सल की बुकिंग एवं डोर-टू-डोर डिलीवरी डाकघरों के माध्यम से की जाती है तथा ट्रांसपोर्टेशन का कार्य रेलवे द्वारा किया जाता है। इसका शुल्क बेहद किफायती मात्र रुपए 12.60 प्रति किलोग्राम है। वाराणसी में डाक विभाग द्वारा इसके तहत सूरत से प्राप्त 418 टन सामग्री का वितरण किया जा चुका है और सूरत के लिए 40 टन सामग्री भेजी जा चुकी है।
डाकघर बचत योजना
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि आमजन में डाकघर की बचत योजनाएँ बेहद लोकप्रिय हैं और इनमें लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित निवेश करते आ रहे हैं। वाराणसी परिक्षेत्र में लगभग 30 लाख खाते संचालित हैं। इनमें बचत बैंक,आरडी, टीडी, एमआईएस, पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और एनएससी व केवीपी शामिल हैं। लघु बचत योजनाओं में जमा करके आयकर छूट का लाभ भी लिया जा सकता है। अब खातों से मोबाइल नंबर लिंक कराकर ई-बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, नेफ्ट आई.वी.आर.एस व ई-पासबुक जैसी आधुनिक डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है, वहीं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डी.बी.टी.) के माध्यम से विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं की रकम भी प्राप्त की जा सकती है।

सुकन्या समृद्धि योजना
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत आरंभ सुकन्या समृद्धि योजना बालिकाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभा रही है। 10 साल तक की बालिकाओं का मात्र 250 रुपए में सुकन्या समृद्धि खाता किसी भी डाकघर में खुलवाया जा सकता है। 7.6 फीसदी आकर्षक ब्याज दर वाली इस योजना में एक वर्ष में अधिकतम डेढ़ लाख जमा किये जा सकते हैं। इसके माध्यम से बेटियों की उच्च शिक्षा, कैरियर और विवाह के लिए आर्थिक स्वावलंबन सुनिश्चित होगा। वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों में 2.73 लाख बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं। वहीं, 806 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बनाया गया है। आज भी इन गांवों में यदि बेटियों के जन्म की किलकारी गूंजती है तो डाकिया बाबू बधाई के साथ सुकन्या खाता खुलवाने पहुँच जाते हैं।
इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। किसानों सहित अन्य तमाम लाभार्थियों के बैंक खातों में आने वाली डीबीटी राशि की निकासी के लिए अब किसी को भी बैंक या एटीएम जाने की जरूरत नहीं, बल्कि घर बैठे ही सभी अपने आधार लिंक्ड बैंक खाते से डाकिया के माध्यम से निकासी कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन और डिजिटल इण्डिया के क्षेत्र में आईपीपीबी की अहम भूमिका है। केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को इसके माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाया जा रहा है। वाराणसी परिक्षेत्र में 6 लाख आईपीपीबी खाते संचालित हैं। वहीं, इस वित्तीय वर्ष में 1 अरब रुपए से ज्यादा का एईपीएस भुगतान किया जा चुका है।
डाक जीवन बीमा
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि डाक जीवन बीमा देश की सबसे पुरानी जीवन बीमा योजना है, जिसकी शुरूआत 1884 में हुई थी। सरकारी/अर्द्ध सरकारी कर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा के कवच के रूप में आरंभ डाक जीवन बीमा का दायरा भारत सरकार ने अब बढ़ा दिया है। अब केंद्र व राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय/संस्था के सभी स्नातक/डिप्लोमा धारक भी डाक जीवन बीमा का लाभ उठा सकते हैं। 20 हजार से 50 लाख रुपए तक का बीमा करवाने की सुविधा उपलब्ध है। वाराणसी परिक्षेत्र में वर्तमान में डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा की कुल 1.50 लाख से ज्यादा पॉलिसियाँ हैं। एक अनूठी पहल के तहत 379 गाँवों को सम्पूर्ण बीमा ग्राम बनाया गया है।

आधार नामांकन और अद्यतनीकरण
स्कूल में बच्चों के एडमिशन से लेकर सामाजिक सुरक्षा डीबीटी योजनाओं का लाभ लेने के लिए तक आज आधार अनिवार्य है। डाकघरों के माध्यम से लोगों के आधार मुफ्त में बनाये जाते हैं, वहीं निर्धारित राशि लेकर अपडेशन किया जाता है। वाराणसी परिक्षेत्र में इस वित्तीय वर्ष में 6.5 लाख लोग डाकघरों/आईपीपीबी के माध्यम से आधार नामांकन और अपडेशन करवा चुके हैं।
कॉमन सर्विस सेंटर
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि आमजन को विभिन्न सेवाओं के लिए भटकना न पड़े और सारी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सकें, इसके लिए अब डाकघरों में भी कॉमन सर्विस सेंटर की स्थापना की गई है। यहाँ एक साथ केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों की 73 सेवाएँ प्राप्त हो रही हैं। वाराणसी परिक्षेत्र में 40 हजार से ज्यादा लोग डाकघरों के कॉमन सर्विस सेंटर से लाभ उठा चुके हैं। लगभग 10 हजार किसान डाकघरों से पीएम फसल बीमा योजना करा चुके हैं। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, पैन कार्ड और पासपोर्ट के लिए आवेदन, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम फसल बीमा योजना, ई-श्रम कार्ड, आयुष्मान भारत योजना के लिए आवेदन, मोबाईल व डीटीएच रिचार्ज, फास्टैग, बिजली, पानी, टेलीफोन, गैस के भुगतान से लेकर बस, ट्रेन और फ्लाईट की टिकट बुकिंग और आई.टी रिटर्न के अंतर्गत जीएसटी रिटर्न, टीडीएस रिटर्न, डीएससी, एलएलपी रजिस्ट्रेशन की सहूलियत भी कॉमन सर्विस सेंटर में उपलब्ध है।

महान विभूतियों और महत्वपूर्ण स्थलों पर जारी किए गए डाक टिकट
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि डाक टिकटों के संग्रह और अध्ययन की अभिरुचि को विकसित करने हेतु डाक विभाग तमाम कदम उठा रहा है। वाराणसी से जुड़े तमाम महान विभूतियों और महत्वपूर्ण स्थलों पर डाक टिकट जारी किये जा चुके हैं। डाक टिकटों और पत्र लेखन से युवाओं को जोड़ने के लिए माई स्टैम्प, फिलेटली डिपॉजिट एकाउंट, ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता, स्टाम्प डिजाइनिंग और दीनदयाल स्पर्श छात्रवृत्ति योजना जैसी तमाम अभिनव पहल की गई हैं। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’, ‘एक जिला एक उत्पाद’ और जीआई उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु इन पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किये गए हैं। मात्र 200 रुपए में वाराणसी प्रधान डाकघर स्थित फिलेटलिक ब्यूरो में फिलेटलिक डिपॉजिट एकाउंट खोलने की सुविधा है, जहाँ से घर बैठे नई डाक टिकटें और अन्य सामग्री प्राप्त होती रहेंगी। ‘माई स्टैम्प’ सेवा के तहत अब डाक टिकटों पर लोग अपनी तस्वीर भी छपवा सकते हैं। मात्र 300 रुपए के खर्च में 12 डाक-टिकटों की एक शीट बनवाई जा सकती है। वाराणसी घाट और गंगा आरती की थीम आधारित विशेष माई स्टैम्प भी वाराणसी प्रधान डाकघर में उपलब्ध है। जन्मदिन, शुभ विवाह, सालगिरह, रिटायरमेंट की थीम आधारित ‘माई स्टैम्प’ भी उपलब्ध हैं, ताकि इन पलों को डाक टिकटों के माध्यम से हमेशा के लिए यादगार बनाया जा सके।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पर विशेष मुहर
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का नव्य, भव्य व दिव्य रूप में 13 दिसंबर को लोकार्पण किया गया। इस दिन को यादगार बनाने हेतु डाक विभाग ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी पर एक स्थाई चित्रात्मक मुहर जारी किया, जिसे वाराणसी प्रधान डाकघर से देश-दुनिया को आने-जाने वाले पत्रों पर अंकित किया जाता है। इससे श्री काशी विश्वनाथ की महिमा, उसकी संस्कृति, उसकी पवित्रता सहित काशी का इतिहास देश-दुनिया तक पहुँच रहा है। इस मुहर के मध्य में मंदिर के शिखर और उस पर अंकित धर्म ध्वजा को उकेरा गया है एवं किनारे गोलाई में हिंदी व अंग्रेजी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी अंकित किया गया है। मुहर के निचले भाग में दिनांक के साथ वाराणसी प्रधान डाकघर व इसका पिनकोड – 221001 लिखा गया है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद आयोजित पहली देव दीपावली को ऐतिहासिक बनाने के लिए डाक विभाग ने देव दीपावली, श्री काशी विश्वनाथ धाम और गंगा आरती पर तीन विशेष आवरण व विरूपण भी जारी किये। देश के किसी भी कोने में रह रहे श्रद्धालु स्पीड पोस्ट से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रसाद मँगा सकते हैं। इसके तहत अपने नजदीकी डाकघर से मात्र 251 रुपए का ई-मनीआर्डर प्रवर अधीक्षक डाकघर, वाराणसी (पूर्वी) मंडल-221001 के नाम भेजना होता है। ई-मनीआॅर्डर प्राप्त होते ही डाक विभाग द्वारा तत्काल दिए गए पते पर स्पीड पोस्ट द्वारा प्रसाद भेज दिया जाएगा। अब तक साढ़े छ: हजार से ज्यादा लोग डाक विभाग के माध्यम से श्री काशी विश्वनाथ प्रसाद प्राप्त कर चुके हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’
पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि ‘आजादी का महोत्सव’ के तहत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान में डाक विभाग ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डाकघरों के माध्यम से शहरों के साथ-साथ सुदूर ग्रामीण अंचलों में तिरंगे की मात्र 25 रुपए में बिक्री की गई। इस अभियान के तहत डाककर्मियों ने विभिन्न प्रभात फेरी, रैलियाँ निकालकर देशभक्ति की सामूहिक चेतना को घर-घर पहुँचाने का कार्य किया। गंगा तट के नमो घाट (खिड़किया घाट) पर डाक विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने जनमानस के साथ मिलकर विशाल तिरंगा रैली निकाली। डाक बाँटते समय डाकिया ने भी लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित किया, वहीं सोशल मीडिया पर भी डाक विभाग द्वारा विशेष अभियान चलाया गया। वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों से 2.49 लाख तिरंगों की बिक्री की गई। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत अकीर्तित नायकों पर विशेष डाक आवरण जारी किये गए।
आॅनलाइन मॉनिटरिंग तंत्र व शिकायत निवारण प्रणाली
डाक विभाग विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। ऐसे में सेवाओं में गुणवत्ता व समयबद्ध तरीके से कार्यों का निष्पादन सुनिश्चित करने हेतु आॅनलाइन डैशबोर्ड बनाए गए हैं। डैशबोर्ड पर उपलब्ध विभिन्न रिपोर्ट्स के माध्यम से डाकघरों के कार्यों की निगरानी हर स्तर पर की जा रही है। सेवा के क्षेत्र में ग्राहक संतुष्टि हेतु प्रत्येक कार्य के लिए सिटीजन चार्टर का अनुपालन सुनिश्चित कराया जा रहा है। ग्राहक हितों का ध्यान रखते हुए समस्या समाधान व शिकायत निवारण हेतु विभागीय वेबसाइट पर आॅनलाइन शिकायत प्रणाली की व्यवस्था के साथ-साथ इंडिया पोस्ट कॉल सेंटर की भी स्थापना की गई है।
प्रशासनिक सेवा में रह कर साहित्यिक लेखन में जुड़े हैं कृष्ण कुमार यादव
- राजकीय सेवा के दायित्वों का निर्वहन के साथ कृतियों की भी सृर्जना
- अब तक कुल सात पुस्तकें हो चुकी है प्रकाशित
प्रशासनिक सेवा में रहकर चिन्तन मनन करना एवं साहित्यिक लेखन करना अपने आप में एक विशिष्ट उपलब्धि है। राजकीय सेवा के दायित्वों का निर्वहन और श्रेष्ठ कृतियों की सर्जना का यह मणि-कांचन योग विरले ही मिलता है। समकालीन साहित्यकारों में चर्चित कवि, लेखक, ब्लॉगर व चिन्तक एवं भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, सम्प्रति वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव इस विरल योग के ही प्रतीक हैं। विभिन्न विधाओं में अब तक कुल 7 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं-‘अभिलाषा’ (काव्य-संग्रह), ‘अभिव्यक्तियों के बहाने’, ‘अनुभूतियाँ और विमर्श’, ’16 आने 16 लोग'(निबंध-संग्रह), ‘जंगल में क्रिकेट’ (बाल-गीत संग्रह), ‘क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा’, ‘इंडिया पोस्ट: ग्लोरियस इयर। शब्द सृजन की ओर (केके यादव ब्लाग पोस्ट. इन) और डाकिया डाक लाया (डाक बाबू.ब्लाग पोस्ट.इन) आपके चर्चित ब्लॉग हैं । दशक के श्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगर दम्पति और परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान सहित नेपाल, भूटान और श्रीलंका सहित तमाम देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में आप सम्मानित हो चुके हैं।

10 अगस्त 1977 को तहबरपुर, आजमगढ़ (उ.प्र.) में जन्मे कृष्ण कुमार यादव ने जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आजमगढ़ एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1999 में राजनीति शास्त्र में एम.ए. किया। वर्ष 2001 में प्रथम प्रयास में ही भारत की प्रतिष्ठित सिविल सेवा में चयन पश्चात आप भारतीय डाक सेवा के अधिकारी बने। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी और रफी अहमद किदवई नेशनल पोस्टल एकेडमी, गाजियाबाद में प्रशिक्षण पश्चात जुलाई, 2003 में आपकी पहली पोस्टिंग गुजरात में सूरत मंडल के प्रवर डाक अधीक्षक के रूप में हुई। तत्पश्चात उत्तर प्रदेश में आपने असिस्टेंट पोस्टमास्टर जनरल, लखनऊ, प्रवर डाक अधीक्षक, लखनऊ मण्डल, प्रवर डाक अधीक्षक, कानपुर मण्डल, चीफ पोस्टमास्टर, कानपुर जीपीओ, प्रवर रेलवे डाक अधीक्षक, कानपुर मंडल का पदभार सँभाला। इसके बाद आप निदेशक डाक सेवाएँ के रूप में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, इलाहाबाद, जोधपुर और लखनऊ में तैनात रहे। सम्प्रति 18 सितंबर, 2020 से वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल पद पर कार्यरत हैं।
देश-विदेश के तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रशिक्षण प्राप्त किया
डाक सेवाओं के विभिन्न आयामों को लेकर देश-विदेश के तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों में आपने प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। इनमें भारतीय प्रबंध संस्थान लखनऊ और शिलांग, राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान, फरीदाबाद, भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, बंगलौर, इंफोसिस कैंपस, मैसूर, बैंकर ग्रामीण विकास संस्थान, लखनऊ प्रमुख हैं। भारत सरकार द्वारा ‘एक्जीक्यूटिव डेवेलपमेंट प्रोग्राम’ के तहत वर्ष 2009 में दक्षिण कोरिया और ‘मैनेजमेंट डेवेलपमेंट प्रोग्राम’ के तहत वर्ष 2009 में लंदन, फ्रÞांस, जर्मनी व नीदरलैंड में आपने प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘मिशन कर्मयोगी’ पहल के तहत लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में अक्टूबर-नवंबर, 2021 में आयोजित ‘कॉमन मिड कैरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम – लीडिंग टू लर्न’ में आप शामिल हुए। इसी क्रम में आपने यूनिवर्सिटी आॅफ लंदन और मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी, कैम्ब्रिज में भी आॅनलाइन ट्रेनिंग ली। साहित्य जगत में यह गौरव प्राप्त कि परिवार की तीन पीढ़ियां एक साथ हिंदी साहित्य, लेखन और ब्लॉगिंग में सक्रिय हैं। पिता श्रीराम शिवमूर्ति यादव के साथ-साथ जीवन-संगिनी आकांक्षा यादव और पुत्री अक्षिता (पाखी) भी लेखन और ब्लॉगिंग में सक्रिय हैं। कृष्ण कुमार यादव को देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। कृष्ण कुमार यादव के सम्बन्ध में पद्मभूषण गोपाल दास नीरज जी के शब्द गौर करने लायक हैं-कृष्ण कुमार यादव यद्यपि एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, किन्तु फिर भी उनके भीतर जो एक सहज कवि है वह उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निरन्तर बेचैन रहता है।