- अवसाद (डिप्रेशन) के मरीजों की संख्या दो प्रकार की है एक तो बीमारी के लक्षण जानते हुए स्वयं ईलाज को आते हैं दूसरे जिन्हें किसी के द्वारा लाया जाता है।
- वर्तमान परिवेश में खान-पान के साथ ही अनियमित दिनचर्या भी अवसाद के लिए बहुत बड़ा कारण है।
- पसर्नल, फैमिली, सोशल और प्रोफेशनल लाइफ में बैलेंस बनाकर जीवन यापन करने वाला ही खुशहाल है।
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव
वाराणसी। वर्तमान समय में लोग फिजिकली हेल्थ के प्रति सजग हैं लेकिन जहां मेंटली हेल्थ की बात आती है वहां उनके पास जवाब नहीं होता, जबकि फिजिकली हेल्थ से ज्यादा महत्वपूर्ण है मेंटली हेल्थ, जो जीवन को खुशहाल बनाता है यह कहना है न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ० अखिलेश पांडेय का,
‘जनसंदेश टाइम्स’ से खास मुलाकात में डॉ० अखिलेश पांडेय ने बताया कि बदलते जीवन शैली में अवसाद (डिप्रेशन)तेजी से बढ़ता हुआ एक बीमारी है जिसे अब ईलाज से ठीक किया जा सकता है। वर्ष 2003 में कानपुर से एमबीबीएस कर बीएचयू से विज्ञान की पढ़ाई आगे बढ़ाते हुए 2008 में पीजी व एमडी करने वाले डॉ० अखिलेश पांडेय वर्ष 2009 से लोगों का ईलाज कर रहे हैं। बताते हैं कि वर्ष 2019 में रिपोर्ट के बाद यह देखा गया कि पूरी दुनिया में 16 से 20 फीसदी मरीज अवसाद से ग्रसित हैं, इनमें अमेरिका में ज्यादा मरीज हैं, बताते हैं कि अब भारत में यह रोग तेजी से बढ़ रहा है कारण बदलता जीवनशैली, लेकिन इस समस्या का समाधान ईलाज से संभव है। बस समय से रोगी को पहचान कर चिकित्सक की सलाह लेना जरुरी है।
दो तरह के होते हैं अवसाद के मरीज
डॉ० अखिलेश पांडेय बताते हैं कि अवसाद (डिप्रेशन) से ग्रसित मरीज दो प्रकार के होते हैं एक तो जिन्हें मालूम होता है कि उनके द्वारा किया गया कार्य या तो कुछ गलत हो रहा है या फिर वह गलत कर रहें हैं, उन्हे अपने गलत कार्य करने का एहसास होता है, ऐसे में वह स्वयं चिकित्सक के पास जाते हैं और अपनी समस्या को बताते हुए उसका ईलाज कराते हैं दूसरे मरीज होते हैं जिनके द्वारा गलत कार्य किये जाने के बाद भी उन्हें अपने द्वारा किये गये कार्य की गलती का एहसास नहीं होता ऐसे मरीज को उनके परिजन पकड़ कर चिकित्सक के पास ले आते हैं, ईलाज दोनों का संभव है।

अनिद्रा, नशा, नकारात्मक विचार अवसाद के कारण
डॉ० अखिलेश पांडेय कहते हैं कि अनिद्रा भी एक कारण है अवसाद के लिए, साधारणत एक व्यस्क को सात आठ घंटे की नींद की आवश्यकता है किंतु, अवसाद में व्यक्ति अपनी निद्रा का लाभ नहीं ले पाता, उसकी नींद सुबह बहुत जल्दी खुल जाती है या वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। इसके साथ ही कुछ लोग नशा करने लगते हैं कि वे हरदम वास्तविकता से दूर रहें क्योंकि उनमें इसे स्वीकार करने की शक्ति नहीं होती। जीवन के उतार चढ़ाव को बर्दाश करने की क्षमता उनमें नहीं होती। कैफीन (कॉफी), चाय, जंक फूड इत्यादि से भी गलत प्रभाव पड़ता है। सिगरेट (धूम्रपान) अथवा तंबाकू सेवन से अवसाद का कारण है। लगातार नकारात्मक विचार वाले भी अवसाद से ग्रसित होता है।
चार पिलरों की बैलेसिंग है खुशहाली का राज
डॉ० अखिलेश पांडेय बताते हैं कि चार पिलर को जीवन में बैलेंस कर जीवन में खुशहाली ला सकते हैं, इनमें एक है पसर्नल, दूसरा प्रोफेशनल, तीसरा फैमिली और चौथा सोशल प्लेटफार्म इन चारों पिलरों को बैलेसिंग कर जीवन को खुशहाल बना सकते हैं, कहा कि मेंटली खुशहाली के लिए इन चारों पिलरों की बैलेसिंग जरुरी है।
समय पर चिकित्सक से सलाह जरुर लें
डॉ० अखिलेश पांडेय बताते हैं कि किसी के भी परिवार में ऐसे बच्चे या फिर व्यस्क जो अपने कार्यो के विपरित जाने लगे तो समझे कि वह अवसाद की ओर अग्रसर हैं समय से चिकित्सक की सलाह लेकर ईलाज जरुर कराएं इसके साथ ही व्यायाम को अपने जीवन में तरजीह दें।