जौनपुर (Jaunpur) अटाला मंदिर-मस्जिद विवाद अब इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इस मामले की सुनवाई आज होने वाली थी, लेकिन कोर्ट ने अब इसे 16 दिसंबर तक टाल दिया है। इस सुनवाई में मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा करने वाले स्वराज वाहिनी एसोसिएशन (एसवीए) को अपना जवाब दाखिल करना होगा।
Jaunpur: मुकदमे की पोषणीयता पर होगा निर्णय
इलाहाबाद हाईकोर्ट को मुख्य रूप से यह तय करना है कि जौनपुर की सिविल कोर्ट में मस्जिद को मंदिर बताकर वहां पूजा-अर्चना का अधिकार दिए जाने की मांग करने वाले मुकदमे की सुनवाई की जा सकती है या नहीं। कोर्ट को इस मुकदमे की पोषणीयता पर अपना फैसला देना है।
स्वराज वाहिनी एसोसिएशन का दावा
हिंदू पक्ष ने स्वराज वाहिनी एसोसिएशन के प्रतिनिधि संतोष कुमार मिश्रा के माध्यम से जौनपुर की सिविल कोर्ट में एक वाद दायर किया था। इसमें 14वीं शताब्दी की संपत्ति को ‘अटाला देवी मंदिर’ घोषित करने और सनातन धर्म अनुयायियों को वहां पूजा-अर्चना का अधिकार देने की मांग की गई थी।
मस्जिद कमेटी की चुनौती
इस मामले में मस्जिद कमेटी ने स्थानीय अदालत के मई 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। मस्जिद कमेटी का कहना है कि हिंदू पक्ष का मुकदमा कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है। उनका यह भी कहना है कि एसवीए सोसायटी के नियम उन्हें इस तरह के मामले में शामिल होने की अनुमति नहीं देते और संपत्ति हमेशा से मस्जिद के रूप में उपयोग की जाती रही है।
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हिंदू पक्ष का दावा
हिंदू पक्ष का कहना है कि यह संपत्ति मूल रूप से 13वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र द्वारा निर्मित ‘अटाला देवी मंदिर’ थी। उनका दावा है कि फिरोज तुगलक के शासनकाल में मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण किया गया। यह मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है, जहां 16 दिसंबर को सुनवाई होगी।