वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर, हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता भी अद्वितीय है। 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया, जिसने इस पवित्र स्थल को एक नया रूप दिया। इस परियोजना ने न केवल मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार किया बल्कि इसे आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया, जिससे यह विश्वभर के सनातनियों के लिए आस्था का प्रतीक बन गया।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: उद्देश्य और महत्व
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना का मुख्य उद्देश्य मंदिर को गंगा नदी से जोड़ना और श्रद्धालुओं के लिए एक भव्य एवं सुव्यवस्थित तीर्थ स्थान का निर्माण करना था। इस परियोजना ने मंदिर परिसर की पहुँच को आसान बनाया और इसे आधुनिक धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया।
परिसर में बदलाव: संकरी गलियों से भव्य कॉरिडोर तक
2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस परियोजना की आधारशिला रखी गई। मात्र दो वर्षों में, यह परियोजना पूर्ण हुई। संकरी गलियों और पुराने भवनों को हटाकर एक विशाल परिसर तैयार किया गया। गंगा नदी से मंदिर तक सुगम मार्ग बनाया गया। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए रैंप, एस्केलेटर, वॉशरूम, कैफेटेरिया, और हरियाली की सुविधाएं जोड़ी गईं, जिससे क्षेत्र का स्वच्छता स्तर भी बढ़ा।

प्राचीन धरोहरों का पुनरुद्धार
परियोजना के पहले चरण में 300 से अधिक भवनों का अधिग्रहण किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान कई प्राचीन मंदिर और मूर्तियां उजागर हुईं। कहा जाता है कि औरंगजेब के आक्रमण के समय स्थानीय निवासियों ने शिवलिंगों को छिपा दिया था। खुदाई के दौरान मिले इन प्राचीन शिवलिंगों और मूर्तियों को मंदिर परिसर में उचित स्थान दिया गया।
प्रमुख चरण और विशेषताएँ
भूमि अधिग्रहण: 300 भवनों का अधिग्रहण कर प्राचीन मंदिरों को उजागर किया गया।
डिज़ाइन और संरचना: भारतीय और अंतरराष्ट्रीय वास्तुकारों की मदद से कॉरिडोर को डिज़ाइन किया गया।
सौंदर्यीकरण: गंगा घाट से मंदिर तक की गलियों को चौड़ा किया गया।
परिसर का विस्तार: 5 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में भव्य संरचनाओं का निर्माण किया गया।
विशेष आकर्षण: विशाल प्रवेश द्वार, मंदिर चौक, गंगा व्यू पॉइंट, धर्मशालाएं, और हरित क्षेत्र।

धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने वाराणसी की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को नई ऊंचाई दी। मंदिर तक आसान पहुँच और आधुनिक सुविधाओं ने श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि की। तीन वर्षों में करोड़ों श्रद्धालुओं ने मंदिर में हाजिरी लगाई।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
परियोजना ने वाराणसी को एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में उभारा। स्थानीय दुकानदारों, होटल मालिकों, और गाइड्स को लाभ हुआ। पर्यटन के कारण क्षेत्रीय व्यापार और राज्य के राजस्व में वृद्धि हुई।
चुनौतियां और समाधान
भूमि अधिग्रहण और पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण में कई कठिनाइयां आईं। गंगा के पास निर्माण करना इंजीनियरिंग की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण था। लेकिन प्रशासन और विशेषज्ञों की सूझबूझ ने इन चुनौतियों का समाधान निकाला।
Highlights
वैश्विक धार्मिक केंद्र के रूप में वाराणसी
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना ने वाराणसी को न केवल एक आधुनिक तीर्थ स्थल बनाया बल्कि इसे भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक भी बना दिया। यह प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का ऐसा उदाहरण है, जो आने वाले वर्षों में धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण की प्रेरणा बनेगा।

