- फातिमा बीबी हजरत मो. साहब की बेटी व हसन हुसैन की थीं मां
- फातमान का नाम फातिमा बीबी के नाम पर पड़ा
- जश्ने विलादत पर अकीदतमंदों ने खिलायी मिठाइयां
राधेश्याम कमल
वाराणसी। हजरत मोहम्मद साहब (सं.) की बेटी एवं हसन हुसैन की मां खातून जन्नत बीबी फातिमा का रौजा दरगाहे फातमान में है। फातिमा बीबी का जन्म मक्का में हुआ था। उन्होंने सारी दुनिया की महिलाओं को जीवन यापन का मार्गदर्शन दिया। फातिमा बीबी को खातून जन्नत के नाम से जाना जाता है। दरगाहे फातमान का नाम भी फातिमा बीबी के नाम पर पड़ा है। यहां पर उनके रौजे पर चाहे हिंदू हो या फिर मुसलमान सभी लोग आकर अपनी-अपनी मन्नतें मानते हैं।
जनाबे फातिमा का जश्ने विलादत (जयंती) हर साल पूरे देश व दुनिया में पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ मनायी जाती है। इस साल भी 13 जनवरी शुक्रवार को बनारस में मनायी जायेगी। इस दिन से लेकर लगातार तीन दिनों तक शहर भर में जयंती को लेकर विभिन्न आयोजन किये गये हैं। इसको लेकर शहर के कई स्थानों पर महफिले सजायी जायेगी। बीबी फातिमा की जयंती का जश्न जन्मदिन की पूर्व संध्या यानि गुरुवार को शुरू हो गया। गुरुवार को सुबह फातमान स्थित जनाबे फातिमा बीबी के रौजे पर हाजी सैय्यद फरमान हैदर के नेतृत्व में अकीदतमंदों ने दुआख्वानी की।
इस मौके पर हैदर मौलाई ने कलाम पेश किया। तकरीर फरमान हैदर ने किया। इस मौके पर सब्बीर हसन, शेर अली, बच्चा अली, छोटे साहब, डा. रिजवी, हसन अली एडवोकेट, फिरोज हुसैन, शौकत खान, समर बनारसी, आमीर हुसैन समेत काफी अकीदतमंद शामिल थे। पूर्व संध्या पर बजरडीहा मस्जिद हसनैन, दालमंडी स्थित शाहिद अली के आवास, दोषीपुरा, पठानीटोला, प्रहलादघाट, अर्दलीबाजार आदि इलाकों में भी बीबी फातिमा के जश्ने विलादत का आगाज हो गया।
लोगों ने जश्ने विलादत पर एक-दूसरे को मिठाइयां भी खिलायी। कदीमी महफिल कालीमहल में 13 जनवरी को अपराह्न तीन बजे आयोजित होगी। यह महफिल सलमान हैदर के संयोजन में होगी। जबकि जेपी टावर में खवातीन की महफिल नुजहत फातमा के संयोजन में होगी। 13 जनवरी को मुकीमगंज स्थित इमामिया अरबी कालेज में कदीमी महफिल का आयोजन सायंकाल सात बजे किया गया है।

मक्का में हुआ था बीबी फातिमा का जन्म
शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हजरत अली समिति के सचिव हाजी सैय्यद फरमान हैदर बताते हैं कि जुम्मा अपने आप में ईद का दिन माना जाता है। मुस्लिम समुदाय में जुम्मे का एक अलग ही महत्व है। इसी दिन बीबी फातिमा की 1451वीं जयंती मनायी जायेगी। बीबी फातिमा का जन्म 1451 साल पहले मक्का में हुआ था। फातमान में फातिमा बीबी का रौजा है जहां पर सभी वर्ग के लोग आकर अपनी-अपनी मन्नतें मानते हैं। मोहर्रम में दो महीना 8 दिन दरगाहे फातमान में जैसी रौनक शहर में कहीं भी नहीं देखने को मिलती है। यह शिया समुदाय का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल है। बीबी फातिमा का एक और रौजा सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में भी मौजूद है। बीबी फातिमा का जन्म हर साल हिजरी कैलेण्डर के हिसाब से 20 जमादी उस्सानी को मनाया जाता है।
फातिमा बीबी के रौजे में पुरुषों का प्रवेश वर्जित
दरगाहे फातमान के मुतवल्ली शफक रिजवी बताते हैं कि फातमान में फातिमा बीबी का जो रौजा है उसमें पुरुषों का प्रवेश वर्जित है। इसमें सिर्फ खवातीन (महिलाएं) ही अंदर प्रवेश कर इबादत करती हैं। यहां पर शेख अली हाजी की मजार है। उनको राजा चेतसिंह ने इस फातमान की जमीन को भेंट किया था। बाद में शेख अली हाजी ने इसको बीबी फातिमा को दे दिया। बाद में उन्होंने फातमान को शिया समुदाय को भेंट कर दिया।
दरगाहे फातमान में तीन मस्जिदें हैं जिसमें ईदगाह, मस्जिद रसूले खुदा, मस्जिद मौला अली है। इसमें बीबी फातिमा का रौजा, हजरत अली का रौजा, इमाम हुसैन का रौजा, हजरत अब्बास का रौजा, उम्मुबनीन का रौजा है। इसके साथ ही बीबी फातिमा की बड़ी बेटी बीबी जैनब का रौजा, पोती बीबी शकीना का रौजा भी है।

जनाबे फातिमा बीबी की जयंती पर यहां होगा आयोजन
शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हजरत अली समिति के सचिव हाजी सैयद फरमान हैदर ने बताया कि 13 जनवरी को कालीमहल जेपी टावर और इमाम बारगाह इमदाद और फुरकान काली महल में महफिल का आयोजन होगा। उसके बाद इमाम हसन का दस्तरखान सजेगा।
महफिल में शिरकत करने वालों में प्रो. अजीज हैदर, असगर आजमी, इमरान हैदरी, डॉ शफीक हैदर, अतश बनारसी, अतहर बनारसी आदि शायर अपने कलाम पेश करेंगे। वहीं मौलाना जमीर उल हसन की अध्यक्षता में जव्वादिया अरबी कॉलेज के समस्त छात्र सामूहिक दुआखानी करेंगे। छात्रों में कई बच्चे कलाम भी पेश करेंगे। श्री हैदर ने बताया उसी दिन एक सदी पहले से ही इमाम हसन का दस्तरख्वान सजाया जाता है और लोग दस्तरख्वान पर दावत खाते हैं। जयंती का यह सिलसिला 3 दिनों तक जारी रहेगा।
दरगाहे फातमान में आकर मिलता है सुकून
दरगाहे फातमान में फातमान निवासी अनिल सोनकर बचपन से आते हैं। वे यहां आकर अपनी मन्नत मान कर इबादत भी करते हैं। गुरुवार को भी फातिमा बीबी की जयंती की पूर्व संध्या पर अपनी छोटी बच्ची अनन्या के साथ आये हुए थे। बातचीत में बताया कि यहां पर आकर उन्हें एक सुकून सा मिलता है। वे कैंट रेलवे स्टेशन के समीप अपनी प्राइवेट कार्य करते हैं।
- अनिल सोनकर।
हीरावती फातमान में 18 साल से आ रही हैं
गोलगड्डा निवासिनी महिला हीरावती पिछले 18 सालों से दरगाहे फातमान में आ रही है। उनके साथ उनकी बेटी रिंकी (बड़ी गैबी) भी आती है। मां-बेटी .यहां आकर अपनी मन्नत मानती हैं। वह हर गुरुवार को यहां पर हाजिरी लगाती हैं।
- हीरावती, गोलगद्दा।