भारतीय संस्कृति में नमस्कार या नमस्ते का बहुत महत्व हैं जो दूसरों को सम्मान प्रकट करने के लिए किया जाता हैं। नमस्कार शब्द का अर्थ होता हैं कि मैं आपको नमन करता हूँ। नमस्ते का भी यही अर्थ होता हैं। हालाँकि दोनों में एक सूक्ष्म अंतर होता हैं जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएँगे।
इसके साथ ही नमस्ते करने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं, इसके बारे में भी हम आपको विस्तार से बताएँगे। आइए जानते हैं भारतीय संस्कृति में नमस्कार या नमस्ते करने के फायदों के बारे में।
नमस्कार या नमस्ते करने के फायदे
नमस्कार और नमस्ते में क्या अंतर है
नमस्कार मुख्यतया अपनों से बड़ो को किया जाने वाला अभिवादन हैं। इसके अलावा यह किसी समूह को भी किया जा सकता हैं। भगवान को भी नमस्कार किया जाता है, नमस्ते नही। इस अनुसार नमस्कार शब्द का प्रयोग सामान्यतया अपने से बड़े, गुणकारी व दैवीय शक्तियों को किया जाता हैं।
अब बात करते हैं नमस्ते की। नमस्ते शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैं: “नमः” अर्थात प्रणाम व “ते” अर्थात तुम्हे। इसका अर्थ हुआ कि “तुम्हे प्रणाम”। नमस्ते शब्द का प्रयोग सामान्यतया अपने समकक्षो के लिए प्रयोग में लाया जाता हैं। यदि कोई उम्र या गुणों में आपके बराबर हैं तो उसको नमस्ते किया जाता हैं।
नमस्कार कैसे करते हैं
नमस्कार करने के लिए आपको अपने दोनों हाथो को पास लाकर अंगूठे व हथेलियों को आपस में मिलाना होता हैं। आपके दोनों हाथ आपके एक दम सामने होने चाहिए व छाती पर टिके होने चाहिए। सिर का नीचे श्रद्धा भाव से झुका हुआ होना चाहिए। मन के अंदर किसी भी प्रकार की कोई कटुता का भाव नही होना चाहिए तभी नमस्कार का भावार्थ सार्थक होता है।
नमस्कार करने के लाभ
जब आप अपनों से बड़ो को नमस्कार करते हैं तो इसका ना केवल धार्मिक अपितु वैज्ञानिक महत्व भी होता हैं। इससे विभिन्न प्रकार के लाभ हमे मिलते हैं जो शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होते हैं। आज हम ऐसे ही कुछ लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
नमस्कार करने का वैज्ञानिक लाभ
हाथ के तंतु मस्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। जब आप हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो आपकी दोनों हथेलियाँ आपस में दबती हैं जिस कारण मस्तिष्क के तंतुओं पर इसका प्रभाव पड़ता हैं। इस कारण हृदयचक्र व आज्ञाचक्र में सक्रियता आती है तथा वे पहले से बेहतर काम करते हैं।
नमस्कार करने का धार्मिक या आध्यात्मिक लाभ
वैज्ञानिक लाभ के साथ-साथ इसका धार्मिक महत्व भी हैं जो मन में अच्छी भावनाओं का विकास करता हैं। दरअसल हमारे शरीर में दायीं ओर झड़ा व बायीं ओर पिंगला नाड़ी होती है। हाथ जोड़ने से दोनों एक दूसरे के पास आती है व सिर श्रद्धा से झुका होता है जिससे अच्छी व सकारात्मक भावना का विकास होता है। इससे बड़ो के प्रति हमारे मन में श्रद्धा का भाव बढ़ता हैं जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता हैं।
नमस्कार करने का मनोवैज्ञानिक लाभ
यदि आप ध्यान दे, तो पाएंगे कि जब आप नमस्कार करते हैं और दोनों हाथ आपस में जुड़े होते हैं तो ऐसी मुद्रा में आप जोर से या चिल्ला कर नही बोल पाते हैं। इसी के साथ आप इस मुद्रा में क्रोध नही कर पाते हैं व ना ही हाथ जोड़कर तेज भाग सकते हैं। यह एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक दबाव होता है जो व्यक्ति को स्वाभाविक तौर पर विनम्र स्वभाव का बनाता है।
नमस्कार करने का एक्यूप्रेशर लाभ
यह एक प्रकार की एक्यूप्रेशर पद्धति भी हैं जिसमे आप अपने हाथ के विभिन्न पॉइंट्स को दबाते हैं। जब हम हाथ जोड़कर नमस्कार करते है तो इससे हाथ व उँगलियों के कई पॉइंट्स पर दबाव पड़ता है जो हमारे कान, आँख व दिमाग से जुड़े होते हैं। इससे इन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे मनुष्य की याददाश्त तेज होती हैं व स्मरण शक्ति बढ़ती हैं।
नमस्कार करने का रक्त संचार लाभ
हमारे आधे शरीर में सकारात्मक आयन व बाकि आधे शरीर में नकारात्मक आयन होते है। इसलिए नमस्कार करते समय जब हम अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हैं तो उससे सकारात्मक व नकारात्मक आयन एक दूसरे के संपर्क में आते हैं व ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह क्रिया हमारे शरीर में रक्त संचार को बेहतर करने के लिए एक उत्तम प्रक्रिया होती हैं।
Anupama Dubey