• About
  • Advertise
  • EPaper
Friday, August 1, 2025
No Result
View All Result
Hindi News,Breaking News, Latest News, Political News
E-PAPER
english news
  • होम
  • देश-विदेश
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
      • वाराणसी
      • प्रयागराज
      • अयोध्या
      • लखनऊ
      • गोरखपुर
      • कानपुर
  • राजनीति
  • एंटरटेनमेंट
    • बॉलीवुड
    • हॉलीवुड
    • टॉलीवुड
    • भोजपुरी
    • टीवी
    • वेब सीरीज
    • मूवी रिव्यु
  • धर्म कर्म
  • बिज़नेस
  • हेल्थ
  • खेल
  • साइंस
    • टेक्नोलॉजी
    • ऑटोमोबाइल
  • लाइफस्टाइल
    • फैशन
    • स्वास्थ्य
    • ट्रैवेल
    • खान-पान
  • एजुकेशन
  • अजब गजब
  • स्पेशल स्टोरी
  • Web Story
  • होम
  • देश-विदेश
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
      • वाराणसी
      • प्रयागराज
      • अयोध्या
      • लखनऊ
      • गोरखपुर
      • कानपुर
  • राजनीति
  • एंटरटेनमेंट
    • बॉलीवुड
    • हॉलीवुड
    • टॉलीवुड
    • भोजपुरी
    • टीवी
    • वेब सीरीज
    • मूवी रिव्यु
  • धर्म कर्म
  • बिज़नेस
  • हेल्थ
  • खेल
  • साइंस
    • टेक्नोलॉजी
    • ऑटोमोबाइल
  • लाइफस्टाइल
    • फैशन
    • स्वास्थ्य
    • ट्रैवेल
    • खान-पान
  • एजुकेशन
  • अजब गजब
  • स्पेशल स्टोरी
  • Web Story
No Result
View All Result
Hindi News,Breaking News, Latest News, Political News
No Result
View All Result
Home धर्म कर्म

जन्म से लेकर मृत्यु तक गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय

by Lucknow Tutorial Team
November 6, 2023
in धर्म कर्म
0
जन्म से लेकर मृत्यु तक गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन परिचय
0
SHARES
40
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

कलियुग में जन्मे गोस्वामी तुलसीदास जिन्हें त्रेतायुग के महर्षि वाल्मीकि का ही एक रूप माना जाता हैं। जिन्हें सनातन धर्म में अतुलनीय स्थान प्राप्त हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी ने हिंदू धर्म के सर्वप्रसिद्ध व प्रेरणादायक ग्रंथ वाल्मीकि रचित रामायण का अवधि भाषा में विस्तृत अनुवाद किया था जिसे आज हम रामचरितमानस के नाम से जानते हैं। उनके द्वारा रचित रामचरितमानस रामायण का ही एक विस्तृत रूप था जिसमें उन्होंने हर घटना का विस्तारपूर्वक वर्णन किया था व साथ ही कई और घटनाओं को भी जोड़ा था।


तुलसीदास जी का जन्म भारतवर्ष के ऐसे कालखंड में हुआ था जब हमारा देश मुगल आक्रांताओं के अधीन था और उनके बर्बर अत्याचार सह रहा था। तुलसीदास जी का भी कई बार मुगल आक्रांता अकबर के साथ सामना हुआ था तथा उनकी रक्षा करने स्वयं भक्त हनुमान आये थे। आज हम आपको गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म से लेकर मृत्यु तक घटे हर मुख्य घटनाक्रम के बारे में संक्षेप में विवरण देंगे।


तुलसीदास का जीवन परिचयः तुलसीदास जी का जन्म कब हुआ
तुलसीदास जी भारतीय इतिहास व हिंदू धर्म में प्रमुख लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं। ठोस प्रमाण न होने के कारणकिसी पर भी पूर्णतया विश्वास नही किया जा सकता है। सभी मतों के अनुसार उनका जन्म 14वीं से 15वीं शताब्दी के बीच ही बताया गया हैं।


तुलसीदास का जन्म कहाँ हुआ था

इनके जन्मवर्ष के अनुसार ही जन्मस्थान को लेकर भी स्थिति अस्पष्ट है। कई मान्यताओं के अनुसार इनका जन्म उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बताया गया हैं, जैसे कि:राजापुर (वर्तमान चित्रकूट के निकट)सोरों शूकर क्षेत्र गोंडाकासगंज इत्यादि। हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तुलसीदास जी का जन्म स्थान सोरों क्षेत्र को ही निर्धारित किया जा चुका है। इसलिए अब हम गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्मस्थान को सोरों क्षेत्र मान सकते हैं।

तुलसीदास जीको वाल्मीकि जी का पुनर्जन्म माना जाता हैं
कहते हैं कि त्रेतायुग में जब महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी थी तब वे इसे दिखाने कैलाश पर्वत पर शिवजी के पास जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्हें हनुमान जी मिले थे। वहां उन्होंने देखा कि हनुमान जी पहले से ही और उनसे उत्कृष्ट हनुमद रामायण को हिमालय के पत्थरों पर अपने नाखूनों से लिख दिया था। कलियुग में जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ और उन्होंने वाल्मीकि लिखित रामायण को रामचरितमानस के रूप में एक विस्तृत रूप दिया और हनुमान चालीसा भी लिखी तो उन्हें ही वाल्मीकि जी का पुनर्जन्म माना गया।

तुलसीदास जी का परिवार
इनके माता-पिता का उल्लेख भी अलग-अलग काव्यों के आधार पर मिलता हैं। तुलसीदास जी के पिता का नाम आत्माराम दुबे व माता का नाम हुलसी था। उनका विवाह रत्नावली नामक स्त्री से हुआ था जिससे उनका तारक नाम का पुत्र हुआ। हालाँकि तारक का अपनी यौवन अवस्था में ही देहांत हो गया था।

तुलसीदास जी का बचपन
तुलसीदास जी के जन्म के कुछ दिनों में ही उनकी माँ का देहांत हो गया था। उनके पिता ने तुलसीदास जी को चुनियां नाम की एक दासी को सौंप दिया था व स्वयं वैराग्य ले लिया था और अपने प्राण त्याग दिए थे। इसलिए उनका पालन-पोषण चुनियां के द्वारा ही किया गया था। माना जाता है कि तुलसीदास जी अपनी माँ के गर्भ में 12 महीनों तक रहे थे। जन्म के समय वे एक दम हष्ट-पुष्ट शिशु थे जिसके सभी दांत भी निकल आये थे। एक और प्रबल मान्यता के अनुसार, जन्म के समय तुलसीदास जी रोये नही थे व उनके मुहं से पहला शब्द राम निकला था।

तुलसीदास जी का शुरूआती जीवन यात्रा
इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। हालाँकि कुछ भिन्न मान्यताओं के अनुसार इनका जन्म अलग कुल में होना भी माना जाता हैं। चूँकि प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में होना ही माना गया है। इस कारण इन्हें अपना जीवनयापन भिक्षा मांगकर ही करना पड़ता था।


तुलसीदास के गुरु कौन थे व उनकी शिक्षा
इसके बाद उन्हें वैष्णव संप्रदाय के गुरु नरहरिदास ने अपने गुरुकुल में स्थान दिया व उनका नाम तुलसीदास रखा। उन्होंने ही तुलसीदास जी को शिक्षा देना प्रारंभ किया। शुरुआत में ही इनकी राम भक्ति देखकर गुरु ने इन्हें रामायण का ज्ञान देना शुरू कर दिया। तुलसीदास जी को भगवान राम से अत्यधिक प्रेम था, इसलिये उन्होंने संपूर्ण रामायण को कंठस्थ कर लिया व उसका रहस्य जानने लगे।

तुलसीदास की पत्नी की कहानी
तुलसीदास जी अपनी पत्नी रत्नावली को बहुत प्रेम करते थे। एक दिन जब उनकी पत्नी मायके गयी हुई थी तब तुलसीदास जी यमुना नदी को पार करके अपने ससुराल पहुँच गए थे। यह देखकर उनकी पत्नी बहुत नाराज़ हो गयी व उन्होंने तुलसीदास जी को बहुत डांट लगाई। उनकी पत्नी ने एक श्लोक के माध्यम से तुलसीदास जी को उपदेश दिया कि “इस हाड़ मांस से बने शरीर से आप जितना प्रेम करते हैं, उतना ही प्रेम यदि आप स्वयं भगवान राम को कर लेंगे तो भव सागर को पार कर जायेंगे”। अपनी पत्नी के द्वारा कहे गये इस कथन को सुनकर तुलसीदास जी के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आया। उन्होंने अपनी पत्नी का त्याग कर दिया व वैराग्य जीवन अपना कर साधु बन गये। इसके बाद उन्होंने सभी वेदों, उपनिषदों, संस्कृत भाषा, साहित्य का गहन अध्ययन शुरू कर दिया।श्रीराम के जीवन पर आधारित यह पुस्तक रामचरितमानस के रूप में पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध हो गयी। स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी गंगा किनारे रामचरितमानस का पाठ रामभक्तों को प्रतिदिन सुनाया करते थे।

तुलसीदास और मुगल अकबर
उस समय भारतवर्ष पर मुगलों का आधिपत्य था व हिंदुओं पर बर्बर अत्याचार हो रहे थे। मुगल आक्रांता अकबर के विरुद्ध आवाज़ उठाने वालों में एक तुलसीदास जी भी थे। जब अकबर ने गोस्वामी जी की प्रसिद्धि को दूर-दूर फैलते हुए पाया तो उसने अपनी सेना को तुलसीदास जी को बंदी बनाने का आदेश दे दिया। अकबर के आदेश पर तुलसीदास जी को पकड़कर उसके दरबार में लाया गया। अकबर ने उनके सामने एक मृत शरीर को रखा। इसके बाद उन्होंने तुलसीदास जी को अपनी शक्ति के द्वारा उसमे जीवन डालने का कहकर उनका उपहास किया। तुलसीदास जी ने अकबर के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया और कहा कि “यह सब मिथ्या हैं तथा वे केवल प्रभु राम को ही अपना भगवान व राजा मानते हैं”।

तुलसीदास और हनुमान जी की कहानी
जब तुलसीदास जी फतेहपुर सिकरी के कारावास में बंद थे तब भी उन्होंने राम व हनुमान भक्ति नही छोड़ी थी। यही रहकर उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना कर दी थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लिखी हनुमान चालीसा का निरंतर 40 दिनों तक पाठ किया था। अंतिम दिन आश्चर्यजनक रूप से फतेहपुर सिकरी को असंख्य बंदरों की भीड़ ने चारों ओर से घेर लिया। बंदर नगर के हर घर में घुस गए व सभी सामान को इधर-उधर फेंकने लगे। उन्होंने कारावास पर भी भीषण आक्रमण कर दिया। यह देखकर अकबर की सेना में आंतक फैल गया और उन्होंने तुरंत तुलसीदास जी को स्वतंत्र कर दिया। बंदरों के आक्रमण से दुष्ट अकबर की सेना में इतना ज्यादा आंतक फैल गया था कि वे उस नगर को हमेशा के लिए छोड़कर चले गए थे।

तुलसीदास व हनुमान मिलन
इसके बाद तुलसीदास जी वाराणसी जाकर रहने लगे व वहां के घाट पर प्रतिदिन रामचरितमानस की कथा का पाठ करने लगे। दिनभर लोगों की भीड़ उनका पाठ सुनने आती किंतु एक वृद्ध व कुष्ठ रोगी प्रतिदिन सबसे पहले आता व अंत में जाता। कुछ दिन तुलसीदास जी ने उस पर इतना ध्यान नही दिया किंतु अंत में वे उस वृद्ध व्यक्ति को पहचान गये। एक दिन जब सब भक्त उनका पाठ सुनकर चले गये थे तब भी वह वृद्ध व्यक्ति वहां बैठा था। तुलसीदास जी उनके निकट गए व चरणों में गिर पड़े। उन्होंने उस व्यक्ति से अपने वास्तविक रूप में आने को कहा। वह मनुष्य कोई और नही अपितु स्वयं हनुमान जी थे। यह देखकर तुलसीदास जी ने पहली बार हनुमान जी के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया।

तुलसीदास व राम मिलन
जब तुलसीदास जी हनुमान से मिले थे तब उन्होंने उनके सामने श्रीराम से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी। हनुमान ने उन्हें इसके लिए चित्रकूट जाने को कहा। इसके बाद तुलसीदास जी चित्रकूट के रामघाट जाकर रहने लगे। एक दिन वे कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा कर रहे थे तभी उन्हें दो मनुष्य (एक सांवला और एक गौर वर्ण का) घोड़े पर जाते हुए देखे। तुलसीदास जी ने उन्हें अनदेखा कर दिया। बाद में हनुमान जी ने उन्हें बताया कि वे दोनों श्रीराम और लक्ष्मण थे। यह सुनकर तुलसीदास जी को बहुत दुःख हुआ। यह देखकर हनुमान ने उन्हें अगली सुबह फिर से श्रीराम के दर्शन होने को कहा। अगली सुबह तुलसीदास जी चंदन घिस रहे थे। तभी श्रीराम उनके पास एक बच्चे के रूप में आये किंतु इस बार तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान लिया था। वह बच्चा उनसे चंदन का लेप मांग रहा था लेकिन तुलसीदास जी उन्हें देखकर जड़ से हो गए थे। यह देखकर श्रीराम के रूप उस बच्चे ने अपने हाथों से उस चंदन को लिया। फिर उस चंदन को उसने अपने माथे पर और फिर तुलसीदास जी के माथे पर लगाया और वहां से चले गए।

तुलसीदास जी की मृत्यु
इसके बाद तुलसीदास जी पुनः वाराणसी आ गए। यह उनके जीवन के अंतिम दिन थे। मृत्यु से पहले उन्होंने उसी जगह पर एक हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया जहाँ उनकी हनुमान से भेंट हुई थी। उस मंदिर को आज वहां संकटमोचन हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता हैं जो देश-विदेश में अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। मंदिर निर्माण के पश्चात उन्होंने उसी अस्सी घाट पर समाधि ले ली और अपने प्राण त्याग दिए। उनकी मृत्यु के वर्ष को लेकर सभी एकमत हैं जो सन 1623 ईसवीं (संवत 1680) मानी गयी है। आज उस घाट को तुलसीघाट के नाम से भी जाना जाता हैं। इस घाट पर हर वर्ष करोड़ो की संख्या में श्रद्धालु हनुमान जी व तुलसीदास जी से आशीर्वाद लेने आते हैं।

तुलसीदास जी की रचनाएं
गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में हिंदू धर्म के दो सबसे मुख्य ग्रंथों की रचना की जो हैं रामचरितमानस व हनुमान चालीसा। इसके अलावा भी तुलसीदास जी के द्वारा कई रचनाएँ की गयी, जो इस प्रकार हैं: दोहावली, विनयपत्रिका, कवितावली, वैराग्य संदीपनी, तुलसी सतसई इत्यादि।

Anupama Dubey

Related Posts:

  • India : जानिए भारत का नाम "भारत" कैसे पड़ा और कैसी…
  • रामायण की तारा का संपूर्ण जीवन परिचय
  • रामायण निर्देशक स्वर्गीय व पूजनीय रामानंद सागर जी का…
  • कब मिली थी दादरा एवं नगर हवेली को आजादी (Liberation…
  • समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों के नाम के नाम तथा…
  • भगवान ब्रह्मा व्दारा दिए गये वरदान के अधिकारी…
Tags: गोस्वामी तुलसीदासजीवन-परिचय
Previous Post

भगवान शिव के धाम केदारनाथ से जुड़े 5 ऐसे रहस्य जानकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे

Next Post

खाने का मन है कुछ चॉकलेटी तो घर पर ही बनाये चॉकलेट पीनट बार

Next Post
खाने का मन है कुछ चॉकलेटी तो घर पर ही बनाये चॉकलेट पीनट बार

खाने का मन है कुछ चॉकलेटी तो घर पर ही बनाये चॉकलेट पीनट बार

Web Stories

10 Things to know about The Kerala Story
Rashifal: 21 अप्रैल से वृहस्पति बदलेंगे अपनी चाल, राशियों पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव
ब्लैक साड़ी में खुबसूरत दिखीं South Actress Keerthy Suresh
गोल्डन लहंगे में दुल्हन बनीं एक्ट्रेस Mrunal Thakur
बदलने वाली है ग्रहों की चाल, राशियों पर पड़ेगा ये प्रभाव

Recent Posts

  • काशी को कल PM Modi देंगे 2200 करोड़ की सौगात: दालमंडी चौड़ीकरण की रखेंगे आधारशिला, सेवापुरी में विशाल जनसभा
  • Varanasi: चौबेपुर का 100 मीटर सड़क बना ‘नासूर’, सड़क पर धान की रोपाई कर लोगों ने जताया विरोध, 9 साल से अधूरी पड़ी है जर्जर सड़क
  • Varanasi: सीर गोवर्धनपुर की बदहाली स्थिति से असमंजस में लोगों की जिन्दगी, स्थानीय जनता ने की प्रधानमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की अपील
  • Varanasi: टूट सकता है वर्ष 1978 का रिकोर्ड, गंगा के रौद्र रूप से हजारों लोगों का जीवन प्रभावित, 5 सेमी प्रतिघंटे की रफ़्तार से बढ़ रहा जलस्तर
  • IIT-BHU के प्रोफेसर की पत्नी आठवीं मंजिल से लगाई छलांग, मौत, काफी समय से अवसादग्रस्त
  • Varanasi: जिलाधिकारी ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और राहत शिविर का किया निरीक्षण, प्रभावितों को हरसंभव सहायता का दिलाया भरोसा
  • Wrestling Competition: स्टेट चैंपियनशिप के लिए वाराणसी कुश्ती टीम घोषित, 24 पहलवान दिखायेंगे दमखम, 7 महिला रेसलर पेश करेंगी चुनौती
  • BHU को मिला नया नेतृत्व: IIT कानपुर के प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी बने विश्वविद्यालय के 29वें कुलपति
  • Varanasi: “बेटी का निकाह कराओ, वरना 10 गोली मारेंगे”, हिंदू परिवार को कादरी की धमकी और मारपीट, मुकदमा दर्ज
  • Varanasi: चेतावनी बिंदु से कुछ ही दूर है गंगा का जलस्तर, 2 सेमी प्रतिघंटे की रफ़्तार से बढ़ रही गंगा, प्रभावित लोग पलायन को मजबूर

Categories

About Us

Jansandesh Times

Category

  • अजब गजब
  • अपराध
  • अयोध्या
  • उत्तर प्रदेश
  • एजुकेशन
  • एंटरटेनमेंट
  • ऑटोमोबाइल
  • कानपुर
  • खान-पान
  • खेल
  • गोरखपुर
  • टीवी
  • टेक्नोलॉजी
  • टॉलीवुड
  • ट्रैवेल
  • देश-विदेश
  • धर्म कर्म
  • प्रयागराज
  • फैशन
  • फ़ोटो गैलरी
  • बिज़नेस
  • बॉलीवुड
  • भोजपुरी
  • मूवी रिव्यु
  • राजनीति
  • राज्य
  • लखनऊ
  • लाइफस्टाइल
  • वाराणसी
  • वेब सीरीज
  • साइंस
  • स्पेशल स्टोरी
  • स्वास्थ्य
  • हेल्थ
  • हॉलीवुड

Recent Posts

  • काशी को कल PM Modi देंगे 2200 करोड़ की सौगात: दालमंडी चौड़ीकरण की रखेंगे आधारशिला, सेवापुरी में विशाल जनसभा
  • Varanasi: चौबेपुर का 100 मीटर सड़क बना ‘नासूर’, सड़क पर धान की रोपाई कर लोगों ने जताया विरोध, 9 साल से अधूरी पड़ी है जर्जर सड़क
  • Varanasi: सीर गोवर्धनपुर की बदहाली स्थिति से असमंजस में लोगों की जिन्दगी, स्थानीय जनता ने की प्रधानमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की अपील
  • Varanasi: टूट सकता है वर्ष 1978 का रिकोर्ड, गंगा के रौद्र रूप से हजारों लोगों का जीवन प्रभावित, 5 सेमी प्रतिघंटे की रफ़्तार से बढ़ रहा जलस्तर
  • IIT-BHU के प्रोफेसर की पत्नी आठवीं मंजिल से लगाई छलांग, मौत, काफी समय से अवसादग्रस्त
  • About
  • Advertise
  • EPaper

© 2022 Jansandesh Times

No Result
View All Result
  • होम
  • देश-विदेश
  • राज्य
    • उत्तर प्रदेश
      • वाराणसी
      • प्रयागराज
      • अयोध्या
      • लखनऊ
      • कानपुर
      • गोरखपुर
  • राजनीति
  • एंटरटेनमेंट
    • हॉलीवुड
    • बॉलीवुड
    • टॉलीवुड
    • टीवी
    • भोजपुरी
    • वेब सीरीज
    • मूवी रिव्यु
  • धर्म कर्म
  • अपराध
  • बिज़नेस
  • हेल्थ
  • खेल
  • साइंस
    • टेक्नोलॉजी
    • ऑटोमोबाइल
  • लाइफस्टाइल
    • फैशन
    • स्वास्थ्य
    • ट्रैवेल
    • खान-पान
  • एजुकेशन
  • अजब गजब
  • स्पेशल स्टोरी
  • Web Story
  • E-Paper
  • English News

© 2022 Jansandesh Times

10 Things to know about The Kerala Story Rashifal: 21 अप्रैल से वृहस्पति बदलेंगे अपनी चाल, राशियों पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव ब्लैक साड़ी में खुबसूरत दिखीं South Actress Keerthy Suresh गोल्डन लहंगे में दुल्हन बनीं एक्ट्रेस Mrunal Thakur बदलने वाली है ग्रहों की चाल, राशियों पर पड़ेगा ये प्रभाव
Verified by MonsterInsights