Mahakumbh Crowd: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस वक़्त देश के सबसे बड़े मेले का आयोजन किया गया है। यह मेला कोई और नहीं बल्कि महाकुंभ मेला है। जिसकी चर्चा इस वक़्त बच्चे-बच्चे तक कर रहे हैं। 144 वर्षों के बाद बने संयोग के चलते जहाँ एक ओर महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए पहुँच रहे हैं। वहीं दूसरी ओर काशी में भी श्रद्धालुओं का पलट प्रवाह शुरू हो चूका है।
काशी में इस वक़्त लाखों-लाख श्रद्धालु गंगा स्नान, बाब विश्वनाथ और बाबा काल भैरव के दर्शन के लिए पहुँच रहे हैं। हालात ये हो गये हैं कि मात्र 3 दिन में 35 लाख श्रद्धालु काशी पहुंच चुके हैं, जिसके चलते काशी की भव्य देव दीपावली में आने वाले श्रद्धालुओं का भी रिकॉर्ड टूट चूका है।
Mahakumbh Crowd: गोदौलिया से मैदागिन तक ड्रोन से केवल नजर आ रहे नरमुंड
गौरतलब है कि काशी में पहली बार एक साथ इतने श्रद्धालु पहुंचे हैं। गौदोलिया से लेकर मैदागिन तक सिर्फ और सिर्फ लोग ही नजर आ रहे हैं। सड़क की बात क्या करें गलियों में भी पैर रखने की जगह नही बची है। विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए लगी लाइन ने तो सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। मंदिर परिसर से शुरू हुई लाइन बांसफाटक, चौक, नीचीबाग़, कर्णघंटा, मैदागिन फिर उसे यु-टर्न कर वापस मैदागिन, बुलानाला तिराहा, नीचीबाग़, चौक, बांसफाटक तक लाया गया है।

ऐसे में आप सोच भी नहीं सकते की एक यात्री को बाबा के दर्शन प्राप्त करने में कितने घंटों का समय लग रहा होगा। यात्रियों के बीच धक्का-मुक्की का माहौल रहा। कैसे-कैसे करके श्रद्धालु बाबा के दरबार में प्रवेश कर रहे हैं और मात्र 1 से 2 सेकंड के लिए भक्तों को बाबा के दर्शन प्राप्त हो रहे लेकिन सिर्फ उतने में भी भक्तों का मन गदगद हो जा रहा और सभी लगातार हर-हर महादेव के नारे लगते हुए एक दुसरे का हौसला बुलंद करते हुए चल रहे हैं।
लॉज, गेस्ट हाउस सब हाउसफुल
शहर के सभी छोटे-बड़े होटल, लॉन्ज, गेस्टहाउस सभी पूरी तरीके से हाउसफुल हैं। हालाँकि इस भीड़ के चलते वाराणसी की इकोनॉमी काफी भलीभांति बूस्ट हुई है लेकिन शहर का क्राउड मैनेजमेंट फेल हो गया है। दशाश्वमेध घाट, विश्वनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में भारी भीड़ के चलते जबरदस्त जाम लग गया है।

घरों से पैदल निकलने को मजबूर काशीवासी, बढ़ रही दुश्वारियां
स्थानीय लोग अपने-अपने घरों से पैदल निकलने को मजबूर हो चुके हैं और अगर उनका काम टालने योग्य है तो वह उसे टाल भी दे रहे हैं। जाम की स्थिति यह है कि जो रेला काशी में श्रद्धालुओं का उमड़ा है उससे पांच किलोमीटर से भी अधिक जाम शहर में देखने को मिल रहा है, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भीड़ को देखते मैदागिन से लेकर गौदोलिया तक के क्षेत्र को नो-व्हीकल ज़ोन बना दिया गया है। बात अगर प्रशासनिक व्यवस्था की करें तो लाखों श्रद्धालुओं के इस पलट प्रवाह के चलते शहर के कई प्रमुख इलाकों में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई है। बाबा काशी विश्वनाथ की तरफ जाने वाले VIP रूट बंद करने पड़े हैं।

वाराणसी के बॉर्डर सील
भीड़ के मद्देनजर वाराणसी के बॉर्डर भी सील हैं, सिर्फ लोकल नंबर प्लेन की गाड़ियां ही शहर के अंदर आने दी जा रही है। भीड़ इतनी अधिक थी कि प्रशासन की तमाम तैयारी के बावजूद भीड़ को नियंत्रित करने में कठिनाई आई। सिर्फ UP-65 की गाड़ियों को ही शहर में प्रवेश करने दिया जा रहा है। बच्चों के स्कूलों को भी 5 फरवरी तक बंद कर दिया गया है। यातायात व्यवस्था और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए अधिकारीयों की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गयी है।
पुलिस कमिश्नर ने खुद संभाला मोर्चा
बावजूद इसके पैदल चलने वाले यात्रियों की भीड़ इतनी ज्यादा है कि सभी व्यवस्थाएं चरमरा गयी है। वाराणसी कमिश्नरेट की सभी पुलिस अधिकारी सड़क पर उतर कर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं। वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने खुद इसका मोर्चा संभाला है और उनके साथ एडिशनल पुलिस कमिश्नर एस चिनप्पा और एडीसीपी काशी ज़ोन टी. सरवरण भी प्रमुख इलाकों का भ्रमण करते हुए व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन इस बेतहाशा भीड़ के चलते कि सभी प्रशासनिक अधिकारीयों के पसीने छुट गये हैं।

गोदौलिया से मैदागिन नो व्हीकल जोन
पुलिस आयुक्त के निर्देशानुसार महाकुंभ को देखते हुए बड़े वाहन शहर के बाहर निर्धारित पार्किंग स्थल पर ही खड़े होंगे। गोदौलिया से मैदागिन मार्ग पर जगह-जगह नो व्हीकल जोन के बैनर लगवाए गए। वहीं महाकुंभ तक गोदौलिया से मैदागिन के बीच वीआईपी, प्रोटोकॉल और पुलिस की गाड़ियां नहीं चलेंगी। सिर्फ जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा वाले विशिष्टजन ही गोदौलिया से मैदागिन के बीच कार से आ-जा सकेंगे।
Highlights
वहीं 29 जनवरी को मौनी अमावस्या भी है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रयागराज में कुंभ स्नान के लिए 7-8 करोड़ लोग पहुचंह सकते हैं और इसी के साथ ही कि 50 लाख से अधिक लोग स्नान के बाद अयोध्या या वाराणसी का भी रुख कर सकते हैं।