
वाराणसी | सात वार नौ त्यौहार के शहर बनारस में इस वक़्त तीज की धूम है। तीज पर्व से पहले ही महिलाएं तीज की मस्ती में डूबी और तीज की शॉपिंग करती नजर आ रही है। अब तीज का त्यौहार जो कि सोहल श्रृंगार का त्योहार होता है, वो हो और बिना शॉपिंग के पूरी हो जाए ये तो हो नहीं सकता। महिलाओं की शॉपिंग को एक अनोखा रूप देते हुए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की सोच और हर कदम पर उनके आगे बढ़ने की पहल से महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की ओर से हर साल ‘श्रावणी तीज मेला’ का अयोजन किया जाता है।


वाराणसी के शुभम बैंक्वेट हॉल में महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) द्वारा इस मेले का अयोजन किया गया है। इस मेले की शुरूआत संस्था के सभी सदस्यों ने मिलकर दीप्रज्जवलन करके की।
89 वर्ष पहले हुई थी (Mahila Mandal Kashi) की स्थापना
बात अगर संस्था की करें तो यह संस्था (Mahila Mandal Kashi) बनारस की पहली महिला संस्था है। सन् 1934 में महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की स्थापना हुई थी और तब जब महिलाओं को काफी कमजोर और उन्हें हर चीज में पीछे रखा जाता था उसको खत्म करने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए इसकी स्थापना की गयी है। यह मेला विगत 46 वर्षों से लगाया जा रहा है यानि कि इस बार इस श्रावणी तीज मेले का 46वां साल है।

टोकन लेकर मेले में मिल रही थी महिलओं को एंट्री
मेले में एंट्री करने के लिए किसी को भी एक एंट्री टोकन लेना होता है जो कि 30 रूपये में वहां मिल रहा था। हॉल के गेट के पास ही संस्था (Mahila Mandal Kashi) की संयोजिकाएं एक टीम बनाकर वहां बैठी थी और आने वाले सभी महिलाओं के वो टोकन देने के बाद ही मेले में प्रवेश करने की अनुमति दे रही थी।

मेले में लगाए गए कुल 80 स्टॉल
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की तरफ से 46वां श्रावणी तीज मेले का आयोजन किया गया है। महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) 88 वर्ष पुरानी बनारस की प्रथम महिला संस्था है। इसके द्वारा आयोजित इस मेले में करीब 70-75 स्टॉल लगाये गए हैं। एक अच्छी सोच और अपनी बेहतर कोशिश में कामयाब होने वाली यह संस्था (Mahila Mandal Kashi) हर साल इस मेले का आयोजन करती है और इससे होने वाले इनकम को वे चौरिटी के लिए इस्तेमाल करती है।

आधुनिक फैशन और मालती क्युजिन का हब
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) के द्वारा आयोजित इस मेले में आधुनिक फैशन और मालती क्युजिन का हब बखूबी देखने को मिल रहा। बात अगर स्टॉलों की करे है यह इस मेले में लगाए गए स्टॉलों पर रंग-बिरंगे परिधानों के अलावा पूजा सामग्री से लेकर सौंदर्य प्रसाधन की भी सजी वस्तुएं। कहीं कुर्ती, लहंगा सजा नजर आ रहा तो कहीं ज्वेलरी का स्टॉल महिलाओं को अपनी ओर लुभा रहा। यही वजह है कि हर स्टॉलों पर खरीदारी करने के लिए महिलाओं की भीड़ जुटी है।
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) के द्वारा लगाये गये इस बार के मेले में गुलाबी मीनाकारी, स्टोन जाली वर्क, जरदोजी मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। यही नही खरीददारी करने वाली महिलाओं का सिलसिला लगातार जारी है। मेले में महिलाएं अपनी मनपसंद सामानों की जम कर खरीदारी करती नजर आ रही हैं। हर स्टॉल पर लगी महिलाओं की भीड़ को देख कर इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

स्थनीय कारगरों के अलावा अन्य शहर के लोगों ने भी लगया स्टॉल
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) के द्वारा लगये गये इस मेले के स्टॉलों पर बनारस के अलावा कोलकाता, अहमदाबाद, कानपुर, दिल्ली, इलाहाबाद, जयपुर के उत्पाद प्रदर्शित किये गए हैं। बनारस की चटपटी चाट और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों के भी स्टॉल यहां पर लगाये गए हैं। इस मेले में स्थानीय शिल्पकारों और कारीगरों को भी स्टॉल दिए गए है। इनके स्टॉलों पर गुलाबी मीनाकारी, स्टोन जाली वर्क, जरदोजी मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं।

महिलाओं को एक मुकाम तक पहुचाने के लिए मंच का काम करता है यह मेला
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की अध्यक्ष प्रेमा अग्रवाल ने बताया कि पहले के समय से लेकर अब तक में काफी बदलाव आया है। पहले आया सिर्फ साड़ियों का ही मेला लगता था लेकिन अब यहां कुल 80 स्टॉल लगाए जाते है और यहां हर वैरायिटी मिलती है। सभी स्टॉल वालों से लेकर यहां शॉपिंग के लिए आने वाली महिलाएं सभी काफी खुश रहते हैं और उन्हें काफी प्रोत्साहित भी किया जाता है। ताकि भविष्य में वह एक मुकाम हासिल कर सकें।


पहले के समय से लेकर अब वर्तमान में कितना आया है परिवर्तन
संस्था (Mahila Mandal Kashi) की पूर्व अध्यक्ष वीना गुप्ता ने बताया कि पहले की महिलाएं सिर्फ साड़िया ही पहलती थी और उस समय जब हमने मेले की शुरूआत की थी तब सिर्फ 15-20 स्टॉल ही लगाए जाते थें लेकिन समय बदला लोग बदले और फैशन बदला जिसके बाद हमने यहां पर इस मेले को और वृहद रूप दिया। आज के समय में यहां 70 से 80 स्टॉल लगाए जाते हैं और हर साल हमें इस मेले का इंतजार रहता है।


उन्होंने यह भी बताया कि इस मेले के आयोजन के लिए संस्था (Mahila Mandal Kashi) एकजूट होकर कार्य करती है। इसके साथ ही संस्था का उद्देश्य है इसमें हमें बेहतर कामयाबी मिली है और यहां से होने वाली इनकम को हम चैरिटी के लिए इस्तमाल करते हैं।


मेले की इनकम का किया जाता है चैरिटी में इस्तमाल
मेले के उद्देश्य पर महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की मंत्रिणी पारूल देवा का कहना रहा कि समाज सेवा के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भन बनाने के लिए हमने यह मेला लगाना शुरू किया और इससे होनी वाली इनकम को हम चैरिटी में देते हैं।

हर स्टॉल अपनी-अपनी जगह है आकर्षित
महिला मंडल संस्था (Mahila Mandal Kashi) की संयोजिका पल्लवी अग्रवाल ने बताया कि इस मेले में सभी स्टॉल अपनी-अपनी जगह पर अपनी वस्तुओं से सभी को आकर्षित कर रही हैं। इस मेले में सिर्फ बनारस ही नहीं अन्य शहरों से भी कारगरों ने आकर यहां अपने स्टॉल लगाए हैं।

सन् 1934 में रत्नेश्वरी देवी के द्वारा रखी गयी संस्था की नींव
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) संयोजिका मालिनी चौधरी ने बताया कि सन् 1934 में रत्नेश्वरी देवी के द्वारा इस संस्था (Mahila Mandal Kashi) की नींव रखी गयी। महिलाएं जो घर से बाहर नहीं निकल पाती थी उनके लिए कुछ करने और महिलाओं को हर कदम पर आगे बढ़ाने के लिए महिला मंडल काशी के द्वारा इस मेले का आयोजन किया जाने लगा। ताकि महिलाएं घर से निकले कुछ करें और आगे बढ़े।


डिवाइन संस्कारशाला के स्टॉल ने किया सभी को अपनी ओर आकर्षित
महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की ओर से इस मेले में लगाए गए सभी स्टॉलों में एक ऐसा स्टॉल लगाया गया जिसने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया। इस स्टॉल की खासियत यह रही कि यहां पर प्रदर्शित किए गए सभी चीजे स्लम के बच्चों के द्वारा बनाए गए थें।

डिवाइन संस्कारशाला के को-फॉउंडर हर्ष अग्रवाल ने बताया कि यह सभी चीजें जैसे कि चाभी रिंग्स, हैंगिंग और तोरण सभी कुछ हमारे एनजीओं के बच्चों के द्वारा बनायी गयी है। यें सभी चीज हैण्डमेड हैं और इन चीजों के बिकने पर जो भी इनकम होती है उसे हम बच्चों के पढ़ाई-लिखाई और उनके भविष्य के लिए इस्तमाल करते हैं।

महिलाओं ने उठाया मेले का लुफ्त
इस मेले में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं मेले का लुफ्त उठाने के लिए आयी हैं। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया वैसे-वैसे महिलाओं की भीड़ मेले में बढ़ती गयी। अब मेला और महिलाएं, ऊपर से मेले में मिलने वाले महिलाओं के समान उसको खरीदने से कोई महिला कैसे चूक सकती है।

महिलाओं ने तीज और रक्षाबंधन से सम्बन्धित सामानों की जमकर खरीदारी की। मेले की संयोजिकाएं मंजू अग्रवाल, मालनी चौधरी व पल्लवी अग्रवाल थी। अध्यक्षा महिला मंडल काशी (Mahila Mandal Kashi) की प्रेमा अग्रवाल, मंत्रिणी पारुल देवा और उनकी टीम के संयुक्त प्रयास से यह कार्यक्रम बहुत ही सफल रहा। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए प्लास्टिक बैन थी और सभी से आग्रह था कि वह घर से अपना शॉपिंग बैग साथ लेकर आयें।