- काशी विद्यापीठ विकास खंड इलाके के पशुपालक हलकान
- टोल फ्री नंबर 1962 पर रिसीव नहीं किया जा रहा है कॉल
- गत माह लांच किया गया था ‘पशु उपचार पशुपालक के द्वार’
वाराणसी। यूपी में बीते महीने 26 मार्च को लांच ‘पशु उपचार पशुपालक के द्वार’ जनपद के काशी विद्यापीठ विकास खंड क्षेत्र में फ्लॉप साबित हो रहा है। घर बैठे अपने बीमार पशु के इलाज के लिए शासन से जारी टोल फ्री नंबर 1962 पर पशुपालकों को रेस्पॉन्स न मिलने से वह परेशान हैं। दावा था कि पशुपालक को अपना अस्वस्थ पशु लेकर अब न तो पशु चिकित्सालयों की दौड़ लगानी पड़ेगी और न ही डॉक्टर का इंतजार करना पड़ेगा। अस्वस्थ पशु की चिकित्सा पशुपालक के दरवाजे पर ही करना संभव होगा। लेकिन वस्तु स्थिति इससे उलट दिख रही है।
इस स्कीम के माध्यम से सरकार का उद्देश्य भले ही सकारात्मक हो लेकिन मकसद अंजाम तक पहुंचता नहीं दिख रहा है। बीमार पशुओं के इलाज के लिए संबंधित पशुपालक टोल फ्री नंबर पर कॉल कर रहे हैं लेकिन फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है। पीड़ित पशुपालक यह आरोप लगा रहे हैं। काशी विद्यापीठ प्रतिनिधि के मुताबिक, लहरतारा क्षेत्र के नरसिंह यादव ने बताया कि बीमार गाय का उपचार कराने के लिए जारी टोलफ्री नंबर 1962 पर किये गया कॉल रिसीव नहीं हुआ। गर्भावस्था के चलते उनकी गाय अत्यधिक पीड़ा में थी। टोलफ्री नंबर पर कोई तवज्जो न मिलने पर काशी विद्यापीठ ब्लॉक के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. लवलेश सिंह को वस्तुस्थिति बतायी गयी। डॉ. सिंह ने पहुंचकर गाय का शुरुआती इलाज किया।
इस मौके पर उन्होंने गाय को विस्तृत उपचार के लिए चांदपुर स्थित सदर पशु अस्पताल में पशु ले जाने की सलाह दी। इसी प्रकार भरथरा, छितौनी आदि गांवों के कई पशुपालकों ने सचल पशु चिकित्सा सेवा के लिए जारी टोल फ्री नंबर को लेकर शिकायत की। इधर, पशुपालन विभाग की मानें को टोलफ्री नंबर 1962 लखनऊ मुख्यालय से नियंत्रित किया जा ता है। वहां से निर्देश मिलने पर संबंधित जनपद में उपलब्ध आकास्मिक सचल पशु चिकित्सा सेवा का एंबुलेंस पशुपालक के यहां भेजते हैं। वाराणसी में ऐसे छह एंबुलेंस मुहैया कराये गये हैं।
जिले में हैं छह मोबाइल वेटनरी यूनिट
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत माह 26 मार्च को लखनऊ में 201 करोड़ रुपये की लागत से सूबे में ‘पशु उपचार पशुपालक के द्वार’ कार्यक्रम लांन्च किया था। उसी दिन वाराणसी के सर्किट हाउस परिसर में जनपद के लिए स्कीम में शामिल छह एंबुलेंस को बड़े की जोर-शोर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। उद्देश्य था कि पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना के तहत यह मोबाइल वेटरनरी यूनिट बीमार पशुओं का इलाज करेगी।

इसके लिए टोल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर पशुपालक अपने अस्वस्थ पशु के उपचार के लिए वेटरनरी यूनिट को बुला सकता है। योजना में एक बाध्यता यह भी शामिल है कि कॉल करने के एक घंटे के भीतर यूनिट को संबंधित पशुपालक के घर पहुंचकर सेवा उपलब्ध करानी है। जीपीएस सिस्टम से लैस यह यूनिट गोकुल मिशन के अंतर्गत भारत सरकार की ओर से मुहैया करायी गयी है।