वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में बंदरों के आतंक से जनता अक्सर परेशान सी रहती है। नगर निगम कई बार बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान भी चलाता है, लेकिन बावजूद इसके लोग आतंकीत ही रहते हैं। बंदरों से निजात पाने के लिए एक काशीवासी ने रास्ता ढूंढ निकाला है।
काशी की गलियों में छतों की बालकनी और रेलिंग पर लंगूरों का कटआउट लगा दिया गया है। ये कटआउट काशी के 500 से ज्यादा घरों की छतों पर लगाए गए हैं। जिसके कारण झुंड में आने वाले बंदर, कटआउट को लंगूर समझकर अपना रास्ता बदल दे रहे हैं।

लोगों का कहना है कि इसकी वजह से हम काफी राहत महसूस कर रहे हैं। वहीं ग्राफिक्स डिजाइनर गणपत ने बताया कि बंदर के आंतक को देखते हुए हमने यह लंगूर का कटआउट तैयार किया है, ताकि जो बंदर है, जिन्हें हम भगवान हनुमान जी के रूप में पूजते हैं, उन्हें भी कोई क्षति ना हो और हमलोग भी सुरक्षित रहें। सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने यह आइडिया निकाला है। इसकी डिमांड भी बहुत है, क्योंकि इसको लगाने से बंदर दूर से ही भाग जा रहे हैं। अब तक हमलोगों ने लगभग 350 कटआउट बेचा है और यह 700 रूपये का है।
हमने लंगूर का कटआउट इसीलिए लगाया है क्योंकि बंदरों से हमलोग काफी परेशान चल रहे थे। इसीलिए हमने गणपत से संपर्क किया और उन्होंने हमें यह कटआउट दिया। इसको लगाने से बंदर भाग जा रहे जिससे हमें काफी राहत है।
- वैभव सिंह, क्षेत्रीय निवासी।
कटआउट के लग जाने से हमें काफी राहत हो गई है। बंदर जो सामान नुकसान कर देते थे, अब हमारा सामान सुरक्षित रहेगा। साथ ही बंदरों के डर से जो बच्चे शाम के समय में छतों पर खेलने नहीं जाते थे, वे अब सुरक्षित रूप से जा सकेंगे।
- विनय कुमार, क्षेत्रीय नागरिक।
हमारे मोहल्ले में पहले बंदरों का खूब आतंक था। लेकिन, जब से हमने लंगूर के कटआउट का सहारा लिया है, तब से बंदरों से काफी हद तक निजात मिल गई है। बंदरों के आतंक से मुक्ति दिलाने का दावा करने वाला वाराणसी नगर निगम भी इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी से हैरान है।
- उत्सव अग्रहरि, क्षेत्रीय नागरिक।
हमारे यहां धुलने के लिए आने वाले कपड़ों को बंदर छतों पर फाड़ देते है। इसके अलावा बच्चों को भी दौड़ा लेते हैं और खाने के सामान का भी काफी नुकसान कर देते है। इसी से बचने के लिए उन्होंने लंगूर का कटआउट लगाया है। जिससे बंदरों का संख्या में कमी आ गई है।
- स्थानीय निवासी पप्पू कनौजिया।
वाराणसी में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोग लाखों रुपए की ग्रिल ओर बंद जाली लगवाते हैं। मगर सिर्फ 700 रुपए का कटआउट लोगों के लाखों रुपए बचा रहा है। अब तो लोग लंगूर के कटआउट आर्डर देकर भी बनवा रहे हैं। ऑर्डर के मुताबिक ही लंगूर के कटआउट की सप्लाई होती है। अभी तक 500 से ज्यादा पीस लंगूरों के कटआउट बेचे जा चुके हैं। रोज 12-15 बिक जा रहा है।
- राघवेंद्र यादव, दुकानदार।