No-Confidence Motion: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A ब्लॉक ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इस मुद्दे पर बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ पर विपक्ष के साथ पक्षपात और गरिमा के विरुद्ध आचरण करने का आरोप लगाया।
No-Confidence Motion: सभापति पर लगाए गंभीर आरोप
खड़गे ने कहा कि सभापति राज्यसभा में “स्कूल के हेडमास्टर” की तरह व्यवहार करते हैं और विपक्षी नेताओं को अपमानित करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़, सदन में विपक्ष के सवालों पर मंत्रियों से पहले ही सरकार का बचाव करने लगते हैं। खड़गे ने कहा, “उनका व्यवहार हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर कर रहा है।”
वरिष्ठ नेताओं को नहीं मिल रहा सम्मान
खड़गे ने कहा कि सदन में पत्रकार, लेखक, प्रोफेसर जैसे कई अनुभवी नेता हैं, लेकिन सभापति उन्हें भी प्रवचन देते हैं। उन्होंने राधाकृष्णन का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले सभापति राजनीति से परे रहते थे, लेकिन धनखड़ नियमों को छोड़कर राजनीति में अधिक सक्रिय हैं।
विपक्षी नेताओं की शिकायतें
- टीएमसी के नदीम उल हक ने कहा, “सभापति हमें बोलने का मौका नहीं देते, जबकि सत्तापक्ष को पूरा समय मिलता है।”
- सपा के जावेद अली खान ने कहा, “हम जो भी बोलते हैं, उसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया जाता।”
- राजद के मनोज झा ने सत्तापक्ष की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे हालात में लोकतंत्र कैसे कायम रहेगा।
- शिवसेना (UBT) के संजय राउत ने कहा, “सभापति संसद नहीं, सर्कस चला रहे हैं।”
- DMK के तिरुचि शिवा ने माइक बंद करने की शिकायत की और कहा कि सत्ता पक्ष की बातें सुर्खियों में आती हैं, लेकिन विपक्ष की आवाज दबा दी जाती है।
संसद में हंगामा और सदन स्थगित
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। राज्यसभा को अगले दिन तक के लिए और लोकसभा को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
राहुल गांधी ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “हम चाहते हैं कि संसद में चर्चा हो। सत्तापक्ष हमें क्या कहता है, यह मायने नहीं रखता। हमारा उद्देश्य संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना है।”
Highlights
अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि
मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र के 10वें दिन विपक्षी सांसदों ने धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को नोटिस दिया। विपक्ष ने इस कदम को “संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठाया गया मजबूरी का कदम” बताया।