Nonvage Shop Row: वाराणसी में नवरात्रि के दौरान नगर क्षेत्र में मीट, मांस और मछली की दुकानों को बंद करने के आदेश पर समाजवादी पार्टी ने आपत्ति जताई है। सपा ने नगर निगम की कार्यकारिणी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए 1988 में जारी एक शासनादेश का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट रूप से यह बताया गया है कि मांस की दुकानें किन-किन तिथियों पर बंद रखी जाएंगी।
शासनादेश में केवल महापुरुषों की जयंती और शिवरात्रि का जिक्र
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने शासनादेश की प्रति दिखाते हुए बताया कि यह आदेश 29 जून 1988 को जारी हुआ था। इसमें गांधी जयंती, महावीर जयंती, बुद्ध जयंती और शिवरात्रि के अवसर पर ही मांस की दुकानों को बंद करने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि नवरात्रि पर मीट और मछली की दुकानों को बंद कराने के पीछे भाजपा नेताओं की साजिश है। उन्होंने नगर निगम की कार्यकारिणी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि मीट की दुकानों को बंद करने से जुड़ा कोई प्रस्ताव कार्यकारिणी में 91(1) या 91(2) के तहत नहीं लाया गया। कार्यकारिणी में कोई भी फैसला तब तक मान्य नहीं होता जब तक उसे सदन में प्रस्तुत कर स्वीकृति न मिल जाए। इसके बाद शासन में भेजकर शासनादेश प्राप्त किया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया।
Nonvage Shop Row: नगर निगम प्रशासन का पक्ष
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि नवरात्रि के दौरान नगर क्षेत्र में मीट और मछली की दुकानें बंद रहेंगी। इस आदेश का कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
भाजपा पार्षद ने दी सफाई
मीट और मछली की दुकानों को बंद कराने का प्रस्ताव रखने वाले भाजपा पार्षद मदन दुबे ने कहा कि काशी एक धार्मिक नगरी है और यहां पहले से ही यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है कि मांस की दुकानें पर्दे के अंदर संचालित हों। नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर दुकानों को बंद करने का निर्णय उचित है। कार्यकारिणी में यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया।
नगर निगम में भाजपा का वर्चस्व
वर्तमान में नगर निगम की कार्यकारिणी में 12 सदस्य हैं, जिनमें 9 भाजपा के, 2 सपा के और 1 कांग्रेस के पार्षद हैं। सदन में भी भाजपा का बहुमत है। 100 वार्डों में से 66 पर भाजपा के पार्षद हैं, जबकि 10 निर्दलीय पार्षद भाजपा के समर्थन में रहते हैं। ऐसे में कार्यकारिणी में पारित कोई भी प्रस्ताव सदन में आसानी से स्वीकृत हो सकता है।
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समाजवादी पार्टी ने इस फैसले का विरोध करते हुए इसे भाजपा की राजनीतिक चाल बताया और कहा कि यह जनता के अधिकारों का हनन है। वहीं, नगर निगम प्रशासन ने साफ कर दिया है कि आदेश को सख्ती से लागू किया जाएगा।
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