- अब विद्युत पोल का उपयोग करने वालों से चार्ज वसूलने के लिए बना नया कानून
- उत्तर प्रदेश नियामक आयोग ने बनाया है कानून, सुरक्षा मानकों का रखना होगा ध्यान
- लंबे समय से दूरसंचार कंपनियां और केबल आॅपरेटर कर रहे विद्युत पोल का उपयोग
जितेंद्र श्रीवास्तव
वाराणसी। विद्युत उपभेक्ताओं के घर-घर, प्रतिष्ठान-प्रतिष्ठान और कल-कारखानों तक बिजली का करंट पहुंचाने के लिए लगाये गये पोल अब विभाग के लिए कमाई का साधन बनने जा रहे हैं। इसके लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियामवली-2022 के तौर पर नया कानून बनाया है। इसके लागू होते ही बिजली कंपनियां पोल का इस्तेमाल करने वालों से एक निर्धारित शुल्क वसूल कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. (यूपीपीसीएल) के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो प्रदेश के हर जिले में उपभेक्ताओं तक बिजली का रंकट पहुंचाने के लिए एचटी और एलटी लाइनों के तार बिछाने के लिए विद्युत पोल लगाये गये हैं। शहर और देहात क्षेत्र में लगाये गये विद्युत पोलों का इस्तेमाल सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियां, केबल आपरेटर आदि अपने नेटवर्क का केबल अपने उपभेक्ताओं तक पहुंचाने के लिए खुलेआम कर रहे हैं। इसके अलावा तमाम तरह के सरकारी और प्राइवेट फ्लैक्स बोर्ड, बैनर आदि भी लगाये जाते हैं। लेकिन उसके एवज में बिजली कंपनियों को कुछ नहीं मिलता। ऐसे में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की आय बढ़ाने के लिए विनियमावली के रूप में नया कानून बनाया है।
यूपीपीसीएल सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पहली बार दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली-2022 के तौर पर नया कानून बनाया गया है। राज्य सरकार की तरफ से विनियमावली संबंधी अधिसूचना जारी करते ही बिजली कंपनियां अपने पोल का इस्तेमाल करने वालों से वसूली कर सकेंगी। तब दूरसंचार कंपनियों और केबल आपरेटरों को बिजली के पोल के इस्तेमाल पर बिजली कंपनियों को एक निश्चित धनराशि का भुगतान करना होगा। इससे बिजली कंपनियों के राजस्व में अच्छी-खासी वृद्धि होगी। माना जा रहा है कि अतिरिक्त कमाई होने के बाद बिजली बिल में कमी आ सकती है। इसका लाभ विद्युत विभाग के उपभेक्ताओं को मिलेगा। उत्तर प्रदेश राज्य उपभेक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि प्रदेश भर में लगभग एक करोड़ से अधिक बिजली के पोल होंगे। इनसे प्रति वर्ष बिजली कंपनियों को तकरीबन 500 करोड़ रुपये की आय का अनुमान है। इससे कहीं न कहीं उपभेक्ताओं की बिजली दरों में कुछ कमी आएगी। इसका सीधे तौर पर लाभ उपभेक्ताओं को मिलना तय है।
ऐसे मिलेगा उपभोक्ताओं को लाभ
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सचिव संजय सिंह की ओर से अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) को विनियमावली की प्रति भेजी गई है। अधिसूचना जारी होते ही यह नया कानून लागू हो जाएगी। विद्युत पोल के माध्यम से होने वाली कमाई को नॉन टैरिफ इनकम माना जाएगा। यूपीपीसीएल सूत्रों की मानें तो नॉन टैरिफ इनकम के तौर पर बिजली कंपनियों को पोल से होने वाली आय का 70 प्रतिशत बिजली दर निर्धारण में शामिल करना होगा जबकि 30 प्रतिशत उनके लिए होगा। विद्युत पोल से होने वाली आय के बाबत बनाए गए नए कानून में संशोधन का अधिकार उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग को होगा।
33 केवी लाइनों के पोलों-टावरों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनायी गयी विनियमावली में कहा है कि बिजली कंपनियां अपने पोल का इस्तेमाल होने पर कमाई के साथ ही सुरक्षा मानकों का ध्यान रखेंगी। 33 केवी लाइन के विद्युत पोलों-टावरों का इस्तेमाल किसी को करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। क्योंकि एचटी लाइनों पर विद्युत दुर्घटनाओं की संभावना सर्वाधिक खतरनाक मानी जाती है।
करने होंगे सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनायी गयी विनियमावली में कहा है कि विद्युत पोल का इस्तेमाल करने वाली दूरसंचार कंपनियों और केबल आपरेटरों को टावर या उपकरण के लिए पोल के इंसुलेटर से सेफ्टी क्लीयरेंस के सारे इंतजाम करने होंगे। बिजली कंपनियों की आवश्यक सेवा की गुणवत्ता के साथ उन्हें किसी तरह का खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं होगी। दूरसंचार कंपनियों और केबल आपरेटरों को समय-समय पर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के कानूनों का अनिवार्य रूप से पालन करना होगा।
टेंडर के जरिए तय होगी किराए की दर
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की तरफ से बनायी गयी विनियमावली में कहा है कि बिजली कंपनियो को टेंडर प्रक्रिया के जरिए ही पोल के इस्तेमाल के ए४ज में किराए की दर तय करनी होगी। किसी एक कंपनी का कहीं वर्चस्व कायम न होने पाए। इसके लिए कहीं भी 50 प्रतिशत से ज्यादा पोल किसी को नहीं दिए जाएंगे। तीन वर्ष में किराया शुल्क में संशोधन किया जाएगा।
5जी तकनीक को मिलेगा बढ़ावा
यूपीपीसीएल सूत्रों की मानें तो इस नई व्यवस्था से 5जी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने ऐसी व्यवस्था की है कि यदि 5जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की आवश्यकता होगी तो उसे भी स्मार्ट मीटर लगाकर दिया जा सकेगा। तब बिजली बिल अदा करने से लेकर स्मार्ट मीटर सहित अन्य सभी खर्चों का भार संबंधित दूरसंचार कंपनी को उठाना होगा।