हम सभी यह तो जानते हैं कि सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए लेकिन उसके नियम क्या हैं, यह सभी को नही पता होते हैं। यदि पता भी होते हैं तो सभी नियम नही पता होते जिस कारण सूर्य देव को जल चढ़ाना बेकार चला जाता है या इसका पूरा लाभ हमे नही मिल पाता हैं।दरअसल सूर्य को जल चढ़ाने के नियम बनाए गए हैं व हमे सूर्य देव को अर्घ्य देते समय उनका पालन करना चाहिए। आइए जाने सूर्य को अर्घ्य देने के नियम व इसे करने का सही तरीका।
सूर्य को जल देने के नियम
सूर्य को जल देने का सही समय
कुछ लोग समझते हैं कि वे जब भी उठे तो उस समय नहा धोकर सूर्य देव को जल दे सकते हैं फिर चाहे सुबह के 9 बजे हो या उससे भी ज्यादा किंतु यह बिल्कुल भी ठीक नही हैं। सूर्य देव को जल देने का एक निश्चित समय निर्धारित किया गया हैं व हमे उसी समय सूर्य देव को अर्घ्य दे देना चाहिए।
सूर्य को जल देने का सही समय सूर्योदय का समय होता हैं। इसलिए जब भी सूर्य के उदय का समय हो रहा हो, उस समय सूर्य देव को जल चढ़ा देना चाहिए। यह समयसीमा सूर्योदय होने के एक से दो घंटे की ही होती हैं अर्थात सूर्योदय होने के बाद अधिकतम दो घंटे तक हम उन्हें जल अर्पण कर सकते हैं, उसके बाद तो बिल्कुल भी नही।
ऐसा इसलिए क्योंकि धीरे-धीरे सूर्य की किरणों का प्रभाव तेज होता जाता हैं। ऐसे में यह प्रक्रिया हमे लाभ देने के स्थान पर हानि अधिक पहुंचा सकती है। कुछ लोग सूर्यास्त के समय भी सूर्य को अर्घ्य देते हैं जो कि गलत नही कहा जा सकता। दरअसल सूर्य को अर्घ्य तब दिया जाना चाहिए जब उसकी किरणों का प्रभाव कम हो।
पूर्व दिशा की ओर मुख करने सूर्य को अर्घ्य देना
यह आवश्यक नही कि सूर्य हमेशा हमे दिखे अर्थात कभी बादलवाही का मौसम हो या धुंध या कोहरा अत्यधिक हो या फिर कोई और कारण हो जिस कारण हमे सूर्य देव के दर्शन ना हो। ऐसे में सूर्योदय होने का समय नही बदलता, इसलिए आप जल देने की प्रक्रिया ना छोड़े।
यह तो हम सभी जानते हैं कि सूर्योदय होने की दिशा पूर्व हैं व सूर्य हमेशा उदय होता है फिर चाहे हम उसे अपनी आँखों से देख पाए या नही। ऐसे में आप सूर्य ना दिखने की स्थिति में पूर्व दिशा की ओर मुख करके भी सूर्य दादा को जल दे सकते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देने से पहले स्नान
इस बात को गांठ बाँध ले कि आप बिना स्नान किये सूर्य देव को जल अर्पित ना करे अन्यथा आप इसका आधा अधुरा लाभ ही उठा पाएंगे। नहाने से हमारे शरीर के रोमछिद्र खुल जाते हैं व उनमे से गंदगी बाहर निकल जाती हैं।
सुबह के समय जो सूर्य की किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं, वे हमारे शरीर के असंख्य रोमछिद्रों की सहायता से अवशोषित होती हैं। इस कारण यदि आप बिना नहाये सूर्य को जल चढ़ाएंगे तो इस लाभ से वंचित रह जाएंगे।
सूर्य को जल हमेशा तांबे के बर्तन में ही दे
कुछ लोग अपने घर के किसी भी बर्तन में सूर्य देव को जल अर्पित कर देते हैं लेकिन विधि अनुसार यह सही नही होता है। सूर्य देव को अर्घ्य हमेशा तांबे के बर्तन में ही दिया जाना चाहिए तभी हमे इस प्रक्रिया का संपूर्ण लाभ मिल सकेगा। इसलिए आप भी आगे से इस बात का ध्यान रखे।
सूर्य भगवान को जल में क्या डालकर चढ़ाएं
आप तांबे के लोटे में शुद्ध जल के साथ-साथ कुछ और चीज़े भी इसमें डालकर सूर्य भगवान को चढ़ा सकते हैं। इस प्रक्रिया का सर्वाधिक लाभ उठाने के लिए व धार्मिक दृष्टि से भी इस जल में कुमकुम, चावल के कुछ दाने व पुष्प डाल सकते हैं। इससे जल की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
सिर के ऊपर रखे दोनों हाथ
सूर्य देव को जल चढ़ाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखे कि आपके दोनों हाथ सिर के ऊपर व सीधे हो। हाथों की दिशा आगे की ओर झुकी हुई होनी चाहिए।
आँखों का केंद्र बिंदु हो जल की धारा
जल चढ़ाते समय आपकी आँखों का केंद्र बिंदु लोटे से निकली जल की धारा होनी चाहिए। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि आप लोटे से निकलने वाली जल की धारा को ही देखे।
सूर्य मंत्र का जाप करे
जब आप सूर्य दादा को जल अर्पित कर रहे हो तो उस समय सूर्य मंत्र का भी जाप करे। इस सूर्य मंत्र में सूर्य भगवान के 12 नामों का जाप किया जाता हैं।
सूर्य का जल पैरों पर ना गिरे
सूर्य देव को जल देते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें कि जल आपके पैरों पर ना गिरे। हालाँकि जल देते समय कुछ छींटे अवश्य ही पैरों को छू सकते हैं लेकिन कोशिश करे कि यह भी आपको ना छुए। साथ ही आप जल का सदुपयोग करने के उद्देश्य से नीचे एक गमला या कोई पात्र रख सकते हैं। फिर इस पात्र से यह जल घर के पौधों में दे सकते हैं।
सूर्य को जल अर्पित करने के बाद
जब आप सूर्य भगवान को जल अर्पित कर दे तो झुककर जल को स्पर्श कर अपने माथे व आँखों पर लगाए। इसके बाद इस जल की तीन बार परिक्रमा करे व सूर्य देव को प्रणाम करे। इस प्रकार सूर्य को जल अर्पित करने की यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
Anupama Dubey