वाराणसी। हिंदी साहित्य के महान कवि जयशंकर प्रसाद की जयंती के अवसर पर संस्कृति विभाग एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में त्रिदिवसीय नाट्योत्सव का शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही जयशंकर प्रसाद जी के सराय गोवर्धन, चेतगंज स्थित आवास ‘प्रसाद मंदिर’ पर राष्ट्रीय सगोष्ठी भी आयोजित की गई।
कार्यक्रम का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री डॉ० नीलकंठ तिवारी, अध्यक्ष जितेन्द्र मिश्र एवं विशिष्ट अतिथि महेंद्र भीष्म ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान अभिजीत चक्रवर्ती ने गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत कविता कुमारी ने किया।

महाकवि की रचनाओं पर डाला प्रकाश
बसंत कॉलेज की प्रो० डॉ० शशिकला त्रिपाठी ने प्रसाद जी की रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कल्पनाशील कवि ही कोई रचनाशील हो सकता है। साथ ही उन्होंने स्त्री पक्ष पर जयशंकर प्रसाद की लेखनी कैसी रही पर प्रकाश डाला। प्रो० अनुराग यादव ने इस पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए, इस कार्यक्रम का कार्यभार उठाने वाले सभी प्रबुद्धजनों का उल्लेख किया। लखनऊ से पधारे महेंद्र भीष्म ने कार्यक्रम छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में महाकवि जयशंकर प्रसाद की रचनाओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री एवं विधायक डॉ० नीलकंठ तिवारी ने स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि प्रसाद जी का घर, यह पुण्य भूमि मेरे विधानसभा क्षेत्र में आती है। प्रसाद जी की रचनाओं के आधार पर उनकी रचनाशीलता को प्रस्तुत किया।
प्रसाद का मंदिर ‘तीर्थभूमि’
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ० जितेन्द्र मिश्र जी ने सभी आयोजकों को साभार प्रदान करते हुए “प्रसाद मंदिर” को तीर्थ भूमि बताया। उन्होंने प्रसाद जी की रचना को भग्न हृदय में चेतना पैदा करने वाली रचना के रूप में प्रस्तुत किया। इस अवसर पर काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के विद्यार्थियों द्वारा चित्रों की प्रस्तुत किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो० सुनील विश्वकर्मा ने एवं संचालन डॉ० राम सुधार सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ० सुभाष चंद यादव, डॉ० हरेंद्र नारायण सिंह, दीपेश, प्रो० सुमन जैन, प्रसाद परिवार के सभी परिजनों सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र छात्राओं ने भाग लिया।