Potholes on the Road (वाराणसी): मानसून की शुरूआती बारिश ने ही शहर के विकास कार्य की पोल खोल दी है। मलदहिया स्थित एक निजी अस्पताल के पास बारिश की वजह से सड़क धंस गई। जिससे कभी भी अनहोनी होने की आशंका बनी हुई है। धंसी हुई सड़क पर लगभग चार फीट गड्ढा हो गया है। स्थानीय नागरिक और राहगीर कभी भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। जबकि कार्यदायी विभाग इससे अनजान बना हुआ है।
स्मार्ट सिटी (Smart City) और G-20 को लेकर प्रशासनिक विभागों की ओर से तमाम विकास कार्य किए गए। हाल ही में प्रधानमंत्री सहित अन्य वीआईपी का भी शहर में जमावड़ा हुआ। लेकिन यह विकास कार्य एक बारिश भी झेल ना सकी। यह हाल शहर के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से कहे जाने वाले मलदहिया-तेलियाबाग मार्ग का है। जहां लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की आरे से निर्मित सड़क एक सिजन की बारिश में ही धरासाही (Potholes on the Road) होने लगी। सड़क किनारे का हिस्सा चार फीट गहरा हो गया। जिसे देखने से प्रतीत होता है कि उसके आगल-बगल की धरातल भी अंदर से खोखली हो गई है।

Potholes on the Road: पहली बारिश भी न झेल सकी सड़क
वहीं प्रतिदिन उक्त मार्ग से जनपद के आलाधिकारियों का भी आवागमन होता है। जिन्हें यह गड्ढा नजर नहीं आया। यह रूट शहर के व्यस्ततम रास्तों में से एक है। जहां अक्सर ट्रैफिक का प्रेशर होता है। मजे की बात तो यह है कि अधिकारियों की नजर रास्तों पर तो पड़ती है, लेकिन शायद इन गड्ढों (Potholes on the Road) पर नहीं पड़ती। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अभी तो बरसात की शुरुआत है, अभी से ही सड़कों पर गड्ढे होने शुरू हो गए। आगे की बारिश में न जाने क्या होगा। विकास के नाम पर करोड़ों रुपए काशी में बहाए जा रहे हैं, लेकिन ये रुपए भी काशी की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने में नाकाफी हैं।
Potholes on the Road: इन्हीं रास्तों से गुजरते है VIP भी
वाराणसी में इन दिनों ढेरों VIP आगमन हो रहे हैं। ऐसे में इस तरह से सड़कों पर गड्ढा होना विकास कार्यों की कुशलता पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहा है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के नाते विकास कार्यों को शासन की ओर से गति प्रदान की जा रही है। वहीं दूसरी ओर सड़कों का इस तरह से धंसना (Potholes on the Road) विकास कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहा है। लोग बस आपस में यही तर्क कर रहे कि शायद अधिकारियों को शायद इस तरह के गड्ढे नहीं दिखते या फिर वे अपनी आंखों में सूरमा लगाए हुए होते हैं। जिस कारण उन्हें ऐसे गड्ढे दिखाई नहीं देते।
सतीश कुमार सिंह ने एक राहगीर ने बताया कि रास्ते से गुजर रहा था तो सड़क धंसी (Potholes on the Road) मिली। थोड़ा ट्रैफिक होने की वजह से किनारे से गुजर रहा था। तभी बाइक का पहिया गड्ढे में आते-आते बचा।
वहीं स्थानीय नागरिक गौरव शर्मा ने बताया कि गड्ढा (Potholes on the Road) दो से तीन दिनों से है। सड़क की जल्द से जल्द मरम्मत नहीं कराई गई तो यह गड्ढा और भी बढ़ जाएगा। दिन की बात है तो लोग देख लेंगे लेकिन रात में कोई भी बाइक सवार या राहगीर इसमें गिर कर दुर्घटना का शिकार हो सकता है।
वहीं पास में स्थित रोडवेज बस अड्डे पर जाने वाले एक यात्री रामलखन ने बताया कि बैग का बोझ लेकर सड़क पार कर रहे थे। तभी कुछ दूर जाकर गड्ढे (Potholes on the Road) के पास लड़खड़ा गए।
विकास कुमार नाम के एक शख्स ने बताया कि अपने मां की तबियत ख़राब होने पर नजदीकी के एक अस्पताल में भर्ती करने ले जा रहा था। तभी बाइक किसी तरह गड्ढे में जाने से बची।