Varanasi: दीपावली का पर्व निकट आते ही काशी में पांच दिनों तक चलने वाले रोशनी के इस महोत्सव के लिए तैयारियाँ जोरों पर हैं। काशी के हर कोने में लाखों दीये जगमगाते नजर आएंगे। इस दौरान प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियों में तेजी लाई गई है, और कुम्हार अपनी पूरी मेहनत से दीये तैयार करने में जुटे हुए हैं। हालाँकि, इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स और झालरों का उपयोग बढ़ा है, परंतु मिट्टी के दीयों का आकर्षण अब भी बरकरार है।
दीपावली से लेकर देव दीपावली तक काशी और अयोध्या में लाखों दीये जलाकर पूरे क्षेत्र को प्रकाशमय बनाने की योजना है। विशेषकर देव दीपावली पर वाराणसी के 84 घाटों पर लगभग 15 लाख दीये जलाए जाने का अनुमान है। वहीं, इस साल रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार अयोध्या भी इस दीपोत्सव में नई ऊर्जा के साथ जगमग होगी। यह उम्मीद की जा रही है कि इस साल उत्तर प्रदेश में दीयों का एक नया विश्व रिकॉर्ड भी बन सकता है।

मिट्टी के दीयों के साथ-साथ कुम्हार लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां और मिट्टी के खिलौने भी बना रहे हैं। इस पर्व के लिए कुम्हार महीनों पहले से तैयारी करते हैं, क्योंकि सनातन परंपरा में दीपावली और धनतेरस पर मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों की पूजा से शुभ लाभ और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।

Varanasi: क्या बोले कुम्हार…
20 वर्षों से मूर्तियाँ बनाने वाली शारदा देवी ने बताया कि उनका पूरा परिवार इस काम में शामिल है। हालांकि, उन्होंने महंगाई की वजह से कुछ चुनौतियों का भी जिक्र किया, जैसे कि मिट्टी और अन्य सामग्रियों की कीमत में काफी वृद्धि। प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों के चलन से मिट्टी की मूर्तियों की मांग पहले की तुलना में कम हो गई है।

सावित्री देवी, जो रोज़ाना 500 दीये बनाती हैं, ने कहा कि महंगाई के कारण उनकी आमदनी पर असर पड़ा है। पहले जितनी आय होती थी, अब नहीं हो पाती, और मिट्टी भी काफी महंगी हो चुकी है। इसी तरह, छोटेलाल प्रजापति ने बताया कि उनका परिवार प्रतिदिन 1000 दीये बनाता है, लेकिन मिट्टी की कीमत में उछाल के कारण उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

फुलवरिया निवासी सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि जो मिट्टी पहले 1500 रुपये में मिल जाती थी, अब उसके लिए 4500 रुपये देने पड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार से कुम्हारों के लिए उचित कीमत पर मिट्टी की व्यवस्था कराने की अपील की, ताकि उनकी परंपरागत आजीविका को जीवित रखा जा सके। कुम्हार सियाराम प्रजापति ने भी बताया कि दीपावली पर मिट्टी के दीयों और खिलौनों की मांग बढ़ी है, लेकिन महंगाई ने उनकी राह में कई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।