Ram Mandir Kashi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को काशी पहुंचे, जहां उन्होंने खोजवा क्षेत्र में श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धालुओं और संतों की उपस्थिति में मंदिर के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम अपनी समृद्ध विरासत को अपनी आंखों से देख रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि 22 जनवरी 2024 का दिन ऐतिहासिक था, जब 500 वर्षों के संघर्ष और संतों के संकल्प के बाद रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान होते देखा गया। उन्होंने इस मंदिर के निर्माण का पूरा श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और पूज्य संतों को देते हुए कहा कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के कारण ही यह मंदिर साकार हो सका है।

Ram Mandir Kashi: सनातन संस्कृति की पहचान को दिया नया स्वरूप
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म की विशेषताओं पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग यह मानते थे कि हिंदू समाज में जाति, संप्रदाय और लिंग के आधार पर भेदभाव है, उनकी यह भ्रांति महाकुंभ के आयोजन में टूट गई। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 66 करोड़ श्रद्धालु एकत्र हुए थे, जिसमें सभी ने बिना किसी भेदभाव के स्नान किया और सनातन धर्म की सच्ची पहचान को मजबूत किया।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन दुनिया के लिए एक चमत्कार था। 45 दिनों तक चलने वाले इस भव्य और दिव्य आयोजन ने यह साबित किया कि भारत की सांस्कृतिक विरासत अटूट और अद्वितीय है।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और पुनर्निर्माण योजना
मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए स्वामी वेदांती महाराज ने बताया कि काशी के भेलूपुर क्षेत्र में स्थित यह श्रीराम मंदिर पहली बार वर्ष 1398 में निर्मित किया गया था, लेकिन बाद में मुगल शासक औरंगजेब ने इसे ध्वस्त कर दिया। इसके बाद सन 1700 में संत सियाराम दास ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। अब 325 वर्षों के बाद एक बार फिर इस मंदिर का पुनर्निर्माण कार्य शुरू किया गया है, जो 2026 तक पूरा होने की संभावना है।

स्वामी वेदांती महाराज ने मंदिर की विस्तृत योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चार मंजिला इस भव्य संरचना में संत-महंतों के निवास, अतिथि गृह, छात्रावास और अध्ययन कक्षों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर परिसर में संत सेवा, गो सेवा, वेद और शास्त्रों के छात्रों के अध्ययन के लिए निशुल्क व्यवस्था की जाएगी।
मंदिर परिसर में शोध और आध्यात्मिक प्रकल्प
मंदिर में एक शोध प्रकल्प भी संचालित किया जाएगा, जिसमें यज्ञ, वेद और भारतीय शास्त्रों पर गहन अध्ययन और शोध किया जाएगा। यह प्रकल्प सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी को इसकी शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किया जाएगा।