लक्खा मेले में शुमार रथयात्रा मेला इस वक्त वाराणसी में आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आ रहे है और भगवाना जगन्नाथ के दर्शन कर रहे हैं। ऐसे से इस मेले में मिलने वाली जो सबसे प्रसिद्ध चीज होती है वह है यहां मिलने वाली नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai)। ऐसा माना जाता है कि यहां पर यह प्रसिद्ध और तरह तरह के वेराइटी वाली नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) भगवान को भोग लगाई जाती है और लोग इसे अच्छी क्वांटिटी में खरीद कर अपने साथ घर लेकर भी जाते हैं। लेकिन खास बात यह है कि वाराणसी के रथयात्रा मेले में मिलने वाली ये नानखटाई सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है।
चलिए बताते है आपको नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) के विभिन्न वेराइटी और इसके कम से लेकर ज्यादा रेंज तक के बारे में और इसके साथ ही इनकी क्या खासियत है…

Rathyatra Mela Nankhatai : रथयात्रा मेले में मिलने वाली नानखटाई का महत्व
ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में होने वाले रथयात्रा मेले की तर्ज पर अध्यात्म नगरी काशी में भी हर साथ भगवान जगनन्नाथ की डोली यात्रा निकाली जाती है जिसे रथयात्रा का मेला कहते है। इस तीन दिवसीय मेले का इस वर्ष 221वां साल है और यह मेला सन् 1802 से लगाया जा रहा है। मनफेर के लिए भगवान जगन्नाथ 14 पहिए के रथ पर सवार होकर अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ निकलते हैं। वाराणसी के रथयात्रा से लेकर महमूरगंज रोड तक इस मेले का फैलाव होता है जो करीब एक से डेढ़ किलोमीटर का होता है।

इस मेले में हर साल भारी संख्या में श्रद्धालु आते है और जैसे-जैसे शाम होती है भीड़ की संख्या बढ़ जाती है। इस साल इस मेले की शुरूआत 20 जून से हो गई है। वर्षों पुराने इस मेले के इतिहास के साथ यहां मिलने वाली नानखटाई भी जुड़ी है जो देश-विदेश में काफी प्रचलित है।
इस मेले में बनारस की प्रसिद्ध नानखटाई की बिक्री बढ़ जाती है। मेले का समय नजदीक आते ही दुकानदार सड़क के किनारे बड़े-बड़े स्टॉल लगाते हैं। यहाँ मिलने वाली नानखटाइ की खासियत यह है कि जैसे ही आप इसे मुंह में रखते हैं वैसे ही वह घुल जाती है।
अलग-अलग किस्म की मेले में मिलती है नानखटाई
इस मेले में अलग-अलग किस्म की नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) मिलती है जिसमें देसी घी में नारियल केसर की नानखटाई, देसी घी में नारियल वनीला की नानखटाई, देसी घी में नारियल काजू की नानखटाई, काजू केसर की नानखटाई, देसी घी में काजू चॉकलेट की नानखटाई, पंचमेवा केसर नानखटाई सहित अन्य कई प्रकार की नानखटाई की वेराइटी शामिल है।
नानखटाई के दुकानदार महेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) भगवान जगन्नाथ जी का प्रसाद है और उन्हें इसका भोग लगाया जाता है। इसीलिए इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। उन्होंने अपनी दुकान के बारे में बताते हुए कहा कि मैं इस मेले में करीब 35 साल से दुकान लगा रहा हुं और इस मेले में मेरे 10 स्टॉल है जो लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मेरे यहां नानखटाई अलग-अलग फ्लेवर की हैं।
इसमें काजू, मेवा, केसर, सूजी, नारियल, बेसन की नानखटाई समेत कई तरह की नानखटाई हैं। इन नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) की कीमत 160 रुपये किलो से शुरू होकर 680 रुपये किलो तक है। इसके साथ ही 800 रुपये किलो की भी नानखटाई यहाँ पर मिलती है।
पंचमेवे की नानखटाई 680 रुपये प्रति किलो
नानखटाई में सबसे ज्यादा महंगी नानखटाई इस मेले में जो मिल रही है वह पंचमेवे की नानखटाई है जो कि 680 रुपये प्रति किलो है। काशी की नानखटाई कोलकाता और मुंबई तक जाती है।
जैसी नानखटाई वैसा उसका दाम
जैसा कि मैंने बताया कि इस मेले की नानखटाई (Rathyatra Mela Nankhatai) बहुत प्रसिद्ध है। अलग-अलग किस्मों की नानखटाई जो कि 160 रुपये किलो से लेकर 800 रुपये किलो तक की यहां पर मिलती है। जैसी नानखटाई वैसा उसका दाम होता है।