Ratneshwar Mahadev: मंदिरों व घाटों के शहर काशी में वैसे तो असंख्य मंदिर व शिवालय हैं जिनमें कई का अपना अलग ही पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व है। मणिकर्णिकाघाट के समीप चक्रपुष्करिणी तीर्थ के सामने स्थित अति प्राचीन रत्नेश्वर महादेव मंदिर भी इनमें से एक है। 7 जुलाई को काशी के मणिकर्णिकाघाट क्षेत्र के सुंदरीकरण का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करने जा रहे हैं। यह एक अद्भुत संयोग है कि रत्नेश्वर महादेव मंदिर पर सात साल पहले आकाशीय बिजली गिरी थी। इसमें मंदिर के शिखर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसको लेकर जनसंदेश टाइम्स में खबर प्रकाशित हुई थी।
इस संदर्भ में स्वागतम काशी फाउण्डेशन के संयोजक अभिषेक शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर इस मंदिर (Ratneshwar Mahadev) के संरक्षण की गुहार लगायी थी। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन कमिश्नर समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को भी इसके बारे में अवगत कराया था। कहा कि इस मंदिर के संरक्षण के लिए वे लगातार सात वर्षों तक संघर्ष करते रहे।
अब 7 जुलाई को मणिकर्णिकाघाट क्षेत्र के सुंदरीकरण के साथ ही मंदिर के संरक्षण को लेकर शिलान्यास होने जा रहा है। इसके लिए मुझे गर्व महसूस हो रहा कि रत्नेश्वर महादेव ने मुझे इसका माध्यम बनाया। कई सालों से यह मंदिर लगातार बाढ़ के थपेड़ों को झेलते हुए भारत के मंदिरों की विरासत का पताका फहरा रहा है। हर साल मंदिर गंगा के बाढ़ में डूब जाता है। कई महीने तक मां गंगा महादेव का जलाभिषेक करती हैं।
Ratneshwar Mahadev: कभी पीएम मोदी ने इस मंदिर को किया था ट्वीट
काशी में मंदिरों के संरक्षण के लिए कार्य करने वाली संस्था स्वागत काशी फाउण्डेशन के संयोजक अभिषेक शर्मा बताते हैं कि पीएम नरेन्द्र मोदी के ट्वीट के बाद रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev) पूरी दुनिया में एक बार चर्चा का विषय बन गया था। कुछ साल पहले लास्ट टेम्पल ने रत्नेश्वर महादेव मंदिर की फोटो लगा कर ट्वीट कर पूछा था कि यह मंदिर कहां पर है? इस पर कुछ ही मिनटों में पीएम नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट पर जवाब दिया था कि यह मेरी काशी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर है। जो अपने पूर्ण सौंदर्य के साथ आज भी विराजमान है।

राजा मान सिंह के सेवक ने अपनी मां रत्नाबाई की याद में कराया था निर्माण
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev) के निर्माण को लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इस मंदिर को मातृ ऋण मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर 9 डिग्री पर झुका हुआ है। किवंदतियों के मुताबिक इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है कि राजा मान सिंह के एक सेवक ने अपनी मां रत्नाबाई के लिए इस मंदिर का निर्माण किया था। जब मंदिर का कार्य पूरा हो गया तो उस सेवक ने घोषणा करते हुए कहा कि मैंने अपनी मां का ऋण चुकता कर दिया।
जैसे ही सेवक ने यह घोषणा की तभी मंदिर पीछे की ओर झुकने लगा। कहते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मां का कर्ज कभी चुकाया नहीं जा सकता है। जेम्स प्रिंसेप ने वर्ष 1820-1830 के बीच बनाये गये स्केच में रत्नेश्वर महादेव मंदिर को सीधा दिखाया है। यह मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।
Ratneshwar Mahadev: मणियों के कारण पड़ा नाम
मणिकर्णिका घाट भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और यह बनारस (वाराणसी) शहर में स्थित है। यह घाट अपने पवित्रता, धार्मिकता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मणिकर्णिका घाट पर स्थित एक महादेव मंदिर, जिसे “रत्नेश्वर महादेव” (Ratneshwar Mahadev) के नाम से भी जाना जाता है, यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर (Ratneshwar Mahadev) वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि यहां श्रद्धालुओं को आनंद और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मंदिर का निर्माण विशेष रूप से शिवलिंग के चारों ओर लगे मणियों के कारण किया गया है, जिससे इसे “रत्नेश्वर महादेव” के नाम से जाना जाता है।
रत्नेश्वर महादेव मंदिर को आसानी से पहुंचा जा सकता है और यह भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसके अलावा, यहां से मणिकर्णिका घाट की खूबसूरत दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। घाट पर स्थित श्रद्धालुओं द्वारा सान्निध्य बनाए रखे गए मणियों से यहां का नाम “मणिकर्णिका” प्राप्त हुआ है। यहां घाट के किनारे अन्य मंदिरों, यज्ञकुंडों, धर्मशालाओं और गौघाटों की भी उपस्थिति है।
Highlights
प्राचीन घाटों में से एक है मणिकर्णिका घाट
मणिकर्णिका घाट वाराणसी के पुरातन और महत्वपूर्ण घाटों में से एक है और इसे हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे मान्यता है कि जो व्यक्ति मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया जाता है, उसकी आत्मा मोक्ष को प्राप्त होती है और वह निर्वाण की प्राप्ति करता है।
इसके अलावा, मणिकर्णिका घाट गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण वाराणसी के पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां आने वाले पर्यटक घाट पर आरती, पूजा और धार्मिक रीतियों का आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा, यहां से भारतीय संस्कृति, धर्म और ऐतिहासिक गहनताओं को भी अनुभव किया जा सकता है।
सम्पूर्ण रूप से कहें तो, मणिकर्णिका घाट रत्नेश्वर महादेव मंदिर के साथ भारतीय संस्कृति, धर्म और ऐतिहासिकता का प्रतीक है। इसका यात्रियों, पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान है, जहां वे आध्यात्मिक अनुभव, शांति और पवित्रता का आनंद ले सकते हैं। इसका दौरा करना वाराणसी यात्रा का अनभिज्ञ अनुभव को पूरा करने का एक अवसर हो सकता है, जिससे मन, शरीर और आत्मा का संतुलन बढ़ सकता है।