Sawan First Day: सावन मास के पहले ही दिन श्री काशी विश्वनाथ धाम भक्ति, नवाचार और आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर नजर आया। शुक्रवार सुबह मंगला आरती के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन शुरू होते ही हर-हर महादेव के जयघोष से सम्पूर्ण धाम गूंज उठा। हजारों श्रद्धालुओं ने शिवभक्ति में डूबकर माह की शुरुआत की, वहीं प्रशासन द्वारा किए गए दिव्य स्वागत ने इस पावन क्षण को और भी ऐतिहासिक बना दिया।

इस बार श्रावण की शुरुआत शुक्रवार को होने के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा एक नवाचार किया गया, जिसने परंपरा में नए अध्याय जोड़े। श्रद्धालुओं का स्वागत मंदिर द्वार पर पुष्पवर्षा से करने की परंपरा को विस्तार देते हुए इस वर्ष पहली बार मंदिर (Sawan First Day) के शिखरों पर भी पुष्पवर्षा की गई। इसे ‘शिखर आराधना’ नाम दिया गया। यह आयोजन भगवान विश्वनाथ, भगवान दंडपाणि और भगवान बैकुण्ठेश्वर के शिखरों के समक्ष संपन्न हुआ, जहां से पुष्पों की वर्षा कर भक्तों का अभिनंदन किया गया।

पुष्पवर्षा की यह दिव्यता केवल शिवलिंग तक सीमित नहीं रही, बल्कि गर्भगृह से शुरू होकर भगवान बद्रीनारायण मंदिर तक की गई, जिसमें हरि और हर – शिव और विष्णु की संयुक्त आराधना का सुंदर प्रतीकात्मक स्वरूप दिखा। यह चरण श्री काशी की आध्यात्मिक विविधता को जीवंत करता दिखा।
Sawan First Day: तीन थालों में पुष्प और पत्रदल मां अन्नपूर्णा को समर्पित
विशेष बात यह रही कि तीन थालों में पुष्प और पत्रदल मां अन्नपूर्णा को समर्पित किए गए। इसके पश्चात यह पूजित पुष्प-पत्र श्रद्धालुओं को अक्षत प्रसाद के साथ वितरित किए गए। शुक्रवार को मातृशक्ति की आराधना (Sawan First Day) के विशेष दिन के रूप में देखा जाता है, ऐसे में मां अन्नपूर्णा को समर्पित यह भावपूर्ण चरण भक्तों के लिए अनूठा अनुभव रहा।


इस त्रिस्तरीय आयोजन का आधार शैव परंपरा की त्रैतीय विशेषता रही – त्रिशूल, त्रिपुण्ड तिलक और त्रिदल बेलपत्र, जो शिव आराधना के मूल तत्व हैं। शिव के त्रिदेव स्वरूप – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – की अवधारणा को इस आयोजन के माध्यम से मूर्त रूप दिया गया। यह आयोजन केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी उल्लेखनीय रहा।

पूरे कार्यक्रम की अगुवाई मंडलायुक्त एस. राजलिंगम ने की। उनके साथ मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा, डिप्टी कलेक्टर शम्भू शरण और तहसीलदार मिनी एल. शेखर सहित प्रशासन के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। इन सभी ने श्रद्धालुओं (Sawan First Day) पर स्वयं पुष्पवर्षा कर स्वागत किया, जो भक्तों के लिए अत्यंत विशेष क्षण रहा।

काशी विश्वनाथ धाम में हुए इस अभिनव आयोजन ने यह स्पष्ट किया कि श्रद्धा और परंपरा के साथ जब रचनात्मकता का समावेश होता है, तो भक्ति का अनुभव और भी दिव्य हो उठता है। सावन के पहले ही दिन इस विशेष आयोजन ने न केवल भक्तों को भावविभोर किया, बल्कि काशी की धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा में एक नई आध्यात्मिक लहर भी भर दी।