वाराणसी। श्री सतुआ बाबा गौशाला डोमरी में आयोजित सात दिवसीय शिवमहापुराण कथा के तीसरे दिन पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान शिव के प्रति निंदकों के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि शिवमहापुराण में भगवान शिव को निंदक हमेशा प्रिय होते हैं। निंदक का मतलब है वह व्यक्ति जो भगवान की निंदा करता है या उनका अपमान करता है, लेकिन भगवान शिव की कृपा से वही व्यक्ति असली भक्त बनता है।
निंदक का महत्व
पंडित मिश्रा ने बताया कि निंदक या नास्तिक व्यक्ति का जीवन भगवान के लिए अत्यंत प्रिय होता है, क्योंकि वह हमेशा सच्चाई की तलाश में रहता है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर यह बताया कि हम कितने भी बड़े, पढ़े-लिखे और उन्नत क्यों न हों, परंतु जीवन में सच्चाई और निष्ठा का पालन करना सबसे कठिन है। नकली जीवन जीने वालों से भगवान शिव को कोई मतलब नहीं है।

कथाएँ और उपदेश
कथा के दौरान पंडित मिश्रा ने क्रोध को जीतने की बात भी की। उन्होंने बताया कि भगवान शिव कभी भी अनायास क्रोधित नहीं होते, बल्कि उनके शरण में जाने से ही हमारे भीतर के क्रोध, वासना, अहंकार और अन्य बुराइयाँ समाप्त हो जाती हैं। वह इस बात को भी साझा करते हुए बोले कि शिव महापुराण में कहीं भी किसी देवता की निंदा नहीं की गई, केवल यह बताया गया कि शिव करुणा, कृपा और दया के प्रतीक हैं।
नारद जी की कथा
नारद जी द्वारा भगवान शिव के पास जाने और उनके द्वारा शिव जी से सम्मान प्राप्त करने की कथा को पंडित मिश्रा ने आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह सिखाने वाली बात है कि किसी भी संत या ऋषि का सम्मान करना चाहिए। शिव महापुराण में यह भी बताया गया है कि शिव को अपनी माला किसी साधक के गले में डालने में कोई संकोच नहीं होता, क्योंकि यह माला भक्त के हृदय तक पहुंचती है।
शिवमहापुराण में बताई गई शिव की महिमा
पंडित मिश्रा ने शिव भगवान की महिमा को समझाते हुए कहा कि शंकर भगवान भस्म नहीं करते, बल्कि उनके शरण में जाने पर इंसान के तमाम मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने एक उदाहरण दिया जिसमें एक महिला को कैंसर था, और उस महिला ने शिव महापुराण की कथा सुनते हुए विश्वास किया और अपना उपचार कराया। इसके परिणामस्वरूप उनका कैंसर समाप्त हो गया।

अभिमान का त्याग और परिवार में सद्भाव
कथा में पंडित मिश्रा ने अभिमान के त्याग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे हम अन्न और जल के त्याग से व्रत रखते हैं, वैसे ही हमें अभिमान का त्याग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जैसे बाजार में अगर एक खराब आलू मिल जाए तो हम बाकी आलू को फेंकते नहीं हैं, उसी प्रकार परिवार में यदि कोई सदस्य हमें पसंद न हो तो हमें उसे भी सम्मान देना चाहिए।
बेलपत्र की महिमा
कथा के अंत में पंडित मिश्रा ने बेलपत्र की महिमा को भी बताया। उन्होंने कहा कि बेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है, और जब हम विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं, तो हमें बेलपत्र को हमेशा सम्मान देना चाहिए। यदि रास्ते में बेलपत्र गिरा हो, तो उसे मंदिर के बाहर उचित स्थान पर रख देना चाहिए, क्योंकि यह भगवान शिव के लिए अत्यधिक पवित्र होता है।
Highlights
आखिर में, इस दिव्य कथा का समापन भव्य आरती के साथ हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालु उपस्थित थे।