Siberian Bird: भारत और काशी अपनी समृद्ध विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। यह आकर्षण न केवल दुनिया भर के पर्यटकों को खींचता है, बल्कि सात समंदर पार से आने वाले पक्षियों को भी अपनी ओर बुलाता है। इनमें साइबेरियन पक्षी विशेष रूप से हैं, जो हर साल सर्दियों के मौसम में भारत आते हैं। ये अद्भुत पक्षी रूस के साइबेरिया क्षेत्र से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं।
साइबेरिया, जहां नवंबर से मार्च तक तापमान माइनस डिग्री में रहता है, वहां का कठोर वातावरण इनके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। यही कारण है कि ये पक्षी (Siberian Bird) प्रवास के लिए भारत सहित अन्य गर्म क्षेत्रों की ओर उड़ान भरते हैं। भारत पहुंचने पर ये पक्षी गंगा नदी के घाटों और रेत के टीलों पर अपना बसेरा बनाते हैं। लेकिन इस बार उनकी संख्या कम और क्लाइमेट चेंज की वजह से देर से भी वाराणसी पहुंचे हैं।
प्रोफेसर चंदन हालदार ने Siberian Bird की साझा की जानकारी
इस संबंध में जब जूलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर चंदन हालदार से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि क्लाइमेट चेंज की वजह से इस बार साइबेरियन पक्षी बहुत कम ही भारत आए हैं। इसके साथ ही यह इस बार काफी देर से भी पहुंचे हैं।
बीएचयू के प्रोफेसर चंदन हालदार के अनुसार, इस साल जलवायु परिवर्तन के कारण साइबेरियन पक्षियों की संख्या में कमी आई है। बर्फबारी, तूफान और बाढ़ जैसे मौसमी बदलाव इनके प्रवास मार्ग में बाधा बन रहे हैं। इस कठिन यात्रा के कारण कुछ पक्षी रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं, जिससे गंतव्य पर पहुंचने वाले पक्षियों की संख्या घट रही है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि ये पक्षी हजारों के समूह में उड़ते हुए अफगानिस्तान और पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंचते हैं। भारत में इनका पहला पड़ाव महाराष्ट्र के बारामती स्थित ‘बिग बर्ड सेंचुअरी’ होता है। यहां से वे देश के विभिन्न हिस्सों में फैल जाते हैं। पर्यटकों के लिए इन पक्षियों (Siberian Bird) का कलरव और उनकी चपलता आकर्षण का केंद्र बन जाती है। लोग इनके साथ समय बिताते हैं, दाना डालते हैं, और इनकी सुंदरता को निहारते हैं। मार्च आते-आते, जैसे ही गर्मी बढ़ती है, ये पक्षी अपने परिवार के साथ वापस साइबेरिया लौट जाते हैं।
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