आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश में पानी को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि मांसाहार प्रोसेसिंग में बहुत ज्यादा पानी बहाया जाता है। इससे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती है। मांसाहार नहीं होगा, तो कत्लखाने खुद ही बंद हो जाएंगे। भागवत ने ये बात बुधवार को उज्जैन में सुजलाम अंतरराष्ट्रीय जल महोत्सव सम्मेलन में कही। जिसका आयोजन 27 दिसंबर से 29 दिसंबर तक हो रहा है। मुख्य आयोजन सुमंगलम पंचमहाभूत अभियान के तहत पानी बचाने का संदेश देने के लिए किया गया है। कार्यक्रम में जल संरक्षण के लिए महाकाल के आंगन में देश का पहला जल स्तंभ भी स्थापित किया है।
सम्मेलन के सारस्वत सत्र में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि पशु हत्या पानी के व्यय को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि खाने की बात किसी पर लादी नहीं जा सकती। धीरे-धीरे मन बदलता है। अपने यहां मांसाहार करने वाले लोग संयम में रहकर ही मांसाहार करते हैं। कई लोग श्रावण मास में और गुरुवार को मांसाहार नहीं करते। ऐसे मांसाहारी हैं, तो भी भारतीय हैं। उन्होंने खुद को संयम की परत में रखा है। मैं उनका समर्थन नहीं कर रहा हूं और न निषेध कर रहा हूं। शाकाहार होना वैज्ञानिक दृष्टि से अच्छा है।