रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म तो भारत की भूमि में हुआ था लेकिन बांग्लादेश और श्रीलंका के लोगों के बीच भी वे बहुत लोकप्रिय हैं। वे ना केवल एक महान कवि थे बल्कि उन्होंने कई कहानियों की रचनाएँ भी की थी। उन्हें हम भारतीय इतिहास का महान कवि, लेखक, संगीतकार व साहित्यकार भी कह सकते है। आज हम उनके बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य जानेंगे जिसके बारे में आप में से अधिकतर लोग जानते नहीं होंगे। आइए जानते हैं गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में कुछ आश्चर्यजनक तथ्य।
रबीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में 10 रोचक तथ्य
1.हम रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को भारत के राष्ट्रीय गान “जन गण मन” व बांग्लादेश के राष्ट्रगान “आमार सोनार बांग्ला” के रचयिता के रूप में जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्रीलंका के राष्ट्रगान “श्रीलंका माता” में भी उनकी मुख्य भूमिका थी।
श्रीलंका के राष्ट्रगान को लिखने का श्रेय आनंद समाराकून को जाता हैं लेकिन उन्होंने रबीन्द्रनाथ की बंगाली कविता में से इसको लिखा था। साथ ही रबीन्द्रनाथ ने श्रीलंका के राष्ट्रीय गीत को धुन भी दी हैं। कुछ लोगों का तो यह भी मानना हैं कि आनंद ने रबीन्द्रनाथ के बंगाली गीत को सिंहली भाषा में अनुवाद करके ही श्रीलंका का पूरा राष्ट्रगान लिखा था।
2.बचपन में उन्हें रबी नाम से बुलाया जाता था। उन्होंने अपने जीवन की प्रथम रचना मात्र 8 वर्ष की आयु में ही कर दी थी जो कि एक कविता थी।
3.सन 1920 ईस्वी में उनकी विश्व प्रसिद्ध रचना गीतांजलि प्रकाशित हुई थी जो कि 157 कविताओं का समूह था। इसी रचना के कारण सन 1913 ईस्वी में उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था।
4.हम में से ज्यादातर लोग यह जानते हैं कि रबीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे प्रथम भारतीय थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला था लेकिन आज हम इसमें दो बाते और जोड़ देना चाहते हैं। वे ना केवल प्रथम भारतीय बल्कि प्रथम एशियाई भी थे जिन्हें अपने साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार मिला था।
इसी के साथ आज तक केवल यूरोप के लोगों को ही नोबेल पुरस्कार मिला था। रबीन्द्रनाथ प्रथम ऐसे व्यक्ति थे जो नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे।
5.अंग्रेजों की सरकार ने रबीन्द्रनाथ की रचनाओं से प्रभावित होकर सन 1915 में उन्हें नाइटहुड (सर) की उपाधि से सम्मानित किया था।
6.सन 1919 में अंग्रेजों ने पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग के कांड को अंजाम दिया था जिसमें हजारों की संख्या में सिख व हिंदू धर्म के लोग मारे गए थे। इस कांड के बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों से मिली नाइटहुड की उपाधि को लौटा दिया था।
7.भौतिक शास्त्र में नोबेल विजेता अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी एक बार रबीन्द्रनाथ टैगोर को अपने यहां आमंत्रित किया था। उन्होंने विज्ञान और साहित्य पर विस्तृत चर्चा की थी जिसे “नोट ऑन द नेचर ऑफ़ ब्यूटी” में भी प्रकाशित किया गया था।
8.पारंपरिक शिक्षा पद्धति से टैगोर इतने खुश नहीं थे। इसलिए इसे चुनौती देने के लिए ही उन्होंने विश्व भारती विद्यालयों की स्थापना की थी। नोबेल पुरस्कार से मिलने वाली नकदी को उन्होंने इसमें लगा दिया था।
9.हम सभी महात्मा गांधी को बहुत अच्छे से जानते हैं जिनका पहले का नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्हें महात्मा की उपाधि किसने दी थी? उन्हें महात्मा की उपाधि देने वाले स्वयं रबीन्द्रनाथ टैगोर थे।
10.उन्होंने कई शैलियों पर काम किया था जैसे कि निबंध, कविताएँ, नाटक, छंद, दोहे, गीत, लघु कथाएं, उपन्यास इत्यादि। यहाँ तक कि 60 वर्ष की आयु में उन्होंने चित्रकारी करनी भी शुरू कर दी थी।
Anupama Dubey