वाराणसी। अपनी जायज मांगों को लेकर अहिंसक आंदोलन करने वाले निहत्थे किसानों – मजदूरों और नौजवानों पर लाठी -गोली चलाये जाने के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाना चाहिए। यह मांग प्रसिद्ध समाजवादी विचारक, स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व मंत्री प्रभुनारायण सिंह की 103वीं जयंती पर आयोजित समारोह में विचार व्यक्त करते हुए वक्ताओं ने शुक्रवार को कही।
प्रभु बाबू को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 1967 की संविद सरकार में प्रभुनारायण सिंह मंत्री थे। उस दौरान मेरठ के मोदी नगर में आंदोलन कर रहे श्रमिकों पर पुलिस ने गोली चला दी थी। उन्होंने न सिर्फ इसके विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था बल्कि पार्टी के सम्मेलन में निहत्थी भीड़ पर लाठी गोली के खिलाफ कानून बनाने का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया। जिसे स्वीकार कर लिया गया था।
वक्ताओं ने प्रभु बाबू के व्यक्तित्व व कृतित्व की स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि 1954 में काशी विश्वनाथ मंदिर में हरिजन प्रवेश और गुलामी के अवशेष बेनियाबाग स्थित विक्टोरिया की मूर्ति को ध्वस्त किये जाने के आंदोलन के नायक राजनारायण और प्रभुनारायण ही थे। परतंत्र भारत से लेकर स्वतंत्र भारत तक उनके संघर्षों और जेल यात्राओं की अनगिनत गाथाएं आज भी प्रेरणा दायक हैं।
समारोह में वक्ताओं ने आजाद हिंदुस्तान की जेलों में अब भी जारी गुलामी के दौर के ब्रिटिश कानूनों को तत्काल खत्म करने और जेलों में राजनीतिक बंदियों के लिए सभ्य और सम्मानजनक नियम कानून लागू करने पर जोर दिया। समारोह में प्रमुख रूप से कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अशोक पांडेय, समाजवादी विचारक विजयनारायण, प्रो० इंदीवर पांडेय, माकपा के प्रांतीय सचिव डॉ० हीरालाल यादव, नंदलाल, कुंवर सुरेश सिंह, प्रह्लाद तिवारी, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, सपा नेता गोपाल जी यादव, लालू यादव, राकेश पाठक आदि ने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो० सुरेंद्र प्रताप ने और संचालन राधेश्याम सिंह ने किया।