Success Management: सक्सेसफुल मैनेजमेंट केवल आदेश देने या निर्देशों का पालन करवाने तक सीमित नहीं है। वास्तविकता यह है कि कई बार खुद मैनेजर्स को भी हर समस्या का हल नहीं पता होता। वे भी चुनौतियों से जूझते हैं और कभी-कभी अपनी टीम के सहयोग की अपेक्षा करते हैं। ऐसे में कुछ व्यवहार ऐसे होते हैं, जिन्हें अगर सबॉर्डिनेट अपनाते हैं, तो न केवल मैनेजर का काम आसान होता है, बल्कि खुद उनकी विश्वसनीयता और करियर ग्रोथ में भी सकारात्मक असर पड़ता है। आइए जानते हैं वे चार अहम बातें जो हर मैनेजर अपने टीम मेंबर्स से सुनना चाहता है:
“मैं इसे संभाल लूंगा”
जब मैनेजर पर काम का दबाव होता है, खासतौर पर जब उनके सीनियर उनसे नई-नई अपेक्षाएं रखते हैं, तो वे चाहते हैं कि रोजमर्रा के काम खुद-ब-खुद सुचारु रूप से चलते रहें। अगर कोई सबॉर्डिनेट आगे आकर कहे कि ‘इस नियमित कार्य को मैं संभाल लूंगा, आप निश्चिंत रहें’, तो यह मैनेजर के लिए बहुत बड़ी राहत होती है। इससे न केवल सबॉर्डिनेट पर मैनेजर का भरोसा मजबूत होता है, बल्कि उस कर्मचारी की कार्यकुशलता भी सबके सामने आती है।
Success Management: “यह मेरी गलती थी”:
काम के दौरान गलतियां होना स्वाभाविक है, लेकिन उन गलतियों की जिम्मेदारी लेना बड़ी बात होती है। जब कोई सबॉर्डिनेट अपनी भूल को खुले दिल से स्वीकार करता है, तो वह एक जिम्मेदार और भरोसेमंद प्रोफेशनल की छवि गढ़ता है। मैनेजर्स ऐसे लोगों को ज्यादा महत्व देते हैं जो ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारियों को स्वीकारते हैं और सुधार के लिए तत्पर रहते हैं।
“मैं इस पर सहमत नहीं हूं”
हर बॉस चाहता है कि उनकी टीम में स्वतंत्र सोच रखने वाले लोग हों। हर बात पर ‘हां’ कहने वाले कर्मचारी संगठन को नई दिशा नहीं दे सकते। यदि कोई सबॉर्डिनेट विनम्रता से अपने मतभेद सामने रखता है और तर्कों के साथ अपनी राय व्यक्त करता है, तो वह मैनेजर की नजर में एक समझदार और मूल्यवान सदस्य बनता है। विविध दृष्टिकोण ही टीम को अधिक मजबूत बनाते हैं।
“मैं वॉलंटियर करूंगा”
जब किसी विशेष प्रोजेक्ट या नई जिम्मेदारी के लिए वॉलंटियर्स की जरूरत पड़ती है, तो जो कर्मचारी बिना झिझक आगे आते हैं, वे बॉस के फेवरेट बन जाते हैं। ऐसे मौकों पर उत्साह दिखाना न केवल अतिरिक्त अनुभव का मौका देता है बल्कि भविष्य में नई भूमिकाएं और प्रमोशन के अवसर भी खोलता है।
Highlights
संक्षेप में कहा जाए तो एक अच्छा सबॉर्डिनेट वह नहीं होता जो केवल आदेशों का पालन करे, बल्कि वह जो पहल करे, जिम्मेदारी उठाए, ईमानदारी दिखाए और अपनी सोच भी रखे। यही गुण उसे और उसकी टीम दोनों को सफलता की ओर ले जाते हैं।