धर्म एवं आध्यात्म की नगरी काशी हमेशा से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। यहां इंसान ही नहीं, बल्कि परिंदे भी यहां प्रवास के लिए आते हैं। ठण्ड बढ़ते ही साईबेरियन पक्षियों ने काशी में दस्तक देना शुरू कर दिया है। साईबेरियन पक्षी अक्टूबर से फरवरी माह तक यहां आते हैं। इसके बाद वे गर्मी बढ़ते ही हिमालय पार कर वापस साईबेरिया लौट जाते हैं। साईबेरियन पक्षियों के आने से घाटों की रौनक बढ़ जाती है। इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

इन पक्षियों का भोजन नाविकों की ओर से दिया गया सेव नमकीन होता है। पर्यटकों के आवाज़ देने पर ये चह चहाते हुए भोजन के लिए पर्यटकों की ओर बढ़ जाते हैं। इन पक्षियों का चहचहाना मधुर होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, ये पक्षी ठण्ड के मौसम में यहाँ आते हैं और अपना प्रजनन काल भी यहीं बिताते हैं।

नाविक दर्शन निषाद के अनुसार, ठण्ड के मौसम में सैकड़ों की संख्या में यहां साईबेरियन पक्षी आते हैं। ये सिर्फ पानी में रहते हैं। ठण्ड के कारण ही ये कुछ समय के लिए यहां पर आकर रहते हैं।इनके आने के साथ ही पर्यटकों के आने से नाविकों की कमाई बढ़ जाती है।
