- शासन ने अंडा कारोबार पर कसा शिकंजा, अन्य राज्यों से लाए जाने वाले अंडों की ढुलाई में भी नियमों का पालन जरूरी
- प्रदेश सरकार ने सभी डीएम को जारी किये दिशा-निर्देश, आगामी 15 अप्रैल से होगा लागू, मानकों का पालन अनिवार्य
- अन्य राज्यों से लाए जाने समेत उत्तर प्रदेश में 150 किमी से अधिक दूरी से परिवहन पर रेफ्रीजेरेटेड वाहन है आवश्यक
सुरोजीत चैटर्जी
वाराणसी। सूबे की आम जनता को गुणवत्तापूर्ण अंडा उपलब्ध कराने के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों से राज्य में अंडा आयात करने समेत यूपी के विभिन्न जनपदों में उसके परिवहन को लेकर शासन से तय नियम व शर्तों का सख्ती से पालन कराने की तैयारी की है। इस पर आगामी 15 अप्रैल से निगरानी शुरु होगी और अंडा परिवहन पर कड़ी चौकसी की जाएगी। यह कवायद इसलिए भी है कि बाजार में खराब क्वालिटी के अंडों की बिक्री पर रोक लगाना संभव हो। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006, ब्यूरो ऑफ़इंडियन स्टैंडर्ड यानि बीआईएस और उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियमन अधिनियम 1976 के नियमों का पालन कराने के निर्देश दिये हैं।
उत्तर प्रदेश कुक्कुट विकास नीति-2013 के अंतर्गत राज्य में बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म संचालित हो रहे हैं। इसके बावजूद सूबे में अन्य प्रदेशों से भी अंडों का आयात हो रहा है। अन्य राज्यों से बंद वाहनों में लंबी दूरि तय कर अंडे लाए जाने के कारण कारण अंडे खराब हो जाते हैं। ऐसे खराब अंडे मानव शरीर के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। आमलोगों को इस स्थिति से बचाने के लिए निर्धारित नियम-शर्तों का अब हर हाल में पालन करना होगा।
इसके तहत अन्य प्रदेशों से यूपी में अंडों का आयात प्रत्येक दशा में रेफ्रीजेरेटेड वाहनों यानि शीत यान में लाना होगा। ऐसे वाहनों को जीपीएस और डाटा लॉगर डिवाइस से लैस करना अनिवार्य रहेगा। जबकि उत्तर प्रदेश के अंदर 150 किमी से अधिक दूरी तक अंडों की ढुलाई भी जीपीएस एवं डाटा लॉगर डिवाइस से युक्त शीत यान से ही करनी होगी। प्रत्येक गाड़ी के साथ अंडा ट्रेडर या किसान की ओर से जारी इनवॉयस , कैशमेमो, पक्का बिल लाना होगा। साथ ही क्रेता या ट्रेडर्स का गंतव्य स्थान, दूरि समेत उसका मोबाइल नंबर उसका पूरा पता कंटेनर नंबर के साथ बिल पर दर्ज किया जाएगा।
इसी प्रकार अन्य राज्यों से अंडा मंगवाने वाले प्रत्येक ट्रेडर या वितरक संबंधित विवरण तय ई-मेल या डिजिटल माध्यम अथवा भौतिक रूप से अपर निदेशक/ संयुक्त निदेशक कुक्कुट पालन, पशुपालन निदेशालय को मुहैया कराएगा। इस आधार पर टाडाबेस तैयार करेंगे।
ऐसे भी रहेगी निगरानी
अन्य राज्यों और यूपी में उत्पादित अंडों की ट्रे और बॉक्स पर संबंधित विवरण देते हुए स्टीकर चस्पा करेंगे। कोल्डस्टोरेज या कोल्ड रूम में रखे जाने वाले अंडों पर अमिट स्याही से उसके उत्पादन की तिथि और प्रोडक्शन प्लेस दर्ज होगा। – अंडों के परिवहन और कोल्ड स्टोरेज में रखने संबंधी मानकों का पालन अनिवार्य रहेगा। कोल्ड स्टोरेज में रखने से पहले अंडों पर पैराफीन लिक्विड आदि का स्प्रे करेंगे। कोल्ड स्टोरेज से अंडा बाजार में भेजने के लिए निकालने के बाद विक्रेता को उस पर ‘शीतगृह में परिरक्षित’ शब्द, निकासी तिथि एवं उपभेग की अवधि अधिकतम तीन दिन अंकित करेगा या संबंधित स्टीकर चस्पा करेगा। एक बार कोल्ड स्टोरेज से बाहर लाए जाने के बाद अंडों को दोबारा कोल्ड स्टोरेज में नहीं रखा जाएगा। प्रत्येक अंडे को अधिकतम तीन माह के लिए कोल्ड स्टोरेज के अलग कक्ष में निर्धारित तापमान एवं अर्द्रता के दायरे में रखना होगा। उस चेंबर में ऐसा कोई प्रोडेक्ट नहीं रख सकते जो कृषि उत्पादों से विपरीत या गंधविरोधी हों।
खराब अंडों से यह है खतरा
लंबी दूरी तक बंद वाहन में अंडों का परिवहन करने से उसकी गुणवत्ता नष्ट हो जातीहै। बंद गाड़ियों से उनकी ढुलाई करते समय अंडे की नमी निकलकर आर्द्रतापूर्ण वातावरण निर्मित होने से उसके ऊपर का प्राकृतिक सुरक्षा कवच ‘ब्लूम’ नष्ट हो जाता है। उस स्थिति में अंडों पर सल्मोनेल्ला, ई-कोली, स्यूडोमोनसोआ एस्पेरजिलस, म्यूकर एवं फ्यूसारियम आदि बैक्टीरिया फंगस का संक्रमण होने का खतरा बना रहता है। परिवहन के दौरान खराब हुए अंडों से मानव में कई प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शन आदि हो सकता है, जो मनुष्य की सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
व्यापक मंथन के बाद दिये निर्देश
प्रदेश सरकार में अपर मुख्य सचिव पशुधन डॉ. रजनीश दुबे ने पोल्ट्री संचालकों, स्टेक होल्डर्स, केंद्रीय पंक्षी अनुसंधान संस्थान बरेली, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग और पशुपालन विभाग के निदेशक प्रशासन एवं विकास के साथ हुई बैठक में प्राप्त सुझावों पर मंथन करने के बाद जनता को गुणवत्तापूर्ण अंडे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यूपी के सभी जिलाधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी कर अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा है।