- आम यात्री तत्काल टिकट के लिए होते है परेशान
- समय से पहुंचने पर भी बाद का मिलता है टोकन
- आरक्षण कार्यालय के बाबूओं की है मिली भगत
वाराणसी। दिन-रविवार, समय-पूर्वाह्न 11 बजे, स्थान-सिटी स्टेशन का आरक्षण केन्द्र का काउण्टर सिटी स्टेशन के आरक्षण केंद्र पर रविवार को पूर्वाह्न दस बजकर 45 मीनट के आस-पास टिकट आरक्षण के लिए यात्री अपनी लाइन में लगे थे। कोई आरक्षण फार्म भर रहा था, तो कोई टिकट के लिए पूछताछ कर रहा था। सिटी स्टेशन पर दो आरक्षण काउण्टर बनाए गये है।
रविवार की सुबह काउण्टर पर कर्मचारियों की तैनाती थी, और दोनों कर्मचारियों की ओर से यात्रियों के लिए सामान्य आरक्षण टिकट की बुकिंग की जा रही थी। आरपीएफ के जवानों का कहीं भी अता-पता नही था। 20 बाई 15 के सिटी स्टेशन के आरक्षण हॉल में कुछ युवक जिनकी उम्र लगभग 25 से 30 के बीच होगी आपस में बात कर रहें थे। जैसे-जैसे घड़ी की सुई 11 बजने का इशारा कर रही थी, सभी युवक सक्रिय हो रहे थे, ठीक दस बजकर 58 मीनट पर सभी युवक दोनों काउण्टर पर आए और लाइन में लगे लोगों को तत्काल का हवाला देकर हटा दिया। एक-एक युवक के हाथों में तीन से चार आरक्षण फार्म थे, मजे की बात थी कि सभी फार्म पर नंबर भी लिखा था। घड़ी की सुई ने ठीक 11 बजाया तो आरक्षण कर रहे बाबू ने सभी युवक का फार्म ले लिया और टिकट बनाना शुरु कर दिया।
हमारे ठीक आगे खड़े एक युवक के चार फार्म पर मुम्बई और सूरत के सात टिकट एक साथ बनाये गये सबसे वड़ी बात थी कि सातो टिकट के लिए बारी-बारी से बाबू की ओर से टिकट का दाम नही मांगा गया, इसके अलावा दूसरे काउण्टर पर भी युवक पूरी तरह से सक्रिय थे। इन युवकों का आरक्षण करने में ही तीन से पांच मिनट का समय गुजर गया। अब युवक वहां से हट चुके थे लेकिन किसी भी युवक ने टिकट नही लिया। युवकों के जाने के बाद तत्काल के आम यात्री जब टिकट लेने गये, तो सभी ट्रेनों में वेटिंग दिखाना शुरू कर दिया।
कुछ देर के बाद युवक आए और टिकट का हिसाब करने लगे। जितना पैसा टिकट का हुआ दिया, लेकिन बाबू की ओेर से पैसे की और मांग की जा रही थी। थोड़ी देर किचकिच हुई इसके बाद युवकों ने बाबूओं की ओर से मांगी जा रही रकम को देते हुए कल फिर आने की बात कर चल दिए। इन सब बातों को मैं सुन रहा था और देख रहा था। जिन यात्री को तत्काल का कंफर्म टिकट नही मिला वो भुनभुनाते और आरक्षण बाबू को कोसते जा रहे थे। वहां खड़े लोगों ने बताया कि यहां रोज का यही हाल है। आरपीएफ की मिली भगत से दलाल सुबह फार्म पर अपना नंबर लिखवा लेते है। इस खेल में आरक्षण कर्मियों का भी योगदान है। रेलवे प्रशासन दलालों पर अंकुश लगाने का तमाम दावा करता है, लेकिन सिटी स्टेशन पर सक्रिय दलाल आम यात्रियों के टिकट पर भी अपना हक जमा लेते हैं।
लोगों की मानें, तो यही हाल सुबह दस बजे एसी आरक्षण का भी है, दलाल इसी तरह इस टिकट पर भी सक्रिय हैं। नियम तो है कि तत्काल का समय होते ही आरपीएफ के जवान आरक्षण काउण्टर पर खड़े रहें और सभी फार्मों की जांच करें, लेकिन सिटी स्टेशन पर ऐसा कुछ भी देखने को नही मिला। इस संदर्भ में सिटी स्टेशन के एसएस अशोक कुमार पाठक ने सिरे से पल्ला झाड़ लिया और कहा कि यह काम आरपीएफ का है।