Rathyatra Mela: हर साल श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम तब देखने को मिलता है जब ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इस ऐतिहासिक और धार्मिक महोत्सव में न केवल ओडिशा बल्कि देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस वर्ष 26 जून से 27 जून तक रथयात्रा का आयोजन होगा, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का भव्य श्रृंगार कर नगर भ्रमण कराया जाएगा। रथयात्रा की विशेषता केवल विशाल रथ या भक्तों की भीड़ नहीं, बल्कि भगवान के लिए तैयार किए जाने वाले विशिष्ट पोशाक भी होते हैं, जो पूरी यात्रा में उनकी दिव्यता को और बढ़ा देते हैं।
कहां तैयार होते हैं भगवान के पोशाक?
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथयात्रा के लिए जो वस्त्र तैयार होते हैं, वे ओडिशा के खुर्दा जिले के राउतपाड़ा गांव के बुनकरों की कला का परिणाम होते हैं। यह परंपरा पिछले करीब तीन दशकों से चली आ रही है। गोविंद चंद्र दास का परिवार और उनके सहयोगी बुनकर हर वर्ष इस दिव्य कार्य को अंजाम देते हैं। रथयात्रा (Rathyatra Mela) के लिए बनने वाले ये वस्त्र पूरी तरह पारंपरिक तकनीकों से तैयार किए जाते हैं। खास बात यह है कि भगवान के लिए हर साल 7 अलग-अलग पोशाकें तैयार की जाती हैं, जिन्हें रथयात्रा के विभिन्न दिनों में भगवान धारण करते हैं।
क्या होती है इन पोशाकों की खासियत?
- रथयात्रा (Rathyatra Mela) के दौरान भगवान और उनके रथ अलग-अलग रंगों और डिज़ाइनों के वस्त्रों से सुसज्जित होते हैं। इन पोशाकों को रेशमी और सूती कपड़ों से बुनकर बड़ी निष्ठा से तैयार किया जाता है।
- भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष को लाल और पीले रंग के वस्त्रों से सजाया जाता है।
- बलभद्र के रथ तालध्वज को लाल और हरे रंग के कपड़ों से सजाया जाता है।
- सुभद्रा के रथ पद्मध्वज को लाल और काले रंग के कपड़ों से अलंकृत किया जाता है।
- रथयात्रा के सातों दिन भगवान अलग-अलग रंगों की पोशाक धारण करते हैं। लाल, पीला, पचरंगी, सफेद और काले रंग की पोशाकें भगवान की महिमा और आभा को और बढ़ा देती हैं।
क्या है Rathyatra Mela का महत्व?
पुरी की रथयात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह मोक्ष प्राप्ति की कामना से जुड़ी हुई मानी जाती है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के रथ के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे पाप मिट जाते हैं और उन्हें जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। रथयात्रा (Rathyatra Mela) में भगवान को रथ पर विराजमान कर पूरे नगर का भ्रमण कराया जाता है ताकि वे भक्तों को आशीर्वाद दे सकें।