Tulsidas Jayanti: वाराणसी के डीएवी पीजी कॉलेज में बुधवार को हिंदी विभाग एवं अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, उप्र सरकार की ओर से तुलसी जयंती के अवसर पर तुलसी के राम विषयक परिचर्चा सह संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रख्यात आलोचक प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि तुलसी दास की दृष्टि में राम शक्ति, शील और सौंदर्य की त्रिमूर्ति है। तुलसी करोड़ों-करोड़ लोगों को बल देते है, हारे हुए व्यक्ति में जीवन जीने का जज्बा सिखाती है तुलसी की कविताएं।
Tulsidas Jayanti: मनुष्यता की प्रेरणा देते हैं तुलसी के राम
उन्होंने कहा की महात्मा गांधी ने नेता बनने से पूर्व ही तुलसी कृत रामचरित मानस (Tulsidas Jayanti) का अध्ययन कर लिया था। अध्यक्षता करते हुए बीएचयू हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बलिराज पांडेय ने कहा की तुलसी के राम मनुष्यता की प्रेरणा देते है, समाज को किस तरह के मानवता की आवश्यकता है यह तुलसी के राम में प्रत्यक्ष दिखलाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि आज मानस की व्याख्या जाति के आधार पर की जा रही है जो सर्वथा अनुचित है।
वहीं तुलसीदास (Tulsidas Jayanti) का महत्व विषय पर निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमे 100 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए। निबंध प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार रजत यादव, द्वितीय पुरस्कार दयानंद, तृतीय पुरस्कार सत्यम कुमार को मिला। वहीं छन्द पाठ प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार कनिष्क त्रिपाठी, द्वितीय पुरस्कार विश्वास तिवारी एवं तृतीय पुरस्कार उज्जवल पांडे को मिला। संचालन कार्यक्रम संयोजक प्रो. समीर कुमार पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी ने दिया। इस अवसर पर प्रो. राकेश कुमार राम, प्रो. ऋचारानी यादव, प्रो. मिश्रीलाल, प्रो. अनूप मिश्रा, प्रो. पूनम सिंह, डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. मीनू लाकड़ा, डॉ. संजय सिंह, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ. विश्वमौली, डॉ. नीलम सिंह, डॉ. महिमा सिंह, डॉ. दीपक कुमार शर्मा आदि उपस्थित रहे।