Varanasi: वाराणसी शहर में वर्षों से सरकारी जमीन और तालाबों पर कब्जे का सिलसिला लगातार जारी है। हाल ही में नगर निगम द्वारा कराए गए सर्वे में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। नगर क्षेत्र में स्थित 134 तालाबों में से 72 तालाब अब कब्जे में हैं। इनमें से कई पूरी तरह पाट दिए गए हैं, तो कुछ पर सरकारी संस्थानों और निजी निर्माणों ने स्थायी रूप से कब्जा जमा लिया है।
Varanasi: नगर निगम ने तालाबों के अभिलेख के आधार पर तैयार की रिपोर्ट
नगर निगम ने तालाबों के अभिलेख और रकबे के आधार पर सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में सामने आया कि कई तालाब अब कागजों में तो दर्ज हैं, लेकिन जमीनी हकीकत में उनका अस्तित्व खत्म हो गया है। कुछ पर स्कूल, कॉलेज और ऑफिस बन गए हैं, तो कुछ पर सरकारी विभागों की इमारतें खड़ी हैं।
सबसे चौंकाने वाला मामला लल्लापुरा के माता कुंड तालाब का है, जहां अब पुलिस चौकी बनी हुई है। इसी तरह रमरेपुर पोखरी पहाड़िया मंडी में समाहित हो चुकी है और सदर बाजार तालाब की जमीन पर रक्षा विभाग का ग्राउंड बना दिया गया है। कादीपुर और नदेसर तालाबों की जमीन पर अब पानी की टंकियां मौजूद हैं, जबकि हरतीर्थ तालाब पर दूरसंचार विभाग का कार्यालय खड़ा है।
अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने वाला वाराणसी विकास प्राधिकरण (VDA) खुद भी इस खेल में पीछे नहीं है। कज्जाकपुरा के ओमकालेश्वर तालाब की जमीन पर VDA ने एकता नगर कॉलोनी बसा दी है। अब वहां तालाब का नामो-निशान तक नहीं है। वहीं, लहरतारा पोखरी की जमीन पर सनबीम स्कूल और शिवदासपुर तालाब पर मां दुर्गा इंटर कॉलेज की बिल्डिंग खड़ी है।
इतना ही नहीं, विधायक निधि से भी तालाबों की जमीनों पर निर्माण किए गए हैं। रानीपुर पोखरी पर बारातघर और तुलसीपुर पोखरी की जमीन पर सामुदायिक केंद्र बना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कई तालाबों को पूरी तरह पाटकर मकान और सड़कें बना दी गई हैं। सरायनंदन, सरायसुरजन, सगरा, नेवादा, बजरडीहा, बिर्दोपुर, जैतपुरा, अलईपुरा, अमरपुर, सिकरौल, बसही, खजूरी, लक्ष्मणपुर जैसे तालाबों पर अब आबादी बस चुकी है और वहां घरों की कतारें नजर आती हैं।