Varanasi: उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की शुक्रवार को आयोजित जनसुनवाई में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (पीवीवीएनएल) के निजीकरण और बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी के खिलाफ उपभोक्ताओं, उद्योगपतियों और किसानों ने एक सुर में विरोध दर्ज कराया। कार्यक्रम में माहौल उस वक्त गरमा गया जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंच से पूर्वांचल में हो रहे बिजली विभाग के भ्रष्टाचार, घाटे के झूठे आंकड़ों और निजीकरण की असंवैधानिक प्रक्रिया को उजागर किया।
जनसुनवाई के दौरान (Varanasi) उपभोक्ता संगठन, व्यापारी वर्ग और किसान संगठनों ने बिजली दरों में बढ़ोतरी और निजीकरण के प्रयासों को पूरी तरह खारिज करते हुए चेतावनी दी कि “प्रदेश को फिर से लालटेन युग में नहीं लौटने देंगे।” उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा, “देश का कोई भी कानून बिजली दरों में बिना ठोस आधार के वृद्धि की अनुमति नहीं देता।” उन्होंने कहा कि जब उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ रुपये का सरप्लस है, तब 45% तक दरों में कटौती की जानी चाहिए।

निजीकरण की प्रक्रिया को बताया असंवैधानिक
अवधेश वर्मा ने मंच से साफ कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 131 से 134 केवल उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के विघटन के समय एक बार के लिए लागू की जा सकती थी, लेकिन अब उसी के आधार पर निजीकरण प्रस्तावित किया जाना पूरी तरह गैरकानूनी है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नौकरशाह उद्योगपतियों से साठगांठ कर निजीकरण को आगे बढ़ा रहे हैं, और कहा, “जिस दिन भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होगा, कई अफसरों को हथकड़ी लगनी तय है।”
Varanasi: ट्रांसफार्मर फुंकने और बिजली चोरी के खुलासे
उपभोक्ता परिषद (Varanasi) ने बताया कि पूर्वांचल में बिजली चोरी एक बड़ी समस्या है। हर साल लगभग 1628 करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो रही है। साल 2022-23 में जहां 80 ट्रांसफार्मर फुंके, वहीं 2023-24 में 78 ट्रांसफार्मर जले। केवल 10 एमवीए के ट्रांसफार्मरों में ही 16 जलने की घटनाएं हुईं। इसके अलावा विद्युत दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी भयावह है—2021-22 में 203, 2022-23 में 213, जबकि 2023-24 में 722 घटनाएं दर्ज की गईं। मरने वालों की संख्या अभी नहीं बताई गई, लेकिन अनुमान है कि यह 250 से अधिक हो सकती है।
सरकारी देनदारियां और घाटे की असलियत
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का घाटा दर्शाकर निजीकरण का आधार बनाया जा रहा है, जबकि सरकारी विभागों पर ही 4489 करोड़ रुपये का बकाया है। इसके अलावा सरकार को निगम को 8115 करोड़ की सब्सिडी देनी है, जो अब तक नहीं दी गई। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि जब सरकार खुद भुगतान नहीं कर रही, तो घाटे का बोझ आम जनता पर डालना सरासर अन्याय है। परिषद ने यह भी खुलासा किया कि कंपनियों ने बकाया उपभोक्ताओं (Varanasi) पर लोन भी ले रखा है।

स्मार्ट मीटर घोटाले का संकेत, बिहार का उदाहरण
अवधेश वर्मा ने बिहार के पूर्व प्रमुख सचिव (ऊर्जा) संजीव हंस का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर घोटाले में अधिकारी जेल जा चुके हैं। अगर उत्तर प्रदेश में यही खेल हुआ, तो यहां भी जांच के बाद जेल की नौबत आएगी।
उपभोक्ता परिषद ने छोटे दुकानदारों और घरेलू उपभोक्ताओं के हित में सुझाव देते हुए कहा कि 1 किलोवाट तक और 100 यूनिट तक की खपत वाले उपभोक्ताओं को घरेलू श्रेणी में रखा जाए और उन्हें बिजली चोरी जैसे मामलों से अलग किया जाए। साथ ही यह भी मांग की गई कि जिन उपभोक्ताओं को 30 दिन के बाद कनेक्शन दिया गया, उन्हें मुआवजा दिया जाए। वर्ष 2022-23 में 18372, 2023-24 में 51437 और 2024-25 में 28509 उपभोक्ताओं (Varanasi) को समय पर कनेक्शन नहीं मिला, जबकि मुआवजा कानून प्रभावी है।