Varanasi: परिवार नियोजन के अंतर्गत जिन दंपत्तियों का परिवार पूरा हो चुका है और वे भविष्य में और बच्चे नहीं चाहते, उन्हें नसबंदी के लिए प्रेरित करने में आशा कार्यकर्ताओं का अहम योगदान रहा है। विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान, वाराणसी जिले में 175 पुरुष नसबंदी के मामले सामने आए, जिससे वाराणसी प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि 1762 महिला नसबंदी के मामलों के साथ, जिले ने पहले स्थान पर कब्जा किया।
महिला नसबंदी की तुलना में, पुरुष नसबंदी को अधिक सुरक्षित और सरल माना जाता है, लेकिन इसे अपनाने में अभी भी समाज में कई भ्रांतियाँ हैं। इन भ्रांतियों को तोड़ने में पाण्डेयपुर की आशा कार्यकर्ता रीता सिंह, पूनम और अर्दली बाजार की इंदु देवी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रीता सिंह ने पखवाड़े के दौरान सबसे अधिक 21 पुरुष और 4 महिला नसबंदी कराने में सफलता पाई। पूनम ने 6 पुरुष और 2 महिला नसबंदी कराई, जबकि इंदु देवी ने 4 पुरुष और 3 महिला नसबंदी करवाई। इन प्रयासों में सीएचसी-पीएचसी के अधीक्षक, सर्जन, स्टाफ नर्स और पीएसआई इंडिया और यूपीटीएसयू जैसी संस्थाओं का भी पूरा सहयोग रहा।
समाज में पुरुष नसबंदी को लेकर सोच में बदलाव
पाण्डेयपुर पहड़िया की आशा कार्यकर्ता रीता सिंह ने कहा कि वह अपने क्षेत्र के दंपत्तियों से नियमित संपर्क में रहती हैं और जब उन्हें पता चलता है कि कोई दंपत्ति और बच्चे नहीं चाहते, तो वह पुरुष नसबंदी के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी देती हैं। रीता बताती हैं कि जब लोग उनकी बातों को नहीं समझ पाते, तो वह अपने पति का उदाहरण देती हैं, जिन्होंने स्वयं पुरुष नसबंदी कराई है। इससे लोग आश्चर्यचकित होते हैं और नसबंदी की तरफ अपना रुख बदलते हैं। रीता के अनुसार, धीरे-धीरे पुरुषों की सोच में बदलाव आ रहा है और वे इस प्रक्रिया के लिए आगे आ रहे हैं।
भ्रांतियों का अंत: पुरुष नसबंदी की जागरूकता
पाण्डेयपुर की आशा कार्यकर्ता पूनम ने बताया कि वह पखवाड़े की शुरुआत से पहले ही अपने क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाती हैं, जिसमें वे पुरुष और महिला नसबंदी के बारे में दंपत्तियों को जानकारी देती हैं। पूनम का कहना है कि पुरुष नसबंदी के बारे में समुदाय में कई भ्रांतियाँ हैं, लेकिन जब इन्हें सही तरीके से समझाया जाता है, तो पुरुष इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए तैयार हो जाते हैं। पिछले वर्ष, पूनम ने 3 पुरुष और 3 महिला नसबंदी करवाई थी।
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Varanasi: प्रेरणा का स्रोत बनीं रीता सिंह
अर्दली बाजार की आशा कार्यकर्ता इंदु देवी ने कहा कि चाहे जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा हो या पुरुष नसबंदी पखवाड़ा, वह लक्षित दंपत्तियों से पहले ही संपर्क साधती हैं और उन्हें महिला और पुरुष नसबंदी के बीच के अंतर और लाभों के बारे में जानकारी देती हैं। इंदु बताती हैं कि वह आसपास के क्षेत्रों के पुरुष नसबंदी चैम्पियनों के साथ जाकर लोगों को प्रेरित करती हैं। इंदु का कहना है कि रीता सिंह के कार्यों से उन्हें बहुत प्रेरणा मिलती है, और इसी प्रेरणा से उन्होंने कई लोगों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया है।