Varanasi: सारनाथ में शाक्य मुनि की प्रतिमा को हटाए जाने को लेकर संत समाज, हिन्दू संगठनों और स्थानीय नागरिकों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। आरोप है कि वाराणसी एयरपोर्ट, हरहुआ रिंग रोड और हवेलिया से सारनाथ स्टेशन की ओर जाने वाले मार्गों की दीवारों पर बुद्ध के जीवन पर आधारित चित्र और नारों की भरमार कर दी गई है, जिससे हिन्दू जनमानस की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।
स्थानीय महंत रजनीश मुनि और अन्य संतों का कहना है कि काशी (Varanasi), जो शिव की नगरी के रूप में जानी जाती है, वहां पर एकतरफा तरीके से अन्य धर्मों की मूर्तियों और प्रतीकों की स्थापना कर सनातन परंपरा की अनदेखी की जा रही है।
Varanasi: प्रतिमा की पुनः स्थापना की उठी मांग
इस मामले को लेकर महंत रजनीश मुनि के नेतृत्व में संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर प्रतिमा को पुनः स्थापित करने की मांग की। ज्ञापन में कहा गया है कि यदि सात दिनों के अन्दर मूर्ति की पुनः स्थापना नहीं की गई, तो उग्र आंदोलन किया जायेगा।
प्रदर्शन कर रहे संतों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या अब सारनाथ को केवल बौद्ध विहार के रूप में विकसित किया जाएगा और हिन्दू, जैन, दलित, आदिवासी समुदायों के धार्मिक अधिकारों की अनदेखी की जाएगी? महंत रजनीश मुनि ने जिलाधिकारी से अपील करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से वाराणसी (Varanasi)और सारनाथ तप, ध्यान और ज्ञान की भूमि रहे हैं, जहां ऋषियों, मुनियों और संतों ने साधना की है। ऐसे में सनातन प्रतीकों को हटाना न केवल ऐतिहासिक अन्याय है, बल्कि धार्मिक असंतुलन को जन्म देना है।