Varanasi: शिव की नगरी काशी शुक्रवार को एक बार फिर आस्था, संगीत और परंपरा की त्रिवेणी में डूब गई, जब काशी के कोतवाल श्री बाबा काल भैरव की ऐतिहासिक स्वर्ण-रजत पंचबदन प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा निकली। चौखंभा स्थित काठ की हवेली से तड़के सुबह आरंभ हुई इस यात्रा ने नगर की गलियों को बाबा कालभैरव की जय, ॐ भैरवाय नमः और हर-हर महादेव के उद्दघोष से सराबोर कर दिया।

बाबा कालभैरव की इस अनोखी प्रतिमा का निर्माण वर्ष 1954 में हुआ था, और तभी से यह भव्य शोभायात्रा स्वर्णकार क्षत्रिय कमेटी वाराणसी के तत्वावधान में आयोजित होती आ रही है। इस साल यह 71वीं शोभायात्रा रही, जो परंपरा और श्रद्धा का जीवंत प्रतीक बन गई है।

शोभायात्रा (Varanasi) की शुरुआत घुड़सवार पुलिस दस्ते से हुई, उसके पीछे ताशे-बाजे की धुन पर झूमते हुए भक्तों का हुजूम था। कमेटी के संस्थापक दिवंगत किशुन दास और भीकू सिंह की सुसज्जित तस्वीरें रथ पर विराजमान थीं। सड़कों पर शहनाई की मधुर धुनों के बीच भक्तजन “जय काल भैरव” के जयघोष कर रहे थे।
सजीव हुई देवगाथा की झलकियां
शोभायात्रा की विशेषता रही वह 11 छतरी युक्त सजे-धजे घोड़े, जिन पर राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान, शंकर, गणेश, नारद, ब्रह्मा और दो दरबान विराजमान थे। इनके अतिरिक्त शंकर-पार्वती, राधा-कृष्ण, दुर्गा, काली और हनुमान जी की भव्य झांकियों ने श्रद्धालुओं को अध्यात्म की अनुभूति कराई। गोविंदेश्वर महादेव की झांकी और डमरू दल भी आकर्षण का केंद्र रहे। भजन मंडली ने यात्रा मार्ग में सुंदर भजन प्रस्तुत किए गए, जिससे शहर का वातावरण पूरी तरह से आध्यात्मिक हो गया।

भक्तों की श्रद्धा तब चरम पर पहुंच गई, जब यात्रा के अंतिम चरण में फूलों से सुसज्जित स्वर्णिम रथ में विराजमान बाबा काल भैरव (Varanasi) की पंचबदन प्रतिमा दर्शनार्थ निकली। जगह-जगह भक्तों ने बाबा पर पुष्पवर्षा की और प्रसाद वितरण किया गया।

Varanasi:40 स्थानों पर हुआ बाबा का स्वागत
कमेटी अध्यक्ष किशोर कुमार सेठ ने बताया कि बाबा के स्वागत हेतु नगर भर के विभिन्न सामाजिक संगठनों और श्रद्धालुओं द्वारा 40 से अधिक स्थानों पर पूजन-अर्चन किया गया। संस्था के मंत्री राजू वर्मा ने पूरे आयोजन की व्यवस्थाएं संभालीं, जबकि महामंत्री श्याम कुमार सराफ ने यात्रा की रूट जानकारी दी।
शोभायात्रा काठ की हवेली, चौखंभा से शुरू होकर बीवी हटिया, जतनबर, विशेश्वरगंज, महामृत्युंजय, दारानगर, मैदागिन, बुलानाला, चौक, नारियल बाजार, गोविंदपुरा, ठठेरी बाजार, सोराकुआं, गोलघर, भुतही इमली होते हुए काल भैरव मंदिर तक पहुंची।