Varanasi: महाराजा सुहेलदेव स्मृति द्वार को लेकर एक बार फिर विवाद गरमा गया है। वाराणसी में शनिवार को सैकड़ों की संख्या में राजभर समाज के लोग सारनाथ स्थित स्मृति द्वार पर एकत्र होकर प्रदर्शन करने पहुंचे। आरोप है कि कुछ शरारती तत्वों ने स्मृति द्वार पर लिखे महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम से “राजभर” शब्द को हटा दिया है, जिससे समाज में आक्रोश फैल गया है।

प्रदर्शनकारियों ने इसे समाज के सम्मान के साथ सीधी छेड़छाड़ बताते हुए दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की। लोगों का कहना है कि यह घटना जानबूझकर समाज को उकसाने और समाज की पहचान को मिटाने की कोशिश है।

Varanasi: विवाद के पीछे नजर आ रहा सामाजिक टकराव
बता दें कि यह स्मृति द्वार (Varanasi) उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री द्वारा उद्घाटित किया गया था। तभी से यह द्वार महाराजा सुहेलदेव राजभर की स्मृति में स्थापित किया गया था। वहीं इस विवाद के पीछे एक और सामाजिक टकराव भी नजर आ रहा है। क्षत्रिय समाज महाराजा सुहेलदेव को क्षत्रिय मानता है, जबकि राजभर समाज उन्हें अपना गौरव बताते हुए “राजभर” जोड़ने पर जोर देता है। वहीं, क्षत्रिय समाज इस शब्द को जोड़ने का विरोध करता रहा है। इसी मतभेद के चलते पहले भी क्षेत्र में कई बार बहस और टकराव की स्थिति बन चुकी है।

प्रदर्शन में शामिल संजय सिंह ने बताया कि बीते 10 मई को महाराजा सुहेलदेव की जयंती मनाई गई थी और उसी दिन इस स्मृति द्वार का अनावरण किया गया था, लेकिन अब यहाँ से उनके नाम के आगे से राजभर शब्द हटा दिया गया है। इसी के विरोध में हमलोग यहाँ प्रदर्शन (Varanasi) करने के लिए एकत्रित हुए है। हम शासन-प्रशासन से मांग करते हैं कि महाराजा सुहेलदेव के नाम के आगे पुनः राजभर शब्द जोड़ा जाए और जो भी लोग इसमें संलिप्त है उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।

मौके पर सारनाथ थाना क्षेत्र (Varanasi) की पुलिस टीम पहुंच गई है और स्थिति को शांत करने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को कार्रवाई का आश्वासन दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।