Venktesh Bala Ji
वाराणसी को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यहां की गलियों में हजारों मंदिर हैं। कुछ मंदिर और मूर्तियां ऐसी भी हैं, जिनका इतिहास अनभिज्ञ है। माना जाता है कि ऐसे मंदिर काशी के जन्म के समय से यहां स्थापित हैं। इनका वर्णन काशी खंड में मिलता है।
वाराणसी। काशी के प्राचीन मंदिरों में से एक है, बाला जी घाट स्थित भगवान वेंकटेश बाला जी (Venktesh Bala Ji) का मंदिर। यह मंदिर वाराणसी में स्थित प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है। छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बाला जी के इस मंदिर की सुंदरता बगल से ही प्रवाहमान माँ गंगा की अविरल धारा से और बढ़ जाती है। इस मंदिर के गर्भगृह को छोड़कर वर्तमान में बाकी का हिस्सा निर्माणाधीन है।
मंदिर (Venktesh Bala Ji) के इतिहास के बारे में महंत वासुदेव गोकर्ण ने बताया कि वर्तमान मंदिर का पूरा परिसर कभी रंगमहल हुआ करता था। यहां नृत्य और संगीत की तर्ज पर महफ़िल सजती थी। पेशवाओं के शासनकाल से यह परंपरा जीवंत थी। 1857 के गदर में इस मंदिर और प्राचीन मूर्ति को ब्रिटिश हुकुमत ने नीलाम करा दिया था। जिसे बनारस के सिंधिया परिवार ने खरीद लिया।
महंत ने मंदिर (Venktesh Bala Ji) के भीतर की प्रतिमा के बारे में बताया कि यह प्रतिमा गंगा जी में स्नान के दौरान एक ब्राहमण को मिली थी। जिसके बाद तत्कालीन काशी नरेश जयाजी राव को स्वप्न में भगवान ने दर्शन दिए और मंदिर की स्थापना वर्तमान जगह पर करने का निर्देश दिया। राजा ने उस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा घाट किनारे कराई। तब से भगवान अपने स्थान पर सैकड़ों वर्षों से विराजमान हैं। मंदिर में भगवान के साथ उनकी पत्नियां श्रीदेवी और भूदेवी भी विराजमान हैं।

खंडहर जैसा दिखने के सवाल पर महंत ने आगे बताया कि मंदिर (Venktesh Bala Ji) काफी प्राचीन है। समय-समय पर आए भूकंप के कारण इसके कुछ हिस्से जर्जर होकर गिरते रहे, लेकिन भगवान की पूजा अर्चना तब भी जारी रही। वर्ष 2012 तत्कालीन सरकार और प्रशासन के आदेश पर इसका जीर्णोद्धार कराया गया।
वेंकटेश बाला जी (Venktesh Bala Ji) के मंदिर का महत्व
बाला जी (Venktesh Bala Ji) के दर्शन-पूजन के माहात्म्य के बारे में बताया जाता है कि इनके दर्शन से व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं और धन सम्पदा की प्राप्ति होती है। इस मंदिर में शारदीय नवरात्र में वृहद स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दौरान नौ दिनों तक बाला जी का अलग-अलग तरीके से श्रृंगार होता है। जिनके दर्शन के लिए काफ़ी संख्या में दर्शनार्थी मंदिर में पहुंचते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा के दिन इनका विषेश रूप से मक्खन से श्रृंगार किया जाता है। यह अनूठा श्रृंगार बालाजी मंदिर का प्रतीक बन गया है।

इस मंदिर का इतिहास भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान से भी जुड़ा है। बाला जी के इसी मंदिर में हनुमान जी ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को दर्शन दिए थे। बचपन में जिस समय उस्ताद मंदिर के आंगन में रियाज़ करते थे, उसी समय हनुमान जी ने उन्हें वहां दर्शन दिए थे। इस घटना को उन्होंने अपने मामा को बताया था, लेकिन मामा ने किसी को ये बात न बताने की कसम दे दी थी। इस घटना के कई सालों बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में इस घटना का जिक्र किया।
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कपाट खुलने का समय
भगवान बालाजी (Venktesh Bala Ji) का मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए सुबह 6 बजे से 10 बजे तक एवं सायं साढ़े 5 बजे से साढ़े 7 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में सुबह की आरती साढ़े 6 बजे एवं शयन आरती सायं 7 बजे होती है।
ऐसे पहुंचे बाला जी मंदिर
बाला जी मंदिर (Venktesh Bala Ji) काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव मंदिर से कुछ दूरी पर है। कालभैरव मंदिर से आगे गलियों को पारकर चौखंभा और दूध विनायक के रास्ते मंगला गौरी मंदिर के बगल में बाला जी घाट पर यह मंदिर स्थापित है।