तेज़ गर्मी और लगातार घटते भू-जल स्तर के बीच वाराणसी जनपद में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। हरहुआ, अराजीलाइन और वाराणसी शहर के कई हिस्सों में भूजल का स्तर चिंताजनक रूप से नीचे जा चुका है। इस संदर्भ में वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक (जल विभाग खण्ड वाराणसी) डॉ. नम्रता जायसवाल ने लोगों से सतर्क रहने और जल संरक्षण (Water Level Crisis) को प्राथमिकता देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत स्तर पर पानी की बर्बादी रोकनी चाहिए और दैनिक कार्यों में जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए।
Water Level Crisis: व्यक्तिगत स्तर पर करें जल सरंक्षण
डॉ. नम्रता ने वर्षा जल संचयन को भूजल रिचार्ज का सबसे प्रभावी उपाय बताया। उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी के चलते ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चला गया है। खास तौर पर हरहुआ, अराजीलाइन और वाराणसी में जलस्तर (Water Level Crisis) काफी कम देखा जा रहा है। ऐसे में सबसे पहले तो लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर दैनिक कार्यों में जल का सरंक्षण करें इसके साथ ही भूगर्भ जल अधिनियम के अंतगर्त जो भी बोरवल पंजीकृत है, उनके मानकों को पूरा करते हुए भी भूगर्भ जलस्तर बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि वर्षा जल संरक्षण के लिए हम छतों का पानी बोरिंग के माध्यम से जमीन फिल्टेरेशन के चैंबर के जरिए जमीन के अन्दर डाल सकते हैं। जिससे यह डायरेक्ट रिचार्ज होता है।
डॉ. नम्रता जयसवाल ने जलस्तर बढ़ाने के माध्यमों से जुड़े अन्य जानकारी देते हुए कहा कि इसका दूसरा माध्यम सर्फिस रनऑफ रिचार्ज भी है, जिसमें तालाब या नहरे आती है। जैसे हम किसी गांव के तालाब या नहरों की सफाई करके उसके जल को संरक्षित (Water Level Crisis) कर सकते हैं या फिर कोई ऐसी जगह जहाँ हम गद्दे बनाकर वर्षा के जल को संरक्षित कर सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके और गांव आदि में खेतों की सिंचाई भी आराम से हो सके।
उन्होंने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा कि मैं बनारस जनपद के जितने भी उद्योगपति, हॉस्पिटल और होटल के लोगों को आगे आना चाहिए। ताकि बनारस में जो टूरिस्ट आ रहे हैं वह यहाँ के गरिमा से आकर्षित हो। यहाँ के प्राकृतिक चीजें है उन्हें संरक्षित किया जाए और वर्ष जल को संरक्षण करना सबसे अच्छा प्रयास है और आने वाले समय में यह सभी के लिए लाभान्वित सिद्ध होगा।