वाराणसी। डायबिटीज भारत में लोगों के लिए एक गंभीर बीमारी बनता जा रहा है। इसके रोगियों की संख्या भी भारत में तेजी से बढ़ रही है। डायबिटीज को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल आते हैं। जैसे डायबिटीज का क्या कारण हैं, ये कैसे होता है? इससे शरीर को क्या नुकसान होता है, तो आज हम आपको बताते हैं मधुमेह या डायबिटीज के बारे में।
ये रोग एक मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है। जिसमें व्यक्ति के खून में ग्लूकोज का लेवल नॉर्मल से अधिक हो जाता है। ऐसा तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन ठीक से न बने या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें। इस रोग की वजह से हमारे शरीर के कई अंग प्रभावित भी होते हैं जिसमें आंखें भी शामिल हैं।
डायबिटीज के कारण हमारी आंखो की रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली जो महीन नलिकाएं होती हैं, वे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जिससे रेटिना पर वस्तुओं का चित्र सही से या बिल्कुल भी नहीं बन पाता है। इसी समस्या को डायबीटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। अगर सही समय से इसका इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो सकता है।
इसका खतरा 20 से 70 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है। शुरू-शुरू में इस बीमारी का पता नहीं चलता। जब आंखें इस बीमारी से 40 फीसदी तक ग्रस्त हो जाती हैं उसके बाद इसका प्रभाव दिखने लगता है।
डायबिटीज जितने लंबे समय तक रहता है, डायबीटिक रेटिनोपैथी की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। लेजर तकनीक से इलाज के बाद अंधेपन को 60 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
रक्त नलिकाएं हो जाती हैं क्षतिग्रस्त
शरीर का इंसुलिन डायबिटीज की वजह से प्रभावित हो जाता है। यही इंसुलिन ग्लूकोज को शरीर में पहुंचाता है। जब इंसुलिन नहीं बन पाता या कम बनता है तो ग्लूकोज कोशिकाओं में नहीं जा पाता और खून में घुलता रहता है।
इसी कारण खून में शुगर का लेवल बढ़ता जाता है। यही खून शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंचता है। हाई शुगर के साथ रक्त जब लगातार फ्लो करता है तो इससे रक्त नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
कमजोर होती हैं आंखों की नलिकाएं -हमारी आंखो की रंक्त नलिकाए बहुत ही नाजुक होती हैं इसलिए मधुमेह रोग से ये जल्दी प्रभावित होती हैं।रक्त नलिकाओं के फटने से रिसने वाला रक्त कई बार रेटिना के आसपास इकट्ठा होता रहता है, जिससे आंखों में ब्लाइंड स्पॉट भी बन सकता है।
बीमारी के लक्षण:
- चश्मे का नम्बर बार-बार बढ़ना
- आंखों का बार-बार संक्रमित होना
- सुबह उठने के बाद कम दिखाई देना
- सफेद या काला मोतियाबिंद
- सिर में दर्द रहना
- अचानक आंखो की रौशनी कम हो जाना
- आंखों में खून की शिराएं या खून के थक्के दिखना
- रेटिना से खून आना
उपाय:
- डायबिटीज का पता चलते ही ब्लड शुगर और कलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करें।
- सामान्य लोगों को साल में एक-दो बार आंखों की जांच करवानी चाहिए।
- जिन्हें 8-10 साल से डायबिटीज है उन्हें हर 3 महीने में आंखों की जांच करवानी चाहिए।
- यदि आपको आखों में दर्द, अंधेरा छाने जैसे लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
– डॉ० अनुराग टंडन, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, वाराणसी।