राहुल सोनी
वाराणसी। हर संकल्प को पूर्ण करने में कन्या या संतों का पूजन और भोजन किया जाता है। इस परंपरा को मानते हुए आज वॉटर वुमन ने अपनी पंचतत्व संस्था के सिद्धांतों के अंर्तगत एक नई पहल की। उन्होंने ईट्ट भट्टे के मज़दूरों के बच्चों को भट्टे पर जाकर फल वितरित किए। उनके साथ समय बीता कर उन्हें शिक्षा एवम् जल का महत्व समझाया।

इस दौरान वाटर वूमेन शिप्रा के साथ आशा ट्रस्ट के संरक्षक बल्लभाचार्य ने बच्चों के माता पिता को शिप्रा के गोमती पद यात्रा के संकल्प को बताते हुए कहा कि हमें अपने बच्चो को ऐसे ही संस्कार देने चाहिए। उन्होंने कहा कि सही मायने में दूसरों के लिये जीवन जीना ही सनातन का संकल्प है। आशा ट्रस्ट के सदस्य प्रदीप सिंह ने सभी बच्चों को एकत्र कर कन्या पूजन के कार्य में अपना सहयोग दिया। शिप्रा ने बच्चों को समय समय पर उनके बीच आने का आश्वासन दिया।

बता दें कि वाटर वूमेन शिप्रा ने अपनी 1001 किमी की गोमती पैदल यात्रा मात्र 31 दिन में पूरी कर समाज को एक सार्थक सन्देश दिया है कि कैसे एक महिला पर्यावरण के लिए अकेले दर्जनों जिले के गोमती घाट नाप सकती है, तो समाज के और साधन संपन्न लोग नदियों के लिए और वृक्षों के लिए क्यों नहीं निकल सकते। शिप्रा आने वाले दिनों में गोमती नदी के किनारे अपनी पंचतत्व संस्था के माध्यम से जगह जगह पौधे रोपित कराएंगी। उन्होंने अपने संकल्प में गोमती के किनारों को हराभरा करने का भी संकल्प लिया है।