Varanasi: चाइनीज मांझे के कारण हो रही मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह खतरनाक मांझा न केवल मासूमों और बुजुर्गों के लिए, बल्कि शहर की हर गली में घूमते लोगों के लिए भी जानलेवा साबित हो रहा है। कई लोगों की जान जा चुकी है और कई घायल हो चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके इस पर प्रभावी रोकथाम नहीं हो पाई है। यह सवाल उठता है कि जब चाइनीज मांझे पर कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है, तो इसकी बिक्री और उपयोग कैसे जारी है? क्या प्रशासन इस पर कार्रवाई करने में असफल है, या फिर यह एक बड़ा व्यवसायिक खेल बन चुका है, जिसमें इंसान की जिंदगी की कोई अहमियत नहीं?
कोनिया से कज्जाकपुरा तक निकला न्याय मार्च
हाल ही में, चाइनीज मांझे की चपेट में आकर विवेक शर्मा की दुखद मौत ने लोगों का गुस्सा और ज्यादा बढ़ा दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता किशन दीक्षित के नेतृत्व में शुक्रवार को एक ‘न्याय मार्च’ निकाला गया। मार्च (Varanasi) में विवेक शर्मा के परिवार ने भी भाग लिया और चाइनीज मांझे के खिलाफ जोरदार विरोध किया। मार्च कोनिया से शुरू होकर कज्जाकपुरा तक पहुंचा, जहाँ यह सभा में बदल गया।

विवेक शर्मा के पिता राजेश शर्मा ने गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके घर का दीपक तो बुझ गया, लेकिन वह चाहते हैं कि प्रशासन चाइनीज मांझे (Varanasi) पर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में किसी और के घर का चिराग न बुझ सके। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सरकार और प्रशासन को यह समझने में इतना वक्त लगेगा कि मानव जीवन की कीमत पर कोई अपनी नाकामी नहीं छिपा सकता?
चाइनीज मांझे के खिलाफ न्याय मार्च में उमड़ा जनाक्रोश
किशन दीक्षित ने इस पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रशासन और शासन की लापरवाही के कारण वाराणसी की सड़कों पर यह “मौत की डोर” फैल चुकी है। उन्होंने कहा कि मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी (Varanasi) का रिवाज होता है, लेकिन इस त्योहार पर उड़ती कटी पतंगे जानलेवा साबित हो रही हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इस ‘खूनी खेल’ को तुरंत रोका जाए।

न्याय मार्च में शामिल लोगों ने चाइनीज मांझे के खिलाफ विभिन्न स्लोगनों के साथ आक्रोश व्यक्त किया। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था, “हवा में उड़ती मौत का परवाना”, “प्रतिबंधित है फिर भी बेच रहा कौन”, “खरीदने वाले-बेचने वाले दोनों गुनाहगार”, “कल आप भी हो सकते हैं इसके शिकार”, “इस्तेमाल करने वाले देशद्रोही”, “बेचने वाले राक्षस, खा रहे खून की रोटी”।
मार्च में वाराणसी (Varanasi) के कई सामाजिक कार्यकर्ता, पार्षद और स्थानीय निवासी भी शामिल हुए। इस दौरान सैकड़ों लोगों ने एकजुट होकर प्रशासन से मांग की कि चाइनीज मांझे पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया जाए और इसके विक्रेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
न्याय मार्च (Varanasi) मुख्य रूप से पार्षद अमरदेव यादव, अश्विनी तिवारी, पारस नाथ जायसवाल, सुरेश यादव उर्फ गुड्डू, रामचन्द्र मौर्य, मोहन यादव, कौशलेंद्र कुमार उर्फ मल्लू, दीपक विश्वकर्मा, मेवा यादव, सलीम अहमद, नन्हकू गुप्ता, संजय मौर्या, बलराम तिवारी, अल्ताफ़ू रहमान, पंकज कन्नौजिया, हनुमत सिंह, अनिल सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में आमजनमानस मौजूद रहे।