- वैशाख मास जैसा कोई मास नहीं
- मास पर्यन्त 5 मई तक चलेगा वैशाख मास
राधेश्याम कमल
वाराणसी। भारतीय संस्कृति के हिंदू सनातन धर्म में धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार वैशाख मास को अत्यन्त पावन मास माना गया है। इस मास में गंगा स्नान, दान अनंत पुण्य फलदायी है। वैशाख मास का स्नान-दान चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि तक माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख मास के समान दूसरा कोई मास नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। प्रसिद्ध ज्योतिषविद् पं. विमल जैन ने बताया कि वैशाख मास की शुरूआत शुक्रवार सात अप्रैल से शुरू हो गई है जो 5 मई तक रहेगी। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु, परशुराम की पूजा करने और बांके बिहारी के दर्शन करने से शांति व सभी दु:खों से मुक्ति मिलती है।
वैशाख मास में क्या करें-
पं. विमल जैन ने बताया कि पूरे मास भर सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहुर्त में उठ कर गंगा स्नान या गंगा जल मिश्रित स्वच्छ जल से स्नान करके वैशाख मास के नियम आदि का संकल्प लेना चाहिए। भगवान श्रीहरि विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजन-अर्चन करना चाहिए। श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, पाप प्रशमन स्तोत्र का पाठ व ऊॅ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करना सौभाग्य में अभिवृद्धि करता है। इस मास में एक समय भोजन करने का विधान है। वैशाख पूर्णिमा के दिन वैशाख मास के यम-नियम संयम की समाप्ति हो जाती है। वैशाख मास में मेष संक्रांति, अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती व वरुथिनी एकादशी के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस मास में शरीर पर तेल लगाना, दिन में शयन करना, कांस्य पात्र में भोजन करना, लहुसन-प्याद आदि का सेवन करना, रत्रि में भोजन करना वर्जित है।
इस माह में भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ चन्द्रमा की भी पूजा की जाती है। साथ ही तुलसी व पीपल के वृक्ष की भी पूजा का विधान है। वैशाख मास में तांबे के बर्तन में जल लेकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसमें भागवत गीता का श्रवण करना चाहिए। इस मास में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना से सभी कष्टों व दु:खों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।