BHU News: बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) में शोधकर्ताओं ने पांच व्यक्तियों में कैंसर के शुरुआती चरण को पहचानने में सफलता पाई है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि ये लोग इस बात से अनजान थे कि उनके परिवार में किसी सदस्य को कैंसर होने के कारण वे भी इस बीमारी के जोखिम में हो सकते हैं। परिवार के एक सदस्य में कैंसर का पता चलने के बाद, अन्य सदस्यों ने स्क्रीनिंग कराई, जिससे पता चला कि उनके जीन में कैंसर से संबंधित म्यूटेशन हैं।
कुल 25 व्यक्तियों ने जीन परीक्षण करवाया, जिसमें से 5 लोगों में कैंसर कारक जीन म्यूटेशन पाया गया। यह म्यूटेशन समय के साथ कैंसर (BHU News) का रूप ले सकता था, लेकिन प्रारंभिक जांच के कारण इसे समय रहते पहचान लिया गया। आमतौर पर कैंसर का पता तीसरे या अंतिम चरण में ही लगता है, जब ट्यूमर के कारण दर्द या अन्य लक्षण उभरते हैं, लेकिन बीएचयू के शोधकर्ताओं ने उन्नत तकनीकों का उपयोग करके कैंसर से पहले ही उसके कारकों की पहचान कर ली।
BHU News: 22 हजार जीन की जांच की
यह काम डॉ. अख्तर अली, डॉ. सुनील चौधरी, और उनकी टीम ने जेनेटिक फॉर डिसऑर्डर विभाग के अंतर्गत किया। टीम (BHU News) ने 22 हजार जीन की जांच की और प्रत्येक रोगी का 15-15 जीबी डेटा तैयार किया। बायोइंफॉर्मेटिक्स तकनीक की मदद से इन जीनों का विश्लेषण किया गया, जिसमें लगभग 25-30 दिन लगे।
डॉ. अली ने बताया कि कैंसर से जुड़े जीन दो प्रकार के होते हैं: प्रोटो-ओंको जीन और ट्यूमर सप्रेसर जीन। ट्यूमर सप्रेसर जीन कैंसर को रोकता है, जबकि प्रोटो-ओंको जीन कैंसर को बढ़ाता है। इस अध्ययन में यह देखा गया कि कहीं जीन में कोई असामान्यता तो नहीं है जो कैंसर का कारण बन सकती है।
धूम्रपान जैसे कारणों से जीन डैमेज होने पर, यदि जीन को ठीक करने वाली प्रणाली ही खराब हो जाए, तो वहां कैंसर विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। इस शोध का उद्देश्य ऐसे ही डैमेज हुए जीन की पहचान कर उसे कैंसर में बदलने से पहले रोकना या उसकी प्रगति को धीमा करना है।
इस शोध (BHU News) से प्रेरित होकर बीएचयू की टीम ने भारत सरकार को एक परियोजना प्रस्तावित किया है, जो कैंसर के शुरुआती चरण में पहचान और रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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