Varanasi Mansoon: श्रावण मास की शुरुआत के साथ रविवार की भोर में हुई झमाझम बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी। गरज-चमक के साथ करीब एक घंटे तक हुई तेज बारिश ने पूरे शहर को पानी-पानी कर दिया। मुख्य सड़कें, गलियां, बाजार और घाट जलभराव से प्रभावित हो गए, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

दशाश्वमेध थाना क्षेत्र, गोदौलिया, चौक, लंका, सिगरा और चेतगंज जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं। दुकानों और प्रतिष्ठानों में पानी घुस गया, जिससे व्यापारियों को नुकसान हुआ। श्रद्धालु और आम नागरिक घुटनों (Varanasi Mansoon) तक भरे पानी में जरूरी काम निपटाते नजर आए। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों तक वाराणसी और आसपास के इलाकों में हल्की से मध्यम और कहीं-कहीं तेज बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है।

Varanasi Mansoon: प्रशासन और नगर निगम के सभी वादे फेल
बारिश से पहले जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा बार-बार यह दावा किया गया था कि सभी नालों और सीवर की सफाई पूरी कर ली गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने स्वयं निर्देश दिए थे कि श्रावण मास से पहले जल निकासी की सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएं।

लेकिन हकीकत कुछ और ही दिखी। पहली ही तेज बारिश ने इन दावों की सच्चाई उजागर कर दी। नालों की सफाई अधूरी होने के कारण अधिकांश क्षेत्रों में पानी का निकास बाधित रहा। नतीजा यह रहा कि कई मोहल्ले, व्यापारिक केंद्र और घाट जलभराव से बुरी तरह प्रभावित हो गए।

लगातार होती अव्यवस्थाओं से परेशान काशीवासियों का आक्रोश अब खुलकर सामने आ रहा है। व्यापारियों (Varanasi Mansoon) का कहना है कि हर साल बरसात में दुकानें पानी से भर जाती हैं, जिससे हजारों का नुकसान होता है। स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया है कि आखिर कब तक प्रशासन की नाकामी का खामियाजा जनता को भुगतना होगा?

लोगों की मांग है कि मुख्यमंत्री के अगले वाराणसी दौरे में इस गंभीर मुद्दे पर जवाबदेही तय की जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो। श्रावण मास में बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को भी जलभराव के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। घाटों और गलियों में पानी भरने से उनका आवागमन प्रभावित हुआ।

वाराणसी (Varanasi Mansoon) में हर साल बारिश का यही आलम रहता है, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई है। यह हालात न केवल प्रशासन की तैयारी पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि काशी जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक नगर की छवि को भी धूमिल करते हैं।