Varanasi: साहित्यिक मंच सुबह बनारस आनंद कानन के तत्वावधान में हर महीने के दूसरे मंगलवार को आयोजित होने वाले बहुभाषी काव्य पाठ कार्यक्रम की एक और कड़ी अस्सी घाट पर संपन्न हुई। इस बार के आयोजन में उर्दू, बांग्ला और भोजपुरी भाषा के रचनाकारों ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
शेरों व गजलों ने बनाया जबरजस्त माहौल
दर्जनों भोजपुरी गायक गायिकाओं को अपने गीतों से चर्चा में लाने वाले दीप मोहम्मदाबाद ने उर्दू का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने शेरों और गजलों से जबरदस्त माहौल बनाया। उन्होंने सुनाया ‘बहुत चालाक मुझको यह भले दुनिया समझती है, मेरी मां मुझको आज भी मगर बच्चा समझती है।
बांग्ला साहित्य को मंच (Varanasi) पर जीवंत किया डॉ. झुमुर सेनगुप्ता ने, जिन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर की प्रेरणा से लिखी अपनी रचनाओं का पाठ किया। उनकी कविताओं में समय की विविधताएं, सामाजिक समरसता और आधुनिक चुनौतियों का गहरा चित्रण देखने को मिला।
भोजपुरी भाषा के प्रतिनिधि नरसिंह यादव साहसी, जो मिर्जापुर के अहरौरा से आए थे, उन्होंने शास्त्रीय संगीत के अभ्यास के अनुभवों को हास्य के रंग में पिरोकर प्रस्तुत किया। उन्होंने कविता में बताया कि किस तरह सरगम का अभ्यास करते हुए वे भैंस चराते और उसका दूध दुहते थे, जिसे सुनकर श्रोता हँसी से लोटपोट हो गए।
Varanasi: सभी हुए भावविभोर
कार्यक्रम (Varanasi) की अध्यक्षता मिर्जापुर से पधारे वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘मिर्जापुरी’ ने की, जिन्होंने भोजपुरी के सुगंधित शब्दों से सजी अपनी कविताओं के माध्यम से सभा को भावविभोर कर दिया।
इस आयोजन का संचालन डॉ. नागेश शांडिल्य ने किया, जबकि रचनाकारों का परिचय अरविंद मिश्रा ‘हर्ष’ ने प्रस्तुत किया। रचनाकारों (Varanasi) के सम्मान में सूर्य प्रकाश मिश्रा, अलख निरंजन, बीना त्रिपाठी और राजलक्ष्मी मिश्रा ने उनका अभिनंदन किया।
समारोह (Varanasi) के अंत में डॉ. जयप्रकाश मिश्र, सूर्य प्रकाश मिश्रा, जगदीश्वरी चौबे और ऋतु दीक्षित ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन एडवोकेट रुद्रनाथ त्रिपाठी ‘पुंज’ द्वारा किया गया।
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